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पेट्रोल डीजल की किमतों को लेकर विरोध में उतरे प्राइवेट बस ऑपरेटर्स, कहा- सरकार दे बिना ब्याज के 2 लाख रुपये - परिवहन मंत्री खाचरियावास

राजस्थान में बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल (petrol and diesel) के दामों को लेकर लगातार विरोध देखने को मिल रहा है. अब प्राइवेट बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन (Private Bus Operators Association) ने भी विरोध शुरू कर दिया है. एसोसिएशन ने सरकार से CNG किट बसों में लगवाने के लिए बिना ब्याज के 2 लाख रुपये बिना शर्त आरसी सरेंडर रखने की मांग की है.

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पेट्रोल डीजल की किमतों को लेकर विरोध में उतरे प्राइवेट बस ऑपरेटर्स
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Published : Jun 14, 2021, 5:26 PM IST

जयपुर. प्रदेश में बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल (petrol and diesel) के दाम से आमजन को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही अब ट्रांसपोर्टर्स के द्वारा भी बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल के दाम को लेकर विरोध जताया जा रहा है. ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि सरकार को पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी करनी चाहिए. इसके साथ ही प्राइवेट बस ऑपरेटर्स के टैक्स को भी माफ करना चाहिए.

पेट्रोल डीजल की किमतों को लेकर विरोध में उतरे प्राइवेट बस ऑपरेटर्स

इसके साथ ही इन लोगों की यह भी मांग है कि सरकार सीएनजी किट बसों में लगवाने के लिए बिना ब्याज के 2 लाख रुपये राशि बिना शर्त आरसी सरेंडर करे. इसके साथ ही टैक्सी चालकों और ऑटो रिक्शा चालकों ने जल्दी ही सिटी पब्लिक ट्रांसपोर्ट संचालन की मांग भी रखी है.

इसे लेकर बीते दिनों ऑपरेटर और यूनियन के पदाधिकारी परिवहन मंत्री खाचरियावास (Transport Minister Khachariyawas) से भी मिले थे. प्राइवेट बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल जैन ने बताया- डीजल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में बसों का संचालन करना परेशानी भरा है.

अनिल जैन ने कहा- बसों में यात्री भार में भी गिरावट हुई है और डीजल के दामों में बढ़ोतरी के साथ ही बसों का संचालन करना संभव नहीं है. प्राइवेट बसों का किराया सरकार के द्वारा 2014 में तय किया गया था और उसके बाद से बस ऑपरेटर्स के लिए बसों का संचालन करना काफी चुनौतीपूर्ण है. क्योंकि 2014 के बाद से सभी चीजों के दामों में बढ़ोतरी हुई है.

सरकार को होगा 800 करोड़ का नुकसान-

उन्होंने आगे कहा- सरकार के द्वारा अभी भी बस ऑपरेटर्स (bus operators) को राहत नहीं दी गई तो प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा और इसके साथ ही वाहनों की समय पर फिटनेस नहीं होने के चलते सड़क दुर्घटनाओं में भी बढ़ोतरी हो सकती है.

जैन ने बताया कि अगर सरकार के द्वारा राहत नहीं दी गई तो प्राइवेट बस ऑपरेटर्स के पास एक ही रास्ता बचा है बसों का संचालन बंद करना. इससे सरकार को डीजल से मिलने वाले 800 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान भी होगा.

जयपुर. प्रदेश में बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल (petrol and diesel) के दाम से आमजन को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही अब ट्रांसपोर्टर्स के द्वारा भी बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल के दाम को लेकर विरोध जताया जा रहा है. ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि सरकार को पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी करनी चाहिए. इसके साथ ही प्राइवेट बस ऑपरेटर्स के टैक्स को भी माफ करना चाहिए.

पेट्रोल डीजल की किमतों को लेकर विरोध में उतरे प्राइवेट बस ऑपरेटर्स

इसके साथ ही इन लोगों की यह भी मांग है कि सरकार सीएनजी किट बसों में लगवाने के लिए बिना ब्याज के 2 लाख रुपये राशि बिना शर्त आरसी सरेंडर करे. इसके साथ ही टैक्सी चालकों और ऑटो रिक्शा चालकों ने जल्दी ही सिटी पब्लिक ट्रांसपोर्ट संचालन की मांग भी रखी है.

इसे लेकर बीते दिनों ऑपरेटर और यूनियन के पदाधिकारी परिवहन मंत्री खाचरियावास (Transport Minister Khachariyawas) से भी मिले थे. प्राइवेट बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल जैन ने बताया- डीजल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में बसों का संचालन करना परेशानी भरा है.

अनिल जैन ने कहा- बसों में यात्री भार में भी गिरावट हुई है और डीजल के दामों में बढ़ोतरी के साथ ही बसों का संचालन करना संभव नहीं है. प्राइवेट बसों का किराया सरकार के द्वारा 2014 में तय किया गया था और उसके बाद से बस ऑपरेटर्स के लिए बसों का संचालन करना काफी चुनौतीपूर्ण है. क्योंकि 2014 के बाद से सभी चीजों के दामों में बढ़ोतरी हुई है.

सरकार को होगा 800 करोड़ का नुकसान-

उन्होंने आगे कहा- सरकार के द्वारा अभी भी बस ऑपरेटर्स (bus operators) को राहत नहीं दी गई तो प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा और इसके साथ ही वाहनों की समय पर फिटनेस नहीं होने के चलते सड़क दुर्घटनाओं में भी बढ़ोतरी हो सकती है.

जैन ने बताया कि अगर सरकार के द्वारा राहत नहीं दी गई तो प्राइवेट बस ऑपरेटर्स के पास एक ही रास्ता बचा है बसों का संचालन बंद करना. इससे सरकार को डीजल से मिलने वाले 800 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान भी होगा.

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