जयपुर. राजस्थान में बर्ड फ्लू का कहर जारी है. एक के बाद एक कौओं की मौत की खबरें सामने आ रही है. झालावाड़ में सबसे पहले कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी. कौओं की मौत को लेकर वन विभाग और पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर है.
झालावाड़ के बाद बारां, जयपुर, कोटा, पाली, बीकानेर और जोधपुर में भी लगातार कौओं की मौत के मामले सामने आ रहे हैं. प्रदेश में मुर्गी पालन व्यवसाय की सुरक्षा को लेकर भी पशुपालन विभाग ने एतिहातन तैयारी की है. वहीं, मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आपात बैठक की और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. इस बैठक में पशुपालन एवं कृषि मंत्री लालचंद कटारिया भी मौजूद रहे.
राजस्थान में भी होगी जांच लैब की स्थापना, कृषि मंत्री ने दिए संकेत...
मंगलवार को पशुपालन एवं कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा के साथ आपात बैठक बुलाई. मीटिंग के बाद कटारिया ने मीडिया से कहा बर्ड फ्लू का मामला चिंता का विषय है. पोल्ट्री के लिए हमें पहले से चिंता करनी होगी. उन्होंने बताया कि झालावाड़, बारां, कोटा में बर्ड फ्लू रिपोर्ट पॉजिटिव आई है लेकिन जोधपुर में रिपोर्ट नेगेटिव आई है जो खुशी की बात है. कृषि मंत्री के मुताबिक खुद मुख्यमंत्री भी इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. राजस्थान में भी जांच लैब की स्थापना की मंशा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा है कि इसके लिए कवायद जारी है.
कहां कितनी मौत...?
⦁ झालावाड़- 122
⦁ कोटा- 48
⦁ बारां- 72
⦁ पाली- 19
⦁ जोधपुर-13
⦁ गंगापुर- 20
⦁ सवाईमाधोपुर- 22
⦁ जयपुर- 51
अन्य पक्षी...
⦁ बगुला- 5
⦁ मुर्गियां- 200 से ज्यादा
⦁ कोयल- 3
⦁ कबूतर- 25
⦁ मोर- 22
अब तक क्या किया सरकार ने...
⦁ विशेषज्ञ दल गठित
⦁ कोटा, जोधपुर, भरतपुर, अजमेर संभाग में जांच
⦁ भरतपुर के केवलादेव उद्यान जायजा लेंगे
⦁ मृत पक्षियों को पीपीई किट पहनकर गड्ढे में जलाया
⦁ पशुपालन विभाग करेगा ऑनलाइन पोलट्री फॉर्म संचालकों से संवाद
⦁ कंट्रोल रूम नंबर- 0141-2374617
पोकरण में भी मामले आए सामने...
पोकरण में भी मंगलवार को आधा दर्जन मृत अवस्था में कौए मिले हैं. क्षेत्र के धोलिया गांव में अलग-अलग स्थानों पर पशु चिकित्सकों की टीम पहुंची है. जहां से सैंपल जुटाए गए हैं. कौओं की मौत के पीछे बर्ड फ्लू की आशंका जताई जा रही है.
पाली में बनाए 8 कंट्रोल रूम...
पाली जिला कलेक्टर अंशदीप के निर्देश पर वन विभाग की ओर से जिले में आठ कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. इन आठ कंट्रोल रूम में 8 घंटे में तीन पारी में कर्मचारी क्षेत्र में कौओं की मौत पर निगरानी रखेंगे. आमजनता से भी बाग-बगीचों से दूर रहने की अपील की जा रही है. बता दें कि पाली में अब तक अलग-अलग क्षेत्रों में 50 से ज्यादा कौओं की मौत हो चुकी है. शनिवार से पाली के सुमेरपुर क्षेत्र से यह सिलसिला शुरू हुआ था. उसके बाद पाली शहर, चामुंडेरी, नीलकंठ महादेव, महावीर अस्पताल, लाखोटिया उद्यान, अटल उद्यान और करणी माता क्षेत्र में कौओं की मौत हुई थी. वन विभाग और पशुपालन विभाग की ओर से इनके शव का सैंपल भोपाल लैब में भेजे गए हैं.
400 से ज्यादा कौओं की मौत...
कौओं की मौत के बाद जांच के लिए सैंपल पशु रोग संस्थान भोपाल भेजे गए हैं. झालावाड़ में हुई कौओं की मौत में एवियन इनफ्लुएंजा की पुष्टि हुई है. पशुपालन विभाग प्रभावित क्षेत्रों में मृत पक्षियों के शवों का वैज्ञानिक रूप से निस्तारण करने में जुटा है. पशुपालन विभाग के मुताबिक, प्रदेश में करीब 400 से ज्यादा कौओं की मौत हो चुकी है.
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राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित...
इसके साथ ही सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मृत्यु की निगरानी के लिए एक विशेषज्ञ दल सप्ताह में 1 दिन सांभर झील का दौरा करेगा. पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि स्थिति पर नजर रखने के लिए पशुपालन विभाग ने राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं, जिसका नंबर 0141-2374617 है. किसी भी आपात स्थिति के लिए कंट्रोल रूम में संपर्क किया जा सकता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट...
बर्ड्स एक्सपर्ट रोहित गंगवाल ने बताया कि झालावाड़ में ब्लू फ्लू से कौओं की मौत हुई है, बर्ड फ्लू के सभी स्ट्रेंज घातक होते हैं. यह संक्रमण इंसानों में भी फैलने का खतरा रहता है. बर्ड फ्लू लगातार पक्षियों में फैल रहा है. झालावाड़ में प्रदूषित वातावरण भी संक्रमण की वजह मानी जा रही है. मृत जीव से यह संक्रमण जल्दी फैलता है. जब एक कौए की मौत हो जाती है तो काफी संख्या में अन्य कौए वहां एकत्रित हो जाते हैं. जिससे संक्रमण दूसरे कौओं में फैल जाता है. बर्डस एक्सपर्ट ने कहा कि बर्ड फ्लू से पक्षियों को बचाना बहुत जरूरी है.
केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के लिए एजवाइजरी जारी...
प्रदेश सरकार ने भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के लिए भी एडवाइजरी जारी कर दी है. पक्षी विशेषज्ञ एवं पर्यावरणविद् डॉ. सत्य प्रकाश मेहरा की मानें तो इस इनफ्लुएंजा से बचाव के लिए घना प्रशासन के साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी अलर्ट रहकर आसपास के माहौल पर पूरी नजर रखनी होगी.
पक्षियों की मौत के मामले में प्रॉपर तरीके से जांच पड़ताल होनी चाहिए. जानकारों के मुताबिक बर्ड फ्लू देश में पहली बार 2006 में महाराष्ट्र और गुजरात में फैला था. तब 10 लाख पक्षियों की मौत हुई थी. देश में अब तक 49 बार अलग-अलग राज्यों में यह बीमारी फैल चुकी है. अक्टूबर 2016 और फरवरी 2017 के दौरान देश के 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी. इसके बाद 6 जून 2017 में भारत के कृषि मंत्रालय ने एवियन इनफ्लुएंजा एच-5, एन-8 और एच-5 एन-1 से मुक्त घोषित किया और इसकी सूचना भी विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन को दी गई थी.
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आखिरी बार कर्नाटक के बीदर जिले के हुमनाबाद में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए थे. इसे फैलने से रोकने के लिए 1 किलोमीटर की परिधि में आने वाले इलाकों में पक्षियों को मारने और साफ सफाई का काम किया गया था.
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बढ़ाई गई सतर्कता...
कोटा संभाग में रविवार को भी 65 पक्षियों की मौत सोमवार शाम तक दर्ज की गई है. बर्ड फ्लू के खतरे को देखते हुए मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है. उपवन संरक्षक बीजू जोये ने बताया कि झालावाड़ में कौओं की मौत का सिलसिला चल रहा है, इसको देखते हुए झालावाड़ और कोटा जिले की सीमा से सटे मुकुंदरा रिजर्व के सभी रेंजर्स और एसीएफ को पाबंद कर दिया गया है.