जयपुर. प्रदेश में 19 नए जिले और 3 नए डिवीजन बनाए जाने की घोषणा के साथ ही कुल जिलों की संख्या 50 और डिवीजन की संख्या 7 से बढ़कर 10 हो गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को विधानसभा में इसकी घोषणा की थी. नए बनाए गए डिवीजन (संभागों) में बांसवाड़ा, पाली व सीकर हैं. वहीं, नए जिलों में जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, दूदू, कोटपूतली, जोधपुर के जोधपुर पूर्व, जोधपुर पश्चिम, फलोदी, श्रीगंगानगर के अनूपगढ़, बाड़मेर के बालोतरा, अजमेर के ब्यावर, केकड़ी, भरतपुर में डीग, नागौर में डीडवाना-कुचामनसिटी, सवाईमाधोपुर के गंगापुर सिटी, अलवर से खैरथल, सीकर में नीम का थाना, उदयपुर में सलूंबर, जालोर के सांचौर और भीलवाड़ा के शाहपुरा को नया जिला बनाया गया है.
रिटायर्ड IAS रामलुभाया की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी ने जहां एक ओर इन सिफारिशों को मंजूर किया, वहीं दूसरी ओर 40 से ज्यादा शहरों की जिला बनने की उम्मीद भी धूमिल हो गई. ऐसे में अब इन शहरों से सरकार के खिलाफ आवाज मुखर होकर सामने आ रही है. सोमवार को प्रदेश के आधा दर्जन शहरों में बंद का आह्वान किया गया है.
प्रदेश के किन शहरों से उठी है मांग : राजस्थान में नए जिलों की मांग को लेकर जारी आंदोलन के बीच सरकार ने घोषणा तो कर दी, लेकिन नाराज शहरों की लिस्ट भी लंबी हो गई. चूरू जिले के सुजानगढ़ को नए जिलों की लिस्ट में शामिल नहीं किए जाने से नाराज एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की. स्थानीय विधायक मनोज मेघवाल और भंवरलाल पुजारी के नेतृत्व में इस प्रतिनिधिमंडल ने सीएम गहलोत के सामने अपनी मांगों को रखा. साथ ही सुजानगढ़ को जिला घोषित करने के संबंध में विचार किए जाने की मांग की. इससे पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने भी सुजानगढ़ को जिला बनाए जाने की मांग की थी. इसके साथ ही उन्होंने जिले के लिए संघर्षरत आंदोलन को अपना समर्थन भी दिया.
जालोर जिले के भीनमाल को जिला बनाने की मांग को लेकर आज शहर पूर्णतया बंद है. भीनमाल जिला बनाओ संघर्ष समिति बैनर तले हजारों की संख्या में लोग रानीवाड़ा, जसवंतपुरा और बागोड़ा से भीनमाल SDM कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन करने पहुंचे. दूसरी ओर श्रीगंगानगर के अनूपगढ़ को जिला बनाने की घोषणा के बाद जिले का सूरतगढ़ कस्बा आज बंद है. सूरतगढ़ जिला बनाओ अभियान समिति ने बंद का आह्वान किया है. इस बंद को सभी व्यापारिक और सामाजिक संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है. वहीं, रंगमहल सरपंच विजय सिंह ताखर ने CM को अपना इस्तीफा भेज दिया है.
हनुमानगढ़ जिले में नोहर कस्बा में आज बंद रखा गया है. नोहर जिला बनाओ संघर्ष समिति ने उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है. उनका कहना है कि नोहर जिला बनने के लिए हर मापदंड पर खरा उतरता है. नोहर मुख्यालय पर तमाम सरकारी दफ्तर मौजूद हैं, जैसे एडीएम कार्यालय, कन्या महाविद्यालय, बस डिपो, उप जिला राजकीय चिकित्सालय,एडिसनल एसपी ऑफिस. इसके अलावा नोहर भादरा क्षेत्र में जिला मुख्यालय की दूरी करीब 240 किलोमीटर है. ऐसे में अंतिम छोर के व्यक्ति को काफी दूरी तय करके हनुमानगढ़ जाना पड़ता है. अगर नोहर जिला बनता है तो आसपास के क्षेत्र लोगों को इसका फायदा मिलेगा.
उधर बीकानेर जिले के खाजूवाला और छतरगढ़ से भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं. स्थानीय लोग अपने कस्बों को नवगठित अनूपगढ़ जिले में शामिल किए जाने का विरोध जता रहे हैं. जल्द यह लोग आपदा राहत मंत्री गोविंद मेघवाल की बैनर तले जयपुर कूच करके मुख्यमंत्री से मिलेंगे. कोटा के रामगंज मंडी और बारां जिले के छबड़ा को जिला घोषित नहीं किए जाने का विरोध भी मुखर हो चुका है.
अलवर के तिजारा क्षेत्र को जिला घोषित नहीं किए जाने के विरोध में स्थानीय विधायक संदीप यादव ने नाराजगी जताई और साथ ही मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया. भिवाड़ी को उम्मीद थी कि नए जिलों की घोषणा में उसका नाम शामिल होगा, लेकिन शामिल न होने की वजह से अब वहां विरोध के स्वर उठ रहे हैं. उसी तरह से टोंक के मालपुरा में भी जिलों की घोषणाओं में शहर को शामिल न होने से विरोध शुरू हो गया है. वहीं, झालावाड़ के भवानी मंडी में भी जिला मुख्यालय से 135 किलोमीटर की दूरी की वजह से शहर को नया जिला बनाए जाने की मांग काफी समय से जारी थी. जयपुर जिले में फुलेरा और किशनगढ़ रेनवाल में भी नाराजगी का मसला कुछ इसी तरह का है.
जिलों के गठन के लिए क्या है जरुरी : राजस्थान में नये जिलों का गठन करीब 15 साल बाद हुआ है. 26 जनवरी 2008 को प्रतापगढ़ राजस्थान का 33वां जिला बना था. इसके पहले 12 जुलाई 1994 को हनुमानगढ़ जिले का गठन हुआ था. अब 15 साल बाद नए 19 जिले बने हैं. नए जिलों को गठित किए जाने के लिए जरूरी है कि उस शहर को जिला मुख्यालय से कम से कम 50 किलोमीटर दूर होना चाहिए. जिला स्तरीय कायार्लय जैसे कलक्ट्रेट, एसपी ऑफिस, जिला न्यायालय, राजकीय कॉलेज जैसे दफ्तरों के भवनों की बेसिक व्यवस्था होनी चाहिए. आस-पास के क्षेत्र, तहसील आदि को मिलाकर पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए. न्यूनतम 2 से 4 तहसील और उपखंड मुख्यालयों का शामिल होना भी एक जिले की घोषणा के लिए जरूरी होता है. भविष्य की प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करने के आर्थिक संसाधन मसलन क्षेत्र में सड़क, पानी, बिजली, चिकित्सा, शिक्षा और रेल परिवहन की उचित व्यवस्था का होना भी जरूरी है.