जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के पांच साल बीतने के बावजूद भी चिकित्सा विभाग में कार्यरत संविदा कर्मियों को बकाया वेतन का भुगतान नहीं करने पर नाराजगी जताई है. साथ ही अदालत ने अतिरिक्त मुख्य स्वास्थ्य सचिव को 19 अक्टूबर को हाईकोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने एसीएस को शपथ पत्र पेश कर यह बताने को कहा है कि अदालती आदेश के बावजूद भी बकाया भुगतान क्यों नहीं किया गया. वहीं, अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि इस दौरान आदेश की पालना कर ली जाती है तो एसीएस को पेश होने की जरूरत नहीं है. जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल ने यह आदेश रसमुद्दीन व अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
AAG ने 2 हफ्ते का मांगा समय : सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने आदेश की पालना के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है. इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बीते करीब पांच साल में भी विभाग ने आदेश की पालना में बकाया भुगतान नहीं किया है. ऐसे में यदि बकाया भुगतान नहीं किया जाता है तो विभाग के एसीएस अदालत में हाजिर होकर अपना जवाब पेश करें.
सीएचसी भिवाड़ी में संविदा पर नियुक्त थे याचिकाकर्ता : अवमानना याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सीएचसी भिवाड़ी में संविदा पर नियुक्त हुए थे. विभाग ने अक्टूबर 2018 में आदेश जारी कर इनकी सेवाएं समाप्त कर की दी. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को पुन: सेवा में लेने और बकाया वेतन देने के आदेश दिए थे. इसके बावजूद भी विभाग ने याचिकाकर्ताओं को न तो पुन: सेवा में लिया और न ही बकाया भुगतान किया. इस पर याचिकाकर्ताओं ने अदालत में अवमानना याचिका पेश की. जिस पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए अदालत ने विभाग के अवमाननाकर्ता अफसरों को नोटिस जारी कर तलब किया. इस पर विभाग ने याचिकाकर्ताओं को पुन: सेवा में ले लिया, लेकिन बकाया भुगतान नहीं किया गया. इस पर अदालत ने विभाग के एसीएस को तलब किया है.