बेगूसराय/जयपुर. राष्ट्रकवि की उपाधि अर्जित करने वाले हिंदी साहित्य के महानायक रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं आज भी प्रासंगिक हैं. उनकी कविताएं आजादी के पूर्व अंग्रेजों से लोहा लेने के दौरान क्रांतिकारियों में जोश भर देती थी. दिनकर की कविताएं जिले के राजकीयकृत मध्य विद्यालय बिहट के बच्चों की जुबां पर है. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं में जीवन के कई रहस्य और प्रेरणा छुपी होती हैं. यही कारण है कि बेगूसराय के कन-कन में रामधारी सिंह दिनकर आज भी विद्यमान हैं.
दिनकार आज भी लोगों के दिल में बसते हैं. जिले में एक ऐसा विद्यालय है, जिसने रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं और उनकी यादों को सहेजने के लिए एक अनोखा प्रयोग किया है. यहां के छोटे-छोटे बच्चे जब रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं सुनाते हैं तो हर कोई दंग रह जाता है.
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उच्चस्तरीय है यहां की पढ़ाई
बेगूसराय जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर राजकीयकृत मध्य विद्यालय बिहट स्थित है. ये विद्यालय राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पैतृक गांव सिमरिया से कुछ ही दूरी पर है. सरकारी विद्यालय होने के बावजूद भी यहां की पढ़ाई उच्चस्तरीय है.
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कण-कण में समाहित हैं कविताएं
खास बात यह है की हिंदी साहित्य पर इस विद्यालय का सबसे ज्यादा फोकस होता है. ऐसे में बात जब हिंदी साहित्य की हो और जिला राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का हो तो फिर उनकी कविताएं इस विद्यालय के कण-कण में समाहित होना लाजमी है.
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धाराप्रवाह काव्य पाठ करते हैं बच्चें
इस विद्यालय में पढ़ने वाले छोटे से छोटे बच्चे को भी राष्ट्रकवि दिनकर की कविता कंठस्थ है. बच्चे बड़ी आसानी से पूरी कविता एक सूर में सुना देते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब इस विद्यालय का दौरा किया तो वाकई में विद्यालय प्रबंधन और यहां के छात्र-छात्राओं का यह प्रयास सराहनीय रहा. यहां पढ़ने वाले लगभग सभी बच्चे राष्ट्रकवि दिनकर की रचित विभिन्न कविताओं का धारा प्रवाह पाठ करते हैं. इन बच्चों की कविताएं सुनकर विद्यालय भी गुंजायमान हो जाता है.
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'राष्ट्रकवि' के रूप में मिला सम्मान
महानायक रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर1908 गंगा नदी से सटे सिमरिया गांव में हुआ था. दिनकर को सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक हिंदी कवियों में से एक माना जाता है. राष्ट्रवादी कवियों में राष्ट्रवादी कविता के साथ दिनकर एक विद्रोही कवि के रूप में उभरे. उनकी कविता ने वीर रस को उकसाया और राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ाने वाली प्रेरणादायक देशभक्तिपूर्ण रचना के कारण उन्हें 'राष्ट्रकवि' के रूप में सम्मान दिया गया.