जयपुर. अपने राजस्थान दौरे के पहले दिन मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने (Rajasthan contribution in women empowerment) राजभवन में संविधान पार्क का लोकार्पण किया. इसके बाद आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हर देशवासी को आज संवैधानिक और नैतिक रूप से जागृत होने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने राजभवन में संविधान उद्यान के निर्माण की भी सराहना की. राष्ट्रपति ने कहा कि इससे संविधान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ेगी. इस दौरान उन्होंने संविधान सभा की महिला (President Draupadi Murmu two day visit to Rajasthan) सदस्यों के योगदान के बारे में बताया और कहा कि आज देश, काल व परिस्थितियां तेजी से बदली हैं. महिलाएं सशक्त हुई हैं. जिसका प्रतिफल यह है कि आज देश में पंचायत से संसद तक महिलाएं अपनी उपस्थिति निरंतर बढ़ा कर राष्ट्र और समाज की सेवा कर रही हैं. उन्होंने कहा कि आज लोकसभा में 82 और राज्यसभा में 33 महिला सदस्य हैं. खैर, यह दृश्य पहली बार देखने को मिला है, जब संसद में सौ से अधिक महिला सांसद प्रतिनिधित्व कर रही हैं. वहीं, राष्ट्रपति ने इस अवसर पर संविधान निर्माण से जुड़ी विभूतियों के साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों को भी नमन किया.
संविधान उद्यान का लोकार्पण: राष्ट्रपति मुर्मू ने मंगलवार को राजभवन में संविधान उद्यान का लोकार्पण किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा और जीवंत लोकतंत्र है. साथ ही उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय, स्वतंत्रता, (Rajasthan big contribution in equality) समता और बंधुत्व के सिद्धांत पर संविधान का निर्माण किया. राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक परंपरा बहुत प्राचीन है. उन्होंने संविधान को जीवंत दस्तावेज बताते हुए कहा कि यह समय के साथ बदलती जनमानस की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में पूरी तरह से सक्षम है.
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संसद में बढ़ा महिलाओं का प्रतिनिधित्व: राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि राजस्थान का समानता और महिला सशक्तिकरण में बहुत बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने कहा कि बाल विवाह के खिलाफ हरविलास शारदा ने कानून बनाया. वो 1938 में ही कानून का मसौदा बना लिया था, जिसे बाद में शारदा एक्ट के नाम से जाना गया. लिहाजा यहां का इतिहास महिलाओं की गरिमा और सशक्तिकरण का है. राष्ट्रपति ने आगे कहा कि संविधान में महिलाओं का भी बड़ा योगदान रहा है. वहीं, आज देश के लिए गर्व की बात यह है कि आजाद भारत के मौजूदा संसद में सौ से (President Draupadi Murmu in Rajasthan ) अधिक महिला प्रतिनिधि हैं. वर्तमान में महिलाएं पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक अपनी भूमिका निभा रही हैं. ऐसे में आज हर व्यक्ति के प्रति संवेदनशीलता हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए. साथ ही भावी पीढ़ियों को अपनी आवश्यकता के अनुसार संविधान में बदलाव का भी पूरा अधिकार होना चाहिए. इसीलिए संविधान में संशोधन का भी प्रावधान है. अब तक 105 बार संविधान में संशोधन हो चुका है.
राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी ने यंग इंडिया में लिखा था कि वो ऐसे भारत के लिए काम करेंगे. जिसमें गरीब से गरीब आदमी को लगे कि सरकार चलाने में उसकी बातें भी मानी जा रही हैं. वहीं, संविधान सभा में शामिल 15 महिलाओं का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान सभा में सरोजनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, मालती चौधरी, बेगम एजाज रसूल जैसी प्रतिनिधियों ने अहम सुझाव दिए थे.
संविधान उद्यान में दिखेगी संविधान निर्माण की यात्रा: राज्यपाल
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि हमारा संविधान भारतीय संस्कृति का जीवंत दर्शन है. संविधान के लेखन, इसे निर्मित करने के लिए बनाई गई संविधान सभा, संविधान सभा की बैठकों, संविधान निर्माण में संलग्न रहे महापुरूषों की भूमिका और इसे लागू किए जाने की यात्रा बहुत अर्थपूर्ण है. संविधान उद्यान में इस यात्रा को विभिन्न मूर्तिशिल्पों, छाया-छवियों, मॉडल्स और अन्य कलात्मक माध्यमों के जरिए जीवंत करने का प्रयास किया गया है. राज्यपाल ने कहा कि राजभवन में आने वाले हमारे संविधान और उससे जुड़ी संस्कृति के बारे में जान सकें. इस उद्देश्य से यहां संविधान उद्यान का निर्माण किया गया है. उन्होंने कहा कि संविधान उद्यान संविधान निर्माण से लेकर उसे लागू करने तक की ऐतिहासिक यात्रा का ही साक्षी नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति का भी कला रूप है.
संविधान की मूल भावना का प्रसार करेगा ये उद्यान: सीएम
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमारे संविधान के निर्माण के साथ ही देश में महिलाओं सहित सभी नागरिकों को बराबरी के अधिकार दिए गए. यह भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर और संविधान सभा के सदस्यों की पवित्र सोच को दर्शाता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान की मूल भावना हर नागरिक को पता होनी चाहिए. इसे ध्यान में रखते हुए राज्यपाल कलराज मिश्र संवैधानिक जागरूकता के लिए बहुत प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राजभवन में नवनिर्मित संविधान पार्क संवैधानिक आदर्शों, मूल्यों और इसकी मूल भावना के प्रसार को आगे बढ़ाएगा.