जयपुर. राजस्थान में पूर्व सैनिकों को लेकर ओबीसी आरक्षण विसंगति के मामले में पूर्व मंत्री हरीश चौधरी यह साफ कर चुके हैं कि इस मामले के लिए उन्होंने केवल मुख्यमंत्री को ही जिम्मेदार ठहराया था. इसमें किसी मंत्री या नौकरशाही का कोई लेना देना नहीं था. ऐसे में इस मामले में सोशल मीडिया पर लगातार ट्रोल (Khachariawas troll on social media) हो रहे मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी एक बार फिर सफाई (khachariyawas explanation on acr case) दी है. उन्होंने कहा कि इस मामले के डेफर होने में मेरा योगदान नहीं था, लेकिन सोशल मीडिया पर सारा मामला मेरे माथे पर डाल दिया गया.
प्रताप सिंह ने अपनी सफाई में सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल करने वाले लोगों पर व्यंग किया. उन्होंने कहा कि अगर मेरे अकेले से ही कैबिनेट का कोई मुद्दा डेफर हो सकता है और अगर मेरे कहने पर कैबिनेट चल रही है तो फिर तो मैं राजस्थान का सबसे पावरफुल मंत्री हुआ. मेरे सारे काम हो भी रहे हैं ओर मैं हर काम करवा सकता हूं. सोशल मीडिया पर यह मुद्दा चलाने वाले लोगों को थोड़ा समझदार रहना चाहिए. यह मुद्दा आपस में टकराव का नहीं है, आपस विश्वास के साथ विचार विमर्श के साथ मामले को सॉल्व करने का है.
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ओबीसी आरक्षण के मामले में अगर कोई विसंगति है तो आपसी विचार विमर्श के बाद सब पक्षों को सुनकर इसका फैसला हो जाएगा, यह कोई टकराव का मुद्दा नहीं है. मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि मैं एसीआर का मुद्दा तो लागू करवा नहीं पाया और यह लड़ाई मेरे माथे पर कर दी गई, जिसका कोई अंत भी नहीं हैं और मैं किस किसको सफाई दूं. लेकिन मैं ओबीसी विरोधी नहीं हूं सभी ओबीसी की जातियों से मेरे व्यवहार हैं. मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि मेरे खिलाफ यह चलाया गया कि मैंने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे का कैबिनेट में विरोध किया, लेकिन ओबीसी नही बल्कि डिफेंस के आरक्षण का मामला है. उसमें भी मैंने कोई विरोध नहीं किया.
प्रताप सिंह ने कहा कि मैं विरोध करने वाला कौन? मुख्यमंत्री ने इसमें सब पक्षों से राय ली है. जब कैबिनेट से राय लेंगे तो उसमें आप भी अपनी बात रख देना. अगर यह मामला कैबिनेट में नहीं आता है तो मुख्यमंत्री सबसे बुलाकर बात कर लेंगे और लीगल राय भी ले लेंगे यह बात मुख्यमंत्री को ही करनी है. कैबिनेट के निर्णय सामूहिक जिम्मेदारी है. मुख्यमंत्री क्योंकि कैबिनेट के मुखिया हैं इसलिए वह कुछ भी जिम्मेदारी ले सकते हैं. मुख्यमंत्री जिस दिन चाहेंगे उस दिन न तो हरीश चौधरी से कुछ पूछेंगे, ना प्रताप सिंह से, न महेश जोशी और न किसी मंत्री से कोई राय लेंगे.