जयपुर. प्रदेश में एक साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव (Rajasthan Vidhansabha Election 2023) की तैयारियां और आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक 12 और 13 नवंबर को झुंझुनू में होने जा रही है. कार्य समिति की बैठक में पार्टी की आगामी रणनीति और कार्यक्रमों पर चर्चा होगी. लेकिन इस बार बीजेपी ने कार्यसमिति की बैठक के लिए शेखावाटी को चुना है. इस बैठक के जरिए पिछले विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार वाले जिलों को मजबूत करने की कोशिश है.
शेखावाटी वो क्षेत्र है जहां बीजेपी की स्थिति काफी कमजोर है. 2018 के विधानसभा चुनाव में शेखावाटी के तीन जिलों की 21 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को तीन सीटें मिल पाई थी. शेष पर कांग्रेस और एक कांग्रेस समर्थित निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी.
शेखावाटी का राजनीतिक महत्व- देश को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाला शेखावाटी अंचल सियासत के मोर्चे पर भी अग्रिम पंक्ति पर रहा है. प्रदेश के दोनों बड़े राजनीतिक दलों की कमान शेखावाटी क्षेत्र के नेताओं के हाथ आ गई है. राजस्थान की राजनीति में पहले शेखावाटी में कांग्रेस का ही एक अधिकारी था, जिसे 1975 तक किसी ने चुनौती नहीं दी थी. हालांकि, इमरजेंसी में कांग्रेस की पकड़ यहां ढीली हुई, 1977 में राजस्थान में जनता पार्टी की सरकार बनी. भैरों सिंह शेखावत राज्य के पहले गैर-कांग्रेसी सीएम बने. शेखावत के सीएम बनने से शेखावाटी में बीजेपी की स्थिति मजबूत हुई. जाट बहुल इस क्षेत्र में साल 1999 में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से जाट आरक्षण की घोषणा से बीजेपी के वोट बैंक का विस्तार हुआ.
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शेखावाटी से पहले भैरोसिंह शेखावत तो अब जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति बने. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां शेखावाटी का राजनीतिक महत्व समझती हैं. खास तौर से पिछले चुनाव में भाजपा को शेखावाटी में करारी हार मिली थी. इसी को देखते हुए भाजपा ने इस क्षेत्र पर विशेष फोकस किया है. यही वजह है कि पिछले दिनों गहलोत सरकार के खिलाफ किसान सम्मेलन भी झुंझुनू में ही हुआ.
बैठक के लिए शेखावाटी को चुना- कार्यसमिति की बैठक के लिए इस बार पार्टी के नेतृत्व ने शेखावाटी अंचल को चुना है. झुंझुनू में दो दिनों तक होने वाली कार्यसमिति की बैठक को आगामी विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल, विधानसभा चुनाव 2018 में सीकर जिले की 8 विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. साथ ही झुंझुनू जिले की पिलानी, झुंझुनू, मंडावा, नवलगढ़, उदयपुरवाटी और खेतड़ी में कांग्रेस पार्टी का कब्जा है. हालांकि, साल 2018 में विधानसभा चुनाव में मंडावा में भाजपा की जीत हुई थी, लेकिन मंडावा से विधायक बने नरेंद्र खीचड़ के सांसद बनने के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी. उपनेता प्रतिपक्ष की चूरू विधानसभा सीट को छोड़ दे तो बाकी सीटों पर कांग्रस का कब्जा है.
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शेखावाटी का राजनीतिक गणित- शेखावाटी में तीन जिले आते हैं, चूरू, सीकर और झुंझुनू. इन तीन जिलों में 21 विधानसभा सीट है, जिनमें से 18 पर कांग्रेस का कब्जा था. हालांकि, सरदार शहर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक भंवर लाल शर्मा के निधन के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है. वर्तमान में देखें तो 16 कांग्रेस के पास है और एक कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक यानी 17 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. जबकि बीजेपी के पास सिर्फ 3 सीट है.
- चूरू जिला- सुजानगढ़, सादुलपुर, तारा नगर और रतनगढ़ कांग्रेस के पास है. जबकि चूरू विधानसभा सीट भाजपा के खाते में है. वहीं, सरदार शहर जो कांग्रेस के पास थी उस पर उपचुनाव हो रहा है.
- सीकर जिला- नीमकाथाना, धोद, सीकर, दातारामगढ़, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर और श्रीमाधोपुर कांग्रेस के पास है. जबकि खंडेला कांग्रेस के समर्थित निर्दलीय विधायक हैं. यहां एक भी सीट बीजेपी के खाते में नहीं है.
- झुंझुनू जिला- नवलगढ़, मंडावा कुमारी, झुंझुनू, उदयपुरवाटी, सूरजगढ़ और खेतड़ी कांग्रेस के खाते में है. जबकि पिलानी एक मात्र सीट बीजेपी के पास है.
पहली बार सांसद और विधायक होंगे शामिल- 12 नवंबर को जहां प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक होगी तो वहीं 13 नवंबर को कार्यसमिति की बैठक के दूसरे दिन प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, सह प्रभारी विजया राहटकर, भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर शामिल होंगे. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि 13 नवंबर को पार्टी और संगठन की कार्यसमिति की बैठक होगी. पहली बार कार्यसमिति को बैठक में सांसद, विधायक और पार्टी के प्रमुख नेता शामिल होंगे. बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा होगी. इससे पहले 12 नवंबर को पदाधिकारियों के सह बैठक होगी जिसमे अगले तीन से चार महीने के कार्ययोजना पर चर्चा होगी.