जयपुर. प्रदेश के करीब 25 हजार प्रबोधकों ने वेतन विसंगति, पदोन्नति, पेंशन और पदनाम परिवर्तन जैसी मांगों को लेकर आंदोलन करने का ऐलान किया है. राजस्थान प्रबोधक संघ ने रविवार को बताया कि 11 मार्च को विधानसभा का घेराव किया जाएगा. प्रबोधक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन सिंह शेखावत ने बताया कि 2008 में सरकार ने प्रबोधकों को रेगुलर किया, उसके बाद लोक जुंबिश, पैरा टीचर, शिक्षाकर्मी मदरसा पैरा टीचर के रूप में कार्यरत रहे. उन्होंने बताया कि सभी बीएसटीसी बीएड थे. ऐसे करीब 25 हजार प्रबोधकों को 2008 में थर्ड ग्रेड टीचर के बराबर नियमित किया गया, लेकिन इनके साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है.
पदोन्नति को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार तृतीय श्रेणी प्रबोधक को सेकंड ग्रेड अध्यापक के समान पदोन्नति देकर उसे मिडिल स्कूल में हेडमास्टर के रूप में या सेकेंडरी सेटअप में विषय अध्यापक के रूप में लगाएं. अर्जुन सिंह शेखावत ने बताया कि 14 जून 2021 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जो घोषणा की थी उसका इंप्लीमेंटेशन आज तक नहीं हुआ.
संघ के प्रदेश महामंत्री संजय कौशिक ने कहा कि 2008 से पहले की जो संविदा सेवा थी उसे प्रबोधक सेवा में जोड़ा जाए, ताकि जो साथी रिटायर हो गए या रिटायर होने की कगार पर हैं, उन्हें पेंशन का लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि केंद्र में जिस तरह से पेंशन योग्य सेवा को 20 वर्ष से माना गया है, राजस्थान की सरकार भी उसी तरह से 20 वर्ष करे.
उन्होंने बताया कि आज तक भी प्रबोधक पदनाम लोगों के लिए असमंजस की स्थिति ही बना हुआ है. ऐसे में उनका पदनाम परिवर्तन कर वरिष्ठ प्रबोधक को वरिष्ठ अध्यापक और तृतीय श्रेणी के प्रबोधक का नाम परिवर्तन कर अध्यापक किया जाए. इससे ना तो राज्य सरकार पर कोई वित्तीय भार पड़ेगा और न ही विभाग में किसी तरह की भ्रांति पैदा होगी.
ये रही प्रमुख मांगें
- पदोन्नति से शेष रहे 5392 बीएड बीपीएड योग्यता धारी प्रबोधकों को वरिष्ठ प्रबोधक पद पर पदोन्नति दी जाए.
- प्रबोधक पद पर नियुक्ति से पहले की सेवा को अनुभव में शामिल किया जाए.
- वरिष्ठ प्रबंधकों के दायित्व का दोबारा निर्धारण किया जाए.
- प्राथमिक विद्यालयों में वरिष्ठ प्रबंधकों का पदस्थापन नहीं किया जाए.
- पदोन्नति के अवसर प्रदान किए गए.
- वरिष्ठ प्रबोधकों का पदनाम परिवर्तन कर वरिष्ठ अध्यापक किया जाए.
- वेतन विसंगति निवारण के लिए गठित सामंत कमेटी और खेमराज कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए.
- पुरानी पेंशन का लाभ बिना किसी बाधा के प्रदान किया जाए.
- केंद्र के समान पेंशन योग्य सेवर को 25 वर्ष के स्थान पर घटाकर 20 वर्ष किया जाए.