जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने हाल ही में राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेलों का आयोजन करवाया था जहां तकरीबन 25 लाख से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया. गहलोत सरकार भले ही प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने की बात कह रही हो लेकिन पिछले 4 सालों से खिलाड़ी और कोच प्रदेश के प्रतिष्ठित महाराणा प्रताप और गुरु वशिष्ठ अवार्ड का इंतजार कर (Maharana Pratap and Guru Vashistha Award) रहे हैं. कुछ समय पहले गहलोत सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार देने की घोषणा भी की थी लेकिन फिर वह सिर्फ घोषणा ही रह गई.
कुछ समय पहले खेल विभाग ने प्रदेश के खिलाड़ियों और कोच के लिए महाराणा प्रताप और गुरु वशिष्ठ अवार्ड देने की बात कही थी. 31 जुलाई तक खेल विभाग ने इसके लिए आवेदन मांगे थे लेकिन हुआ कुछ नहीं. बीते 4 साल से खिलाड़ी और कोच महाराणा प्रताप और गुरु वशिष्ठ अवार्ड का इंतजार कर रहे हैं. प्रदेश की गहलोत सरकार ने आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत भले ही प्रदेश के खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी का तोहफा दिया हो, लेकिन उन्हें महाराणा प्रताप अवार्ड पाने का अवसर नहीं मिल पा रहा है. प्रशिक्षकों को भी गुरु वशिष्ठ अवार्ड का इंतजार है.
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दरअसल कुछ समय से खेल विभाग की ओर से समय-समय पर सूचना जारी कर महाराणा प्रताप और गुरु वशिष्ठ अवार्ड के लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं. हर बार आवेदन तो मांगे जाते हैं, लेकिन खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को अवार्ड नहीं दिए जाते. साल 2018-19 की बात की जाए तो 27 से अधिक प्रशिक्षकों यानी कोच ने गुरु वशिष्ठ अवार्ड के लिए आवेदन किया था. इसके साथ ही 66 से अधिक खिलाड़ियों ने महाराणा प्रताप अवार्ड की दावेदारी पेश की थी. साल 2019-20 की बात की जाए तो गुरु वशिष्ठ अवार्ड के लिए 39 से अधिक और प्रताप अवार्ड के लिए 113 से अधिक आवेदन किए गए थे. इसके अलावा साल 2020-21 की बात की जाए तो गुरु वशिष्ठ अवार्ड के लिए 13 और प्रताप अवार्ड के लिए सिर्फ 24 आवेदन ही आए. खेल विभाग की बेरुखी के चलते हर साल आवेदन घटते जा रहे और अभी भी कोच और खिलाड़ियों को इन प्रतिष्ठित अवार्ड के लिए इंतजार करना पड़ रहा है.
इस मामले में भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का कहना है कि राजस्थान के नौजवानों में काफी काबिलियत है. हमारे पड़ोसी राज्य हरियाणा के खिलाड़ी खेलों में पदक जीते हैं लेकिन हमारे यहां खिलाड़ी पदक नहीं जीत पाए. राज्यवर्धन ने कहा कि जब तक प्रदेश में खेल का माहौल नहीं बनेगा और खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं मिलेंगी तब तक वे आगे नहीं बढ़ पाएंगे. ऐसे में जब तक खिलाड़ियों को मान सम्मान नहीं मिलेगा तब तक उनका हौसला बुलंद नहीं होगा और खिलाड़ियों को अवार्ड हर साल मिलने चाहिए.
उन्होंने कहा कि खेलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए और यदि खिलाड़ियों को समय पर अवार्ड मिलेंगे तो इससे अन्य बच्चे भी प्रेरित होंगे. इसके अलावा राजस्थान बास्केटबॉल टीम के पूर्व कप्तान दानवीर सिंह भाटी का कहना है कि केंद्र सरकार हर साल उत्कृष्ट खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को अवार्ड देती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से राजस्थान में गुरु वशिष्ठ और महाराणा प्रताप अवार्ड का इंतजार प्रशिक्षक और खिलाड़ी कर रहे हैं.
पुरस्कार राशि बढ़ाई
राज्य में खेल और खिलाड़ियों को दिए जाने वाले सर्वोच्च खेल पुरस्कारों को लेकर सरकार की बेरुखी साफ दिखाई दे रही है. इन पुरस्करों के लिए तीन बार आवेदन लेकर खेल परिषद ने केवल उसे फाइलों में ही दबा कर रख लिया है. बड़ी बात यह है कि राज्य सरकार ने इन पुरस्कारों की राशि बढ़ाकर पांच लाख रुपए तक भी कर दी हैं. अंतिम बार साल 2018 में तत्कालीन बीजेपी सरकार के दौरान भी नौ साल का बैकलॉग पूरा किया गया था. महाराणा प्रताप पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1982-83 में की गई थी तथा इससे अब तक कुल 170 उत्कृष्ट खिलाड़ियों को सम्मानित किया जा चुका है. ये पुरस्कार राज्य के सर्वोत्तम खेल पुरस्कार है. जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले चयनित खिलाड़ियों एवं प्रशिक्षकों को प्रदान किया जाता है. मामले को लेकर प्रदेश के खेल मंत्री अशोक चांदना का कहना है कि महाराणा प्रताप और गुरु वशिष्ठ अवार्ड के लिए आवेदन मांगे गए हैं और जल्द ही प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों को यह अवार्ड दिए जाएंगे.