जयपुर. प्रदेश बीजेपी में अध्यक्ष पद में बदलाव हो गया, सांसद सीपी जोशी के रूप में नया प्रदेशाध्यक्ष मिल गया है. नए प्रदेशाध्यक्ष के पदभार ग्रहण के बाद अब संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. हालांकि इस साल विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में माना जा रहा है जोशी ज्यादा बड़ा बदलाव तो नहीं करेंगे, लेकिन चुनाव में मिशन मोड पर काम किया जा सके, इसके लिए जरूर अपने भरोसेमंद को शामिल किया जा सकता है. चर्चा ये भी है कि इस बदलाव में जातिगत समीकरण का ध्यान रखा जाएगा. ऐसे में युवा मोर्चा में बड़े बदलाव के संकेत नजर आ रहे हैं.
जोशी दिल्ली के लिए रवाना - चितौड़गढ़ से सांसद सीपी जोशी को केंद्रीय नेतृत्व ने 23 मार्च को राजस्थान का अध्यक्ष नियुक्त किया, उसके चार दिन बाद यानी 27 मार्च को सीपी जोशी ने कार्यकर्ताओं के जनसमूह के बीच अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाल लिया. इसके साथ जोशी ने कार्यकर्ताओं से आह्वान भी किया कि अगले 6 महीने न सोना है न सोने देना है. मतलब साफ है, विधानसभा चुनाव में समय कम है, ऐसे में आक्रामक रुख के साथ जनता के बीच मे पार्टी के पक्ष में माहौल बनाना है. जोशी पदभार ग्रहण करने के साथ देर रात दिल्ली के लिए निकल गए. अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले दो से तीन दिन में केंद्रीय नेतृत्व की अनुमति के साथ संगठन में बदलाव किया जाएगा.
पहले अध्यक्ष फिर उपाध्यक्ष का अनुभव - वरिष्ठ पत्रकार श्यामसुंदर शर्मा बताते हैं कि सीपी जोशी खुद वर्तमान प्रदेश कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष पद पर थे, इससे पहले वो युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. ऐसे में उनको इस बात की पूरी जानकारी है कि कौन सा पदाधिकारी कितना एक्टिव है और कौन निष्क्रिय है. जोशी के सामने 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव बड़ी जिम्मेदारी है. ऐसे में उनकी कोशिश होगी कि मजबूत टीम के साथ काम किया जाए. शर्मा ने बताया कि चुनावी साल है, इसलिए जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही बदलाव किया जाएगा. किसी भी विरोध या नाराजगी से बचने के लिए कुछ पुराने चेहरों को भी कार्यकारिणी में रखा जाएगा, जबकि पुराने विवाद को खत्म करने के लिए पिछले कुछ सालों से संगठन स्व दूर नेताओं को शामिल किया जाएगा. जिसमें वसुंधरा समर्थकों के नाम शामिल किए जा सकते हैं.
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यहां हो सकता है बदलाव - प्रदेश बीजेपी में सात मोर्चा हैं, युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, ऐसी मोर्चा, एसटी मोर्चा, किसान मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा. इनमें से ज्यादातर का भी कार्यकाल तीन साल का होने वाला है. कुछ मोर्चों के प्रदेशाध्यक्ष भी बदले जा सकते हैं, बदलाव के समय जातिगत समीकरण का विशेष ध्यान रखा जाएगा. प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण समाज से है, ऐसे में युवा मोर्चा के अध्यक्ष हिमांशु शर्मा की जगह किसी जाट या गुर्जर समाज का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. अन्य मोर्चों में भी बदलाव किया जा सकता है, उसमें महिला मोर्चा शामिल है. सूत्रों की मानें तो प्रदेश कार्यकारिणी में भी बदलाव होने के आसार हैं, जो नेता पिछले अध्यक्ष के समय हाशिए पर थे, उन्हें नई टीम में शामिल किया जा सकता है.
गुटबाजी को खत्म करने के लिए विस्तार - वरिष्ठ पत्रकार श्यामसुंदर शर्मा ने बताया इस साल के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर सीपी जोशी नजरें हैं. ऐसे में पार्टी की गुटबाजी को खत्म करने की दिशा में जोशी पहला काम संगठन में बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है. माना जा रहा है सभी गुटों के लोगों को कार्यकारिणी, मोर्चा में जगह मिल सकती है, ताकि कोई भी खेमा नाराज नहीं हो. इसमें इस बात की भी बड़ी सम्भावना जताई जा रही है कि हटाने से ज्यादा जोड़ने का काम किया जा सकता है, जिससे कोई नाराज नहीं हो. और जो नाराज हैं, उन्हें संगठन में जगह मिलने से नाराजगी खत्म हो जाए.