जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की है. हालांकि, बीजेपी की ओर से सीएम कौन होगा, इसको लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का अपने समर्थक विधायक के साथ मुलाकात कर अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी शिर्ष नेतृत्व को इस बात की ओर इशारा कर दिया गया कि उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. चुनाव में बीजेपी ने 115 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की, इसमें वसुंधरा कैंप की ओर से दावा किया जा रहा है कि ज्यादातर विधायक चाहते हैं कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बनें. राजे ने भी अपनी ताकत का एहसास सोमवार को अपने आवास पर विधायकों से मुलाकात कर करा दिया. दवा किया जा रहा है कि 45 से ज्यादा विधायकों ने वसुंधरा राजे से मुलाकात की.
सीएम को लेकर दिल्ली में मंथन : प्रदेश में बीजेपी को बहुमत मिलने के बाद अब मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है. इस बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात की और प्रदेश की विधानसभा चुनाव को लेकर जानकारी दी. बताया जा रहा है कि इस बैठक में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर भी चर्चा हुई है. अब आज-कल में पार्टी शिर्ष नेतृत्व की ओर से पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाएगा और वह जयपुर में विधायक दल की बैठक कर विधायकों से सीएम के नाम को लेकर सुझाव लेगा. इसके बाद मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में होगा, लेकिन उससे पहले ही जिस तरह से वसुंधरा राजे अपने आवास पर विधायकों से मुलाकात कर ये दिखाया दिया कि उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
45 से ज्यादा विधायकों का दावा : सोमवार को सुबह से सिविल लाइन 13 नम्बर बंगले पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का विधायकों के साथ मुलाकात का दौर शुरू हुआ जो देर रात तक चला. गजेंद्र सिंह खींवसर, कालीचरण सराफ, पुष्पेंद्र सिंह बाली, प्रताप सिंह सिंघवी, प्रेमचंद बैरवा, शंकर सिंह रावत, सुरेश रावत, मंजू बाघमार, विजय सिंह चौधरी, गोपीचंद मीणा, कन्हैयालाल चौधरी, शत्रुघ्न गौतम, गोविंद रानीपुरिया, कंवरलाल मीणा, राधेश्याम बैरवा, कालूलाल, बहादुर सिंह कोली, कैलाश वर्मा, रामस्वरूप लांबा, ललित मीणा, बाबू सिंह राठौड़ सहित कई विधायक राजे से मिलने पहुंचे.
वसुंधरा राजे कैंप से जुड़े नेताओं का दावा है कि 45 से ज्यादा विधायकों ने राजे से मुलाकात की. हालांकि, ये मुलाकात सामान्य शिष्टाचार बताई जा रही है, लेकिन राजनीति में कभी कुछ भी सामान्य नहीं होता. इसलिए इन मुलाकातों को राजनीति के चश्मे से देखा जा रहा है और माना जा रहा है कि राजे ने अब शिर्ष नेतृत्व को ये दिखाने की कोशिश की है कि चुनाव में भले ही उन्हें फेस नहीं बनाया गया, लेकिन आज भी 115 जीत कर आने वाले विधायकों में उन विधायकों की संख्या ज्यादा है जो उन्हें सीएम के रूप में देखना चाहते हैं.
ये विधायक माने जाते हैं राजे समर्थक : कुलदीप धनखड़ - विराटनगर, कालीचरण सराफ - मालवीयनगर, कैलाश वर्मा - बगरु, प्रेमचंद बैरवा - दूदू, रामअवतार बैरवा - चाकसू, जसवंत यादव - बहरोड़, अलवर शहर - संजय शर्मा, शंकर सिंह रावत - ब्यावर, सुरेश रावत - पुष्कर, अनिता भदेल - अजमेर दक्षिण, रामस्वरूप लांबा - नसीराबाद, शत्रुघ्न गौतम - केकड़ी, मंजू बाघमार - जायल, कजय सिंह किलक - डेगाना, जब्बर सिंह सांखला - आसींद, सिद्धी कुमारी - बीकानेर पूर्व, अंशुमन भाटी - कोलायत, डॉ. विश्वनाथ - खाजूवाला, गुरवीर सिंह - सादुलशहर, संजीव बेनीवाल - भादरा, पुष्पेंद्र राणावत - बाली, गजेंद्र सिंह खींवसर - लोहावट, बाबुसिंह राठौड़ - शेरगढ़, भैराराम चौधरी - ओसियां, अर्जुनलाल गर्ग - बिलाड़ा, छोटू सिंह भाटी - जैसलमेर, महंत प्रतापपुरी - पोकरण, अरुण अमराराम चौधरी - पचपदरा, हमीर सिंह भायल - सिवाना, केके विश्नोई - गुढ़ामालानी, ओटाराम देवासी - सिरोही, समाराम गरासिया - पिंडवाड़ा आबु, जोगाराम पटेल - लूणी, श्रीचंद कृपलानी - निंबाहेड़ा, हेमंत मीणा - प्रतापगढ़, कैलाश मीणा - गढ़ी, प्रताप गमेती - गोगुंदा, हरिसिंह चौहान - भीम, कंवरलाल मीणा - अंता, राधेश्याम बैरवा - बारां, ललित मीणा - किशनगंज, प्रताप सिंह सिंघवी - छबड़ा, कालूलाल मेघवाल - डग, गोविंद प्रसाद रानीपुरिया - मनोहर थाना.
निर्दलीय भी राजे के समर्थक : वहीं, निर्दलीय विधायकों की बात की जाए तो आधा दर्जन से ज्यादा निर्दलीय जीत कर आने वाले विधायक वसुंधरा कैंप के माने जा रहे हैं, जिसमें यूनुस खान भी वसुंधरा के सबसे करीबी माने जाते रहे हैं. डीडवाना से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत हासिल की. इसी तरह से अनीता सिंह, चंद्रभान सिंह और रविन्द्र भाटी राजे के समर्थक माने जाते हैं. खास बात है कि जिन विधायकों ने वसुंधरा राजे से मुलाकात की उनमें से ज्यादा ने भले ही ये कहा कि मुख्यमंत्री का फैसला संसदीय बोर्ड तय करेगा, लेकिन साथ में उन्हें उस बात को भी मजबूती से रखा कि पहली पसंद तो वसुंधरा राजे ही हैं.