जयपुर. उद्यमियों, किसानों, जनप्रतिनिधियों, व्यापारियों और श्रमिक संगठनों के साथ बजट पूर्व संवाद बैठक के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महिला जनप्रतिनिधियों, महिला उद्यमियों, प्रोफेशनल और छात्र प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व संवाद किया है. बैठक में अलग-अलग क्षेत्र की महिलाओं और युवाओं के साथ खिलाड़ियों ने अपने सुझाव (women suggestions for next Budget) दिए. महिला संगठनों ने कहा कि अब महिलाओं को कागजों में नहीं बल्कि धरातल पर असर दिखाना चाहिए.
महिलाओं के सुझाव: सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू ने कहा कि ये अच्छी पहल है कि सरकार की ओर से बजट पूर्व संवाद किया जाता है, लेकिन इसके साथ जरूरी है कि सुझाव कागजों तक सीमित न रहकर धरातल उसका असर दिखे. इस बार हमने सुझाव दिए हैं कि बजट में सभी विधानसभा क्षेत्र में महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र स्थापित किए जाएं. साथ ही परामर्शदाताओं का मानदेय बढ़ाया जाए (33 जिलों में 41 केंद्र पहले से कार्य कर रहे हैं). इसके साथ सोशल मीडिया यूट्यूब को मान्यता दी जाए.
इसके अलावा सरकारी भर्तियों में अवरोध खत्म कर तुरंत प्रक्रिया शुरू की जाए व संविदाकर्मियों को स्थाई किया जाए. इसमें बड़ी संख्या में महिलाकर्मी हैं. साथ ही सभी जिलों में उबर,ओला, रेपीडो की तरह ऑटो, टैक्सी, बाइक सहित यातायात की सुविधा सरकार के स्तर पर आमजन के लिए शुरू की जाए. निशा सिद्धू ने एक ऐसी हेल्पलाइन शुरू करने का भी सुझाव दिया जिसमें सभी तरह की सूचनाओं का आदान-प्रदान युवाओं के लिए किया जाए. इसके अलावा वंचित कलाकारों को उचित मदद और सुरक्षा प्रदान की जाए. साथ ही निशा ने प्रेम विवाह करने वालों जोड़ों की सुरक्षा के लिए कपल शेल्टर होम की मांग भी रखी.
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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की पूर्व ब्रांड एम्बेसडर डॉ अनुपमा सोनी ने बाल विवाह को रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी की तरह मुखबिर योजना शुरू करने का सुझाव दिया. अनुपमा ने कहा कि प्रदेश में एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में 2019-21 के मध्य 25.4% महिलाओं का बाल विवाह हुआ. शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति ज्यादा खराब है. शहरी क्षेत्रों में यह 15.1% और ग्रामीण क्षेत्रों में 28.3% तक रहा.
प्रदेश में बाल विवाह के बाद में 3.7 प्रतिशत लड़कियां 15 से 19 साल की उम्र में ही मां बन जाती हैं. शहरी क्षेत्र में 1.8 प्रतिशत लड़कियां 15 से 19 साल के बीच में ही मां बनती हैं. दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में 4.2 प्रतिशत लड़कियां 15 से 19 साल में मां बनने का भी बोझ उठाने को विवश हो जाती हैं. इसके अलावा सरकारी स्कूलों और कार्यालयों में टॉयलेट और पानी की समस्या के लिए बजट होना चाहिए. उन्होंने तीसरा सुझाव दिया कि ग्रामीण और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर डेंटिस्ट की कमी है. सरकार को चाहिए कि डेंटिस्ट की भर्ती करें.
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इनाया फाउंडेशन की सेक्रेटरी नीतिशा शर्मा ने कहा कि प्रदेश में आगामी बजट में ऐसा प्रावधान किया जाये कि जिनके लिए कानून बनाए गए हैं, वह वास्तव में उन तक पहुंचे. नीतिशा ने कहा कि पॉक्सो कानून लाया गया, लेकिन माइनर बच्चों को इसके बारे में जानकारी नहीं है और वो गलतियां कर जाते हैं. उन्होंने कहा कि विशेष तौर पर गांवों में इसकी ज्यादा जरूरत है. धरातल पर काम करने की जरूरत है और लगातार इसकी मॉनिटरिंग हो ताकि इसका सही उपयोग हो सके. सरकार को चाहिए कि बजट में इसका एक अलग से प्रावधान किया करें.
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बाल आयोग की सदस्य साबो मीणा ने कहा कि प्रदेश में हर जिले में बालिका गृह होना चाहिए. मुख्यमंत्री से इस बजट में यही डिमांड है कि बालिका गृह खोलने की घोषणा हो. उन्होंने कहा कि कई जगह बालिका गृह नहीं होने से कई बार बच्चियों को रात्रि विश्राम में दिक्कत आती है.