जयपुर. राजस्थान स्थापना दिवस 30 मार्च को मनाया जा है. साल 1949 को राजस्थान की रियासतों की एकीकरण का काम पूरा किया गया था और इस काम में वल्लभभाई पटेल और भारत सरकार के प्रमुख सचिव वी पी मेनन की भूमिका खासा अहम थी. राजस्थान में मौजूद 19 रियासत, 3 ठिकाने और अजमेर के रूप में 1 केंद्र शासित प्रदेश थे. संपूर्ण राजस्थान बनाने में एक लंबी प्रक्रिया का दौर चला.
माना जाता है कि राजस्थान के इस नक्शे को तैयार होने में करीब 8 वर्ष और 7 महीने 14 दिन लगे थे. इस दौरान पूरे भारत में छोटी-बड़ी 565 रियासतें थी, जिनमें से 562 रियासतों ने भारत में अपना विश्वास जताया था, लेकिन राजस्थान का एकीकरण पूरी प्रक्रिया में चुनौतीपूर्ण था. हैदराबाद और कश्मीर के अलावा जूनागढ़ जहां भारत में शामिल होने के लिए तैयार नहीं थे. वहीं, जोधपुर के लिए भी फैसला लेना काफी कठिन था.
यह रहे एकीकरण के सात चरण : इतिहासकार जितेंद्र सिंह शेखावत बताते है कि आज नजर आने वाला राजस्थान मूर्त रूप में आने से पहले 7 चरणों के दौर से गुजरा था. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन रेवती नक्षत्र में मौजूदा वृत्त राजस्थान का स्वरूप देखने को मिला था. सात चरण की इस प्रक्रिया में सबसे पहले मत्स्य प्रदेश ने आकार लिया था. जब 18 मार्च 1948 को मत्स्य संघ की स्थापना हुई थी. इस दौरान राजधानी अलवर थी और धौलपुर के महाराजा उदय भान सिंह इस के राज प्रमुख नियुक्त किए गए थे. इसके बाद द्वितीय चरण में 25 मार्च 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड, टोंक, किशनगढ़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और शाहपुरा रियासतों को मिलाकर पूर्व राजस्थान का निर्माण किया गया.
जितेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि कोटा को इसकी राजधानी और महाराव भीमसिंह को राजप्रमुख बनाया गया. इसके बाद उदयपुर रियासत को मिलाकर 18 अप्रैल 1948 को तीसरे चरण के तहत संयुक्त राजस्थान बना. जिसकी राजधानी उदयपुर रही और महाराणा भूपाल सिंह को इसका राज्य प्रमुख बनाया गया. वहीं, कोटा के महाराव भीमसिंह उप राज्य प्रमुख पर नियुक्त हुए. माणिक्य लाल वर्मा के अगवाई में संयुक्त राजस्थान का मंत्रिमंडल बना, इस दौरान प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसका उद्घाटन किया.
इतिहासकार ने बताया कि एकीकरण के चौथे दौर में 14 जनवरी 1949 को जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, लावा और जैसलमेर रियासतों को राजस्थान में मिलाया गया. बीकानेर रियासत ने सबसे पहले भारत में विलय किया. 30 मार्च 1949 को जयपुर में रहते राजस्थान का सिटी पैलेस में उद्घाटन हुआ. जहां उसकी राजधानी जयपुर को बनाया गया और महाराजा मानसिंह को राज्य प्रमुख नियुक्त किया गया. जबकि कोटा के महाराव भीमसिंह को उप राज्य प्रमुख बनाया गया. यही वह दिन था जब 30 मार्च को राजस्थान दिवस घोषित किया गया. उसके बाद पांचवें चरण हुआ, जिसमें शंकरराव देव समिति की सिफारिश पर 15 मई 1949 को मत्स्य संघ का वृहद राजस्थान में विलय हुआ. वहीं नीमराना को भी इसमें शामिल कर लिया गया, फिर 26 जनवरी 1950 को संयुक्त विशाल राजस्थान में सिरोही के विलय हो जाने पर इसका नाम 'राजस्थान' कर दिया गया.
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इतिहासकार जितेंद्र सिंह शेखावत के अनुसार, 26 जनवरी, 1950 को राजस्थान को 'B' या 'ख' श्रेणी का राज्य बनाया गया. इसके बाद राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के आधर पर साल 1 नवम्बर 1956 को अजमेर-मेरवाड़ा, आबू तहसील को राजस्थान में शामिल कर लिया गया. इस चरण में कुछ हिस्सों को जोड़कर और घटाकर भौगोलिक और सामाजिक खामियों को सुधारा गया. यही से राजप्रमुख और महाराज प्रमुख पद समाप्त हुआ और राज्यपाल पद का सृजन किया गया. इसके बाद सातवें चरण में अजमेर को 26वां जिला बनाया गया.
राजस्थान के एकीकरण के 7 चरण
- मत्स्य संघ (मत्स्य यूनियन)
- राजस्थान संघ / पूर्व राजस्थान (राजस्थान यूनियन )
- संयुक्त राजस्थान (यूनाइटेड स्टेट आँफ राजस्थान)
- वृहत् राजस्थान (ग्रेटर राजस्थान)
- संयुक्त वृहत / वृहतर राजस्थान (यूनाइटेड स्टेट आँफ ग्रेटर राजस्थान)
- राजस्थान संघ (यूनाइटेड स्टेट)
- वर्तमान राजस्थान (रि-आर्गेनाइजेशन राजस्थान)
राजस्थान के एकीकरण के प्रमुख तथ्य
- 26 जनवरी 1950 को राजपूताना का नाम बदलकर राजस्थान रखा गया.
- 26 जनवरी 1950 को राजस्थान को ‘ख व B’ श्रेणी का दर्जा दिया गया.
- राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवम्बर 1956 को आया.
- 1 नवम्बर को प्रत्येक वर्ष राजस्थान स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है.
- 30 मार्च को प्रत्येक वर्ष राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है.
- रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली प्रथम रियासत बीकानेर थी.
- रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली अंतिम रियासत धौलपुर थी.