जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सरोगेसी एक्ट 2021 के लागू होने के बाद भी इसके लिए उचित बोर्ड नहीं बनाने, बोर्ड में योग्य सदस्य नियुक्त नहीं करने और समुचित प्राधिकरण का गठन नहीं करने पर प्रमुख सचिव, चिकित्सा सचिव और प्रमुख सामाजिक न्याय सचिव से जवाब मांगा है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ ने यह आदेश ज्योति की जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता शालिनी श्योराण ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने सरोगेसी का व्यावसायिक उपयोग रोकने और निःसंतान लोगों के लिए वर्ष 2021 में सरोगेसी एक्ट बनाया था. यह एक्ट 2022 में लागू भी हो गया, लेकिन एक्ट के लागू होने के बाद भी ना तो इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सरकार ने न तो नियम बनाए और ना ही बोर्ड में योग्य सदस्यों को नियुक्त किया है. इसके अलावा समुचित प्राधिकरण का भी गठन नहीं किया गया है. इसके अलावा एक्ट में केवल विधवा व तलाकशुदा को ही सरोगेसी के तहत संतान प्राप्त करने के लिए कहा है. जबकि इसमें अविवाहित, विधुर व ट्रांसजेंडर को भी शामिल किया जाए. इसके अलावा बोर्ड में तय योग्यता वालों को ही नियुक्त किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.
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