जयपुर. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद राजस्थान की राजनीति में भी साधु-संतों का दखल बढ़ता चला गया. नतीजन इस बार एक नहीं दो नहीं बल्कि पांच संत प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं. इनमें बीजेपी ने चार जबकि कांग्रेस ने एक धर्म गुरु को टिकट दिया है. वहीं एक धर्मगुरु परिवार से आने वाली प्रत्याशी पर भी दाव खेला है.
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में इस बार साधु-संतों के चेहरों पर वोट मांगे गए हैं. बीजेपी ने राजधानी की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट हवामहल से बालाजी हाथोज धाम के महंत बालमुकुंद आचार्य को टिकट देकर न केवल हवामहल बल्कि आदर्श नगर और किशनपोल विधानसभा सीट के हिंदू वोट बैंक को साधने की कोशिश की है. इसके अलावा बीजेपी ने अलवर से सांसद महंत बालकनाथ को इस बार तिजारा विधानसभा सीट से टिकट देकर चुनाव पर भगवा रंग चढ़ाया.
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वहीं देवासी समाज से आने वाले चामुंडा माता मंदिर के पुजारी ओटाराम देवासी को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा गया है. देवासी 2013 में वसुंधरा सरकार में मंत्री भी रहे थे. इसके अलावा 2018 विधानसभा चुनाव में चंद वोटों से हारे महंत प्रतापपुरी पर एक बार फिर दाव खेला है. हालांकि यहां प्रताप पुरी का मुकाबला मुस्लिम धर्मगुरु गाजी फकीर के बेटे सालेह मोहम्मद से होना है. जो खुद धर्मगुरु श्रेणी में ही आते हैं. वर्तमान कांग्रेस सरकार में भी सालेह मोहम्मद मंत्री रहे हैं. ऐसे में इस बार पोकरण सीट पर दो धर्म गुरु के बीच होने वाला चुनावी रण रोचक रहेगा.
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जयपुर की हवामहल सीट से बीजेपी प्रत्याशी बालमुकुंद आचार्य, तिजारा से बीजेपी के बाबा बालकनाथ, पोकरण से बीजेपी प्रत्याशी प्रताप पुरी महाराज, सिरोही से बीजेपी प्रत्याशी ओटाराम देवासी और पोकरण से कांग्रेस ने सालेह मोहम्मद को प्रत्याशी के रूप में उतारा है.
इनके अलावा कांग्रेस ने मालवीय नगर विधानसभा सीट से संत धर्मेंद्र आचार्य की पुत्रवधू डॉ अर्चना शर्मा को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने भले ही साधु-संतों को टिकट कम दिए हो. लेकिन सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर उतरकर उनके प्रत्याशी मंदिरों में ढोक लगा रहे हैं. राम नाम पर वोट भी मांग रहे हैं. यही नहीं सिंधी समाज से आने वाली साध्वी अनादि जो बीजेपी से टिकट मांग रही थी, उन्हें खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस ज्वाइन करवाई. ऐसे में जो बीजेपी कांग्रेस को तुष्टीकरण के मुद्दे पर घेरती आई है, वहीं इस बार कांग्रेस बीजेपी को हिंदुत्व के मुद्दे पर टक्कर दे रही है.