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Special : पोस्चर डिफॉरमेटी के कारण हो रही है सर्वाइकल, स्पोंडिलाइटिस, स्लिप डिस्क जैसी समस्या, एक्यू योगा से मिल रही राहत

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Published : Jul 18, 2023, 1:37 PM IST

Updated : Jul 18, 2023, 2:24 PM IST

आजकल युवा पीढ़ी स्पाइनल डिजीज से ज्यादा ग्रसित हो रहे हैं. पोस्चर डिफॉरमेटी के कारण युवा सर्वाइकल, स्पोंडिलाइटिस, साइटिका, स्लिप डिस्क, लोअर बैक पेन जैसी समस्या के शिकार हो रहे हैं.

योगा टूल्स का प्रयोग करते मरीज
योगा टूल्स का प्रयोग करते मरीज
पोस्चर डिफॉरमेटी के कारण होती है कई बीमारियां

जयपुर. इन दिनों 17 से 40 वर्ष की युवा पीढ़ी स्पाइनल डिजीज से ज्यादा ग्रसित हो रही है. पोस्चर डिफॉरमेटी के कारण सर्वाइकल, स्पोंडिलाइटिस, साइटिका, स्लिप डिस्क, लोअर बैक पेन जैसी समस्या उनके घर कर रही है. इस तरह की समस्याओं से राहत के लिए डॉ अंचल उप्पल और उनकी टीम एक्यू योगा के जरिए दे रही हैं नॉन मेडिकल ट्रीटमेंट.

सीवियर स्पाइनल की समस्याओं का एक्यू योगा से उपचार : आज दौड़ती-भागती जिंदगी में हर कोई स्ट्रेस, बैक पेन, सर्वाइकल पेन से जूझ रहा है. खासकर युवा पीढ़ी इसकी चपेट में आ रही है. इससे छुटकारा पाने के लिए युवा नॉन मेडिकल ट्रीटमेंट योगा और नेफ्रोपैथी की तरफ बढ़ रहे है. इस संबंध में डॉ अंचल उप्पल ने बताया कि आजकल का लाइफस्टाइल और वर्किंग पैटर्न लॉन्ग सीटिंग ऑवर्स का है. पोस्चर डिफॉरमेटी के कारण ही सर्वाइकल, स्पोंडिलाइटिस, साइटिका, स्लिप डिस्क, लोअर बैक पेन और दूसरी सीवियर स्पाइनल की समस्याएं हो रही है. इसके 17 से 40 आयु वर्ग के ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं. इनका इलाज एक्यू योगा पद्धति से किया जा रहा है.

इक्विपमेंट की मदद से मरीज की कम ऊर्जा का करते हैं इस्तेमाल : नाम से ही स्पष्ट है एक्यू से आशय एक्यूप्रेशर और योगा से मतलब मेडिकल योगा से है. इसमें स्पेशलाइज तकनीकों और विभिन्न टूल्स के माध्यम से योगा कराया जाता है. डॉ अंचल ने बताया कि योगा स्ट्रिप, मेडिटेशन बॉक्स, एरियल योगा, योगा चेयर, ब्लॉक और रोप्स जैसे कई इक्विपमेंट की मदद से मरीज की कम ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए प्रैक्टिस कराई जाती है. ताकि स्पाइन में जो ब्लॉकेज आ गए हैं, ब्लड का फ्लो नहीं आ रहा है, या प्राणवायु नहीं पहुंच पा रही है. उन सभी ब्लॉकेज को हटाने का काम करते हैं. इसके साथ ही एक्यूप्रेशर के जो पॉइंट होते हैं, उन पर दबाव डालते हुए ब्लड के फ्लो को बढ़ाया जाता है ताकि रिजल्ट बढ़े.

योगा और एक्सरसाइज को बनाएं लाइफस्टाइल का पार्ट : डॉ अंचल ने बताया कि हर बीमारी की ग्रेडिंग होती है. यदि बीमारी अपने प्रारंभिक स्टेज में है, तो एक्सरसाइज से उसकी समस्या का निदान हो सकता है. कुछ लोग बीमारी के प्रति अवेयर नहीं होते, दवाई लेकर उस रोग को दबाते रहते हैं. इसलिए वे रोग सीवियर ग्रेड में कन्वर्ट हो जाता है. उसमें सुधार आने में कुछ समय ज्यादा लगता है, लेकिन उसमें धैर्य रखना जरूरी होता है. ये जरूरी है कि योगा और एक्सरसाइज को लाइफस्टाइल का पार्ट बनाएं.

पढ़ें Special Story: जयपुर पुलिस का पेट बढ़ा, दिल कमजोर, दिमाग में स्ट्रैस ज्यादा, जवानों को स्वस्थ रखने का यह है खाकी का खास प्लान

गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को मिला है रिलीफ : एक्यू योगा ले रही जयपुर राइट ने बताया कि करीब 22 साल से वो डायबिटीज पेशेंट हैं. जिसकी वजह से डायबिटिक न्यूरोपैथी की शिकार हुई और चलने में असमर्थ हो गई थी. इसे लेकर फिजियोथैरेपी भी ली. लेकिन जब अपने परिजनों के कहने पर एक्यू योगा से जुड़ी, तो इसका फायदा भी मिला. उन्होंने इसे साइंटिफिक पद्धति बताया. वहीं रियल एस्टेट का काम करने वाले एक अन्य मरीज ने बताया कि ज्यादा सीटिंग होने की वजह से उन्हें बैक और हिप में प्रॉब्लम हुई और 2 महीने में ही उन्हें काफी रिलीफ मिला है. नॉर्मल एक्सरसाइज के साथ योगा, प्राणायाम श्वसन क्रिया और प्रेशर पॉइंट्स पर फोकस किया गया. वहीं पीसीओडी और वजन घटाने के लिए भी कई मरीज यहां पहुंचते हैं. ये मरीज पहले मेडिसिन लिया करते थे और आज सिर्फ योगा और एक्सरसाइज का ही सहारा ले रहे हैं. इसके अलावा वेरीकोज वेन से पीड़ित एक मरीज ने बताया कि डॉक्टर्स से उन्हें सर्जरी कराने का सुझाव दिया था. लेकिन वो सर्जरी नहीं कराना चाहती थी. इसलिए अपने परिजनों के सुझाव पर उन्होंने एक्यू योगा का रुख किया जिसका उन्हें फायदा भी मिला. पहले लंबे समय तक खड़ी नहीं रह पाती थी, और अब घर का सारा काम खुद कर लेती हैं.

निशुल्क क्लास के लिए शुरू किया एनजीओ : डॉ अंचल उप्पल की एक्यू योगा क्लास में किसी व्यक्ति को फुल टाइम सिंगल ट्रेनर उपलब्ध कराया जाता है, तो उससे ₹8,000 से ₹10,000 प्रति महीना और बाकी सामान्य तौर पर ₹4,000 से ₹5,000 प्रति महीना शुल्क लिया जाता है. हालांकि वो निशुल्क क्लास भी देते हैं. इसके लिए 2007 से एक एनजीओ संचालित किया. इस संबंध में डॉ अंचल की धर्मपत्नी युक्ति ने बताया कि बिना दवाइयों के 24 घंटे में से एक घंटा अपने शरीर के लिए निकालकर आप स्वस्थ रह सकते हैं. उनके साथ कई ऐसे साथी हैं, जिन्होंने पहले खुद सीखा और आज यहां बतौर फैकल्टी काम कर रहे हैं. एनजीओ के माध्यम से वो आम जनता को ये मैसेज पहुंचाना चाहते हैं कि यदि उनके पास अपने वर्क शेड्यूल में से खुद के शरीर के लिए समय नहीं है तो वो कुछ इस तरह के योग अपना सकते हैं. जो काम करते हुए चेयर पर बैठे-बैठे भी किए जा सकते हैं. ऐसा करके आप स्वयं को निरोग रख सकते हैं.

पोस्चर डिफॉरमेटी के कारण होती है कई बीमारियां

जयपुर. इन दिनों 17 से 40 वर्ष की युवा पीढ़ी स्पाइनल डिजीज से ज्यादा ग्रसित हो रही है. पोस्चर डिफॉरमेटी के कारण सर्वाइकल, स्पोंडिलाइटिस, साइटिका, स्लिप डिस्क, लोअर बैक पेन जैसी समस्या उनके घर कर रही है. इस तरह की समस्याओं से राहत के लिए डॉ अंचल उप्पल और उनकी टीम एक्यू योगा के जरिए दे रही हैं नॉन मेडिकल ट्रीटमेंट.

सीवियर स्पाइनल की समस्याओं का एक्यू योगा से उपचार : आज दौड़ती-भागती जिंदगी में हर कोई स्ट्रेस, बैक पेन, सर्वाइकल पेन से जूझ रहा है. खासकर युवा पीढ़ी इसकी चपेट में आ रही है. इससे छुटकारा पाने के लिए युवा नॉन मेडिकल ट्रीटमेंट योगा और नेफ्रोपैथी की तरफ बढ़ रहे है. इस संबंध में डॉ अंचल उप्पल ने बताया कि आजकल का लाइफस्टाइल और वर्किंग पैटर्न लॉन्ग सीटिंग ऑवर्स का है. पोस्चर डिफॉरमेटी के कारण ही सर्वाइकल, स्पोंडिलाइटिस, साइटिका, स्लिप डिस्क, लोअर बैक पेन और दूसरी सीवियर स्पाइनल की समस्याएं हो रही है. इसके 17 से 40 आयु वर्ग के ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं. इनका इलाज एक्यू योगा पद्धति से किया जा रहा है.

इक्विपमेंट की मदद से मरीज की कम ऊर्जा का करते हैं इस्तेमाल : नाम से ही स्पष्ट है एक्यू से आशय एक्यूप्रेशर और योगा से मतलब मेडिकल योगा से है. इसमें स्पेशलाइज तकनीकों और विभिन्न टूल्स के माध्यम से योगा कराया जाता है. डॉ अंचल ने बताया कि योगा स्ट्रिप, मेडिटेशन बॉक्स, एरियल योगा, योगा चेयर, ब्लॉक और रोप्स जैसे कई इक्विपमेंट की मदद से मरीज की कम ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए प्रैक्टिस कराई जाती है. ताकि स्पाइन में जो ब्लॉकेज आ गए हैं, ब्लड का फ्लो नहीं आ रहा है, या प्राणवायु नहीं पहुंच पा रही है. उन सभी ब्लॉकेज को हटाने का काम करते हैं. इसके साथ ही एक्यूप्रेशर के जो पॉइंट होते हैं, उन पर दबाव डालते हुए ब्लड के फ्लो को बढ़ाया जाता है ताकि रिजल्ट बढ़े.

योगा और एक्सरसाइज को बनाएं लाइफस्टाइल का पार्ट : डॉ अंचल ने बताया कि हर बीमारी की ग्रेडिंग होती है. यदि बीमारी अपने प्रारंभिक स्टेज में है, तो एक्सरसाइज से उसकी समस्या का निदान हो सकता है. कुछ लोग बीमारी के प्रति अवेयर नहीं होते, दवाई लेकर उस रोग को दबाते रहते हैं. इसलिए वे रोग सीवियर ग्रेड में कन्वर्ट हो जाता है. उसमें सुधार आने में कुछ समय ज्यादा लगता है, लेकिन उसमें धैर्य रखना जरूरी होता है. ये जरूरी है कि योगा और एक्सरसाइज को लाइफस्टाइल का पार्ट बनाएं.

पढ़ें Special Story: जयपुर पुलिस का पेट बढ़ा, दिल कमजोर, दिमाग में स्ट्रैस ज्यादा, जवानों को स्वस्थ रखने का यह है खाकी का खास प्लान

गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को मिला है रिलीफ : एक्यू योगा ले रही जयपुर राइट ने बताया कि करीब 22 साल से वो डायबिटीज पेशेंट हैं. जिसकी वजह से डायबिटिक न्यूरोपैथी की शिकार हुई और चलने में असमर्थ हो गई थी. इसे लेकर फिजियोथैरेपी भी ली. लेकिन जब अपने परिजनों के कहने पर एक्यू योगा से जुड़ी, तो इसका फायदा भी मिला. उन्होंने इसे साइंटिफिक पद्धति बताया. वहीं रियल एस्टेट का काम करने वाले एक अन्य मरीज ने बताया कि ज्यादा सीटिंग होने की वजह से उन्हें बैक और हिप में प्रॉब्लम हुई और 2 महीने में ही उन्हें काफी रिलीफ मिला है. नॉर्मल एक्सरसाइज के साथ योगा, प्राणायाम श्वसन क्रिया और प्रेशर पॉइंट्स पर फोकस किया गया. वहीं पीसीओडी और वजन घटाने के लिए भी कई मरीज यहां पहुंचते हैं. ये मरीज पहले मेडिसिन लिया करते थे और आज सिर्फ योगा और एक्सरसाइज का ही सहारा ले रहे हैं. इसके अलावा वेरीकोज वेन से पीड़ित एक मरीज ने बताया कि डॉक्टर्स से उन्हें सर्जरी कराने का सुझाव दिया था. लेकिन वो सर्जरी नहीं कराना चाहती थी. इसलिए अपने परिजनों के सुझाव पर उन्होंने एक्यू योगा का रुख किया जिसका उन्हें फायदा भी मिला. पहले लंबे समय तक खड़ी नहीं रह पाती थी, और अब घर का सारा काम खुद कर लेती हैं.

निशुल्क क्लास के लिए शुरू किया एनजीओ : डॉ अंचल उप्पल की एक्यू योगा क्लास में किसी व्यक्ति को फुल टाइम सिंगल ट्रेनर उपलब्ध कराया जाता है, तो उससे ₹8,000 से ₹10,000 प्रति महीना और बाकी सामान्य तौर पर ₹4,000 से ₹5,000 प्रति महीना शुल्क लिया जाता है. हालांकि वो निशुल्क क्लास भी देते हैं. इसके लिए 2007 से एक एनजीओ संचालित किया. इस संबंध में डॉ अंचल की धर्मपत्नी युक्ति ने बताया कि बिना दवाइयों के 24 घंटे में से एक घंटा अपने शरीर के लिए निकालकर आप स्वस्थ रह सकते हैं. उनके साथ कई ऐसे साथी हैं, जिन्होंने पहले खुद सीखा और आज यहां बतौर फैकल्टी काम कर रहे हैं. एनजीओ के माध्यम से वो आम जनता को ये मैसेज पहुंचाना चाहते हैं कि यदि उनके पास अपने वर्क शेड्यूल में से खुद के शरीर के लिए समय नहीं है तो वो कुछ इस तरह के योग अपना सकते हैं. जो काम करते हुए चेयर पर बैठे-बैठे भी किए जा सकते हैं. ऐसा करके आप स्वयं को निरोग रख सकते हैं.

Last Updated : Jul 18, 2023, 2:24 PM IST
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