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राजस्थान में गहराया बिजली का संकट: शहरों में हो सकती है इतनों घंटों की बिजली कटौती - राजस्थान में गहराया बिजली का संकट

प्रदेश में बिजली का संकट एक बार गहराने लगा है. बढ़ते बिजली के संकट के बीच सरकार ने अब शहरी क्षेत्रों में भी कटौती की तैयारी कर रही है. कोयला संकट और तकनीकी कारणों से बंद पड़े कई पावर प्लांट के बीच बिजली की डिमांड बढ़ गई है. डिमांड बढ़ने के बाद बिजली कम्पनियों ने एक्सचेंज और पावर परचेज के तहत बिजली खरीद की तैयारी तेज कर दी है. सूत्रों की मानें तो 2 घंटे बिजली कटौती का सामना आम उपभोक्ता को करना पड़ सकता (power cut in urban areas of Rajasthan) है.

Power crisis in Rajasthan: power cut in urban areas of Rajasthan on the cards
राजस्थान में गहराया बिजली का संकट: शहरों में हो सकती है इतनों घंटों की बिजली कटौती
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Published : Dec 21, 2022, 7:32 PM IST

जयपुर. राजस्थान में बिजली का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा हैं. ग्रामीण इलाकों में पहले से ही 2 से 3 घंटों की कटौती की जा रही है और अब मंगलवार को जयपुर, जोधपुर, अजमेर, भरतपुर, बीकानेर, कोटा और उदयपुर के अलावा हर शहर में सुबह 6 से 8:30 बजे तक दो से ढाई घंटे की घोषित और अघोषित कटौती करने की तैयारी की जा रही है. कोयला संकट और तकनीकी कारणों से बंद पड़े कई पावर प्लांट के बीच बिजली की डिमांड बढ़ गई है. डिमांड बढ़ने के बाद बिजली कम्पनियों ने एक्सचेंज और पावर परचेज के तहत बिजली खरीद की तैयारी भी तेज कर दी है, लेकिन सूत्रों की माने तो आने वाले कुछ दिनों के लिए जनता को बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है.

ऊर्जा विकास निगम एक्सचेंज से बिजली खरीदने का प्रयास कर रहा है, लेकिन पर्याप्त बिजली नहीं मिलने से बिजली कटौती फिर से शुरू हो गई है. ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में एक से दो घंटे बिजली कटौती का सामना पहले से ही करना पड़ रहा है. राजस्थान के कोटा थर्मल में दो दिन, सूरतगढ़ थर्मल में चार दिन, छबड़ा थर्मल में दो दिन, छबड़ा सुपर क्रिटिकल में तीन दिन, कालीसिंध थर्मल पावर प्रोजेक्ट में तीन दिन और सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल में तीन दिन का कोयला ही बचा है.

पढ़ें: कोयले की आपूर्ति में बढ़ोतरी...गहलोत सरकार ने कहा- अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान की स्थिति बेहतर

कुछ पावर प्लांट तकनीकी कारणों से शुरू नहीं हो पा रहे हैं. इसी दौरान रबी सीजन में बिजली डिमांड बढ़ने से ऊर्जा विभाग की चिंता बढ़ गई है. हालात यह है कि कई जगह कटौती के बावजूद 100 लाख यूनिट से अधिक आपूर्ति हो रही है. रोजाना डिमांड को देखें, तो रबी सीजन में डिस्कॉम के पास 1600 मेगावाट के अनुमान से भी डिमांड पार पहुंच गई है.

लापरवाही बनी कारण: रबी फसल के सीजन में बिजली की जरूरत 16000 मेगावाट को पर कर गई, जिसके बीच विद्युत उत्पादन निगम के 5 बिजलीघर ठप हो गए. इससे बिजली डिमांड और सप्लाई में करीब 2000 मेगावॉट का अंतर आ गया, जिसके बाद विद्युत उत्पादन निगम सारे पुराने दावे भी ठप पड़ गए. ऊर्जा विकास निगम की और से बिजली की मांग को लेकर लापरवाही दिखाई. अधिकारी इस बात पर गंभीर नहीं रहे कि रबी में बिजली की खपत क्या होगी. जिसके कारण आम जनता को दिक्कत उठानी पड़ रही है. जबकि ये पहले से पता होता है कि रबी में बिजली की डिमांड बढ़ जाती है, बावजूद इसके सही तरीके से एक्शन नहीं लिया गया था.

पढ़ें: राजस्थान में बिजली संकट: सरकार के वादों का बोझ ढो रही डिस्कॉम, सरकार पर 20 हजार करोड़ का बकाया

बिजली खरीद कोशिशें तेज, फिलहाल कटौती जारी रहेगी: ऊर्जा विकास निगम एक्सचेंज, पावर परचेज और शॉर्ट टर्म टेंडरिंग से बिजली खरीद की कोशिशें तेज कर रहा है. पीक लोड देखते हुए बिजली खरीद का काम तय किया जा रहा है. रबी सीजन के चलते अन्य राज्यों में भी पीक लोड होने से पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है. इसलिए ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में एक से दो घंटे की घोषित कटौती करनी पड़ रही है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से चार घंटे की अघोषित कटौती भी जारी है. ऊर्जा विभाग ग्रामीण कस्बों के बीच अब शहरी क्षेत्रों में घोषित और अघोषित बिजली कटौती को लेकर तैयारी कर रहा है.

लम्बे समय से बिजली संकट: ऐसा नहीं है कि रबी के इस सीजन में ही बिजली का संकट अचानक बना हो. इससे पहले भी राजस्थान काफी बिजली संकट से जूझ रहा है. 2 दिन पहले ही राजस्थान को उच्चतम न्यायालय से छत्तीसगढ़ में स्थित राजस्थान की परसा खदानों में उत्पादन करने की अनुमति मिली थी. राजस्थान में बिजली संकट को दूर करने के लिए परसा परियोजनाओं का चालू होना बहुत जरूरी था. इसके लिए RRVUNL के अध्यक्ष छत्तीसगढ़ के दौरे पर भी गए थे, जिसके बाद उन्हें कुछ खास हासिल नहीं हुआ था. छत्तीसगढ़ के हसदेव वन क्षेत्र में परसा खदान स्थित है, जिसको लेकर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन भी किए गए हैं.

पढ़ें: उर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी बोले यह राजनीति का समय नहीं, भाजपा शासित राज्यों में भी है बिजली का संकट

इन शहरों ये हो सकती है ये कटौती: सूत्रों की मानें तो सीधे तौर पर नहीं, लेकिन अघोषित तौर पर ऊर्जा विभाग कटौती की योजना बना रहा है. इसके अंतर्गत राजधानी जयपुर सहित संभाग मुख्यालयों पर 1 घंटा और जिला मुख्यालयों पर 2 से 3 घंटे की बिजली कटौती हो सकती है. इसके अलावा तहसील और बड़े पंचायत मुख्यालयों पर 5 से 6 घंटे बिजली कटौती की तैयारी है. हालांकि ऊर्जा विभाग के उच्च स्तरीय अधिकारी इस कटौती को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से भी बच रहे हैं.

जयपुर. राजस्थान में बिजली का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा हैं. ग्रामीण इलाकों में पहले से ही 2 से 3 घंटों की कटौती की जा रही है और अब मंगलवार को जयपुर, जोधपुर, अजमेर, भरतपुर, बीकानेर, कोटा और उदयपुर के अलावा हर शहर में सुबह 6 से 8:30 बजे तक दो से ढाई घंटे की घोषित और अघोषित कटौती करने की तैयारी की जा रही है. कोयला संकट और तकनीकी कारणों से बंद पड़े कई पावर प्लांट के बीच बिजली की डिमांड बढ़ गई है. डिमांड बढ़ने के बाद बिजली कम्पनियों ने एक्सचेंज और पावर परचेज के तहत बिजली खरीद की तैयारी भी तेज कर दी है, लेकिन सूत्रों की माने तो आने वाले कुछ दिनों के लिए जनता को बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है.

ऊर्जा विकास निगम एक्सचेंज से बिजली खरीदने का प्रयास कर रहा है, लेकिन पर्याप्त बिजली नहीं मिलने से बिजली कटौती फिर से शुरू हो गई है. ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में एक से दो घंटे बिजली कटौती का सामना पहले से ही करना पड़ रहा है. राजस्थान के कोटा थर्मल में दो दिन, सूरतगढ़ थर्मल में चार दिन, छबड़ा थर्मल में दो दिन, छबड़ा सुपर क्रिटिकल में तीन दिन, कालीसिंध थर्मल पावर प्रोजेक्ट में तीन दिन और सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल में तीन दिन का कोयला ही बचा है.

पढ़ें: कोयले की आपूर्ति में बढ़ोतरी...गहलोत सरकार ने कहा- अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान की स्थिति बेहतर

कुछ पावर प्लांट तकनीकी कारणों से शुरू नहीं हो पा रहे हैं. इसी दौरान रबी सीजन में बिजली डिमांड बढ़ने से ऊर्जा विभाग की चिंता बढ़ गई है. हालात यह है कि कई जगह कटौती के बावजूद 100 लाख यूनिट से अधिक आपूर्ति हो रही है. रोजाना डिमांड को देखें, तो रबी सीजन में डिस्कॉम के पास 1600 मेगावाट के अनुमान से भी डिमांड पार पहुंच गई है.

लापरवाही बनी कारण: रबी फसल के सीजन में बिजली की जरूरत 16000 मेगावाट को पर कर गई, जिसके बीच विद्युत उत्पादन निगम के 5 बिजलीघर ठप हो गए. इससे बिजली डिमांड और सप्लाई में करीब 2000 मेगावॉट का अंतर आ गया, जिसके बाद विद्युत उत्पादन निगम सारे पुराने दावे भी ठप पड़ गए. ऊर्जा विकास निगम की और से बिजली की मांग को लेकर लापरवाही दिखाई. अधिकारी इस बात पर गंभीर नहीं रहे कि रबी में बिजली की खपत क्या होगी. जिसके कारण आम जनता को दिक्कत उठानी पड़ रही है. जबकि ये पहले से पता होता है कि रबी में बिजली की डिमांड बढ़ जाती है, बावजूद इसके सही तरीके से एक्शन नहीं लिया गया था.

पढ़ें: राजस्थान में बिजली संकट: सरकार के वादों का बोझ ढो रही डिस्कॉम, सरकार पर 20 हजार करोड़ का बकाया

बिजली खरीद कोशिशें तेज, फिलहाल कटौती जारी रहेगी: ऊर्जा विकास निगम एक्सचेंज, पावर परचेज और शॉर्ट टर्म टेंडरिंग से बिजली खरीद की कोशिशें तेज कर रहा है. पीक लोड देखते हुए बिजली खरीद का काम तय किया जा रहा है. रबी सीजन के चलते अन्य राज्यों में भी पीक लोड होने से पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है. इसलिए ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में एक से दो घंटे की घोषित कटौती करनी पड़ रही है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से चार घंटे की अघोषित कटौती भी जारी है. ऊर्जा विभाग ग्रामीण कस्बों के बीच अब शहरी क्षेत्रों में घोषित और अघोषित बिजली कटौती को लेकर तैयारी कर रहा है.

लम्बे समय से बिजली संकट: ऐसा नहीं है कि रबी के इस सीजन में ही बिजली का संकट अचानक बना हो. इससे पहले भी राजस्थान काफी बिजली संकट से जूझ रहा है. 2 दिन पहले ही राजस्थान को उच्चतम न्यायालय से छत्तीसगढ़ में स्थित राजस्थान की परसा खदानों में उत्पादन करने की अनुमति मिली थी. राजस्थान में बिजली संकट को दूर करने के लिए परसा परियोजनाओं का चालू होना बहुत जरूरी था. इसके लिए RRVUNL के अध्यक्ष छत्तीसगढ़ के दौरे पर भी गए थे, जिसके बाद उन्हें कुछ खास हासिल नहीं हुआ था. छत्तीसगढ़ के हसदेव वन क्षेत्र में परसा खदान स्थित है, जिसको लेकर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन भी किए गए हैं.

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इन शहरों ये हो सकती है ये कटौती: सूत्रों की मानें तो सीधे तौर पर नहीं, लेकिन अघोषित तौर पर ऊर्जा विभाग कटौती की योजना बना रहा है. इसके अंतर्गत राजधानी जयपुर सहित संभाग मुख्यालयों पर 1 घंटा और जिला मुख्यालयों पर 2 से 3 घंटे की बिजली कटौती हो सकती है. इसके अलावा तहसील और बड़े पंचायत मुख्यालयों पर 5 से 6 घंटे बिजली कटौती की तैयारी है. हालांकि ऊर्जा विभाग के उच्च स्तरीय अधिकारी इस कटौती को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से भी बच रहे हैं.

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