जयपुर. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार यानी एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी. मोदी सरकार के इस बजट से देश के हर वर्ग को उम्मीद है. खास तौर पर गृहणियों से लेकर व्यापारी, छोटे-मझोले उद्योग और किसान इस बजट से खासा उम्मीद लगाए बैठे हैं. वहीं इस साल राजस्थान समेत कुल 10 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं तो अगले साल मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल का भी पूरा हो रहा है. ऐसे में विशेष तौर पर राजस्थान के लिए ये बजट अहम होगा. प्रदेश के लोगों को उम्मीद है कि मोदी सरकार अपने पिटारे से राज्य के लिए चुनावी मौसम में घोषणाओं का अंबार लगा सकती है.
राज्य की नजर इन घोषणाओं पर: मोदी सरकार के बजट में राजस्थान के हिस्से भी कई योजनाओं में बजट बढ़ने की उम्मीद है. खास तौर पर ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट पर सबकी निगाह होगी. राजस्थान सरकार ने लगातार इस योजना को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि बजट में ईआरसीपी पर महत्वपूर्ण घोषणा हो सकती है. इसके अलावा जल जीवन मिशन में केंद्र और राज्य के बीच खर्च के अनुपात को लेकर भी महत्वपूर्ण फैसला लिया जा सकता है. पेयजल के लिए राजस्थान ने हमेशा विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है.
माना जा रहा है कि चुनावी वर्ष होने के कारण इस दिशा में भी महत्वपूर्ण घोषणा की जा सकती है. कई राष्ट्रीय परियोजनाओं में फंड्स को रोके जाने के अलावा जीएसटी क्षति पूर्ति की अवधि को लेकर भी राजस्थान सरकार केंद्र की नीतियों पर सवाल खड़े करती रही है. ऐसे में उम्मीद है कि कोई फैसला इस दिशा में भी लिया जाए. राजस्थान सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा देकर कारोबारियों के लिए उम्मीद की नई किरण जगाई है. इस लिहाज से प्रदेश में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए कोई बड़ा ऐलान या पैकेज बिजनेस की लाइफ लाइन को मिल सकता है. अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सोलर एनर्जी को लेकर भी मोदी सरकार राजस्थान के लिए किसी बड़ी घोषणा का ऐलान कर सकती है.
राजस्थान को है ये उम्मीद
1 - 37 हजार 200 करोड़ रुपए के ERCP प्रोजेक्ट को 90 अनुपात 10 के हिसाब से केंद्र राष्ट्रीय परियोजना घोषित करे. राज्य ने फिलहाल 9600 करोड़ रुपए का फंड जारी किया है. इससे 13 जिलों को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी मिलेगा.
2 - जल जीवन मिशन में केंद्र और राज्य का खर्च 90:10 के अनुपात में करने की मांग है. फिलहाल यह 50-50 के अनुपात में है.
3 - रेलवे से लंबित मांगों को पूरा करने की डिमांड, जिसमें भीलवाड़ा जिले के गुलाबपुरा में मेमू कोच फैक्ट्री की स्थापना की लंबित मांग पर अमल की उम्मीद है.
4 - राजस्थान राज्य को भौगिलिक स्थिति के आधार पर विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग
5 - राष्ट्रीय परियोजनाओं के रुके फंड को जारी करने की मांग
6 - केंद्र सरकार से जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को जून 2022 से 5 वर्ष बढ़ाकर जून 2027 तक करने की मांग की है.
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राजस्थान की जनता को उम्मीद है कि मोदी सरकार इस बजट में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के अलावा बिजली, सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर बड़ी घोषणाएं प्रदेश के लिहाज से कर सकती है. फूड सिक्योरिटी, फूड पार्क जैसे विषयों पर भी इस बजट में फैसला लिया जा सकता है.
पिटारे से किसानों को उम्मीद: प्रदेश के सबसे बड़े किसान वर्ग को भी मोदी सरकार के इस बजट से महत्वपूर्ण घोषणाओं की उम्मीद है. राज्य की आधी से ज्यादा आबादी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है, जहां खेती के अलावा कामगारों के रूप में एक बड़ा वर्ग काम करता है. राजस्थान में जिस तरह से इस साल फिर से यूरिया की कमी और किसानों की लंबी कतारें देखने को मिली, उसके बाद उम्मीद की जा रही है कि इस सिलसिले में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण किसानों का विशेष ध्यान रखेंगी. खेती से जुड़े उपकरणों में जीएसटी में राहत की भी उम्मीद है तो वहीं फसल खराबे के मसले पर क्रॉप इंश्योरेंस और कर्ज माफी को लेकर सरकार से फार्मर फ्रेंडली नीतियों की उम्मीद की जा रही है.
कारोबारियों को राहत की उम्मीद: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की केंद्रीय बजट से राजस्थान के कारोबार जगत को भी काफी उम्मीदें हैं. खास तौर पर टैक्स में राहत की उम्मीद और कई जगह जटिलताओं के बीच टैक्स में समानता रखे जाने की उम्मीदें की जा रही है. कारोबारियों की शिकायत रही है कि बैंकों से लेनदेन पर चार्ज काफी बढ़ चुके हैं. इस लिहाज से भी विशेष रियायत व्यापारियों को मिलनी चाहिए. कोरोना के बाद से ही व्यापार जगत में कारोबारी कल्याण कोष की मांग थी, ऐसे में बड़ी उम्मीद इस तरफ भी होगी.
व्यापारी ऑनलाइन मार्केट से भी खासा प्रभावित हुए हैं तो दूसरी ओर इनकम टैक्स स्लैब्स और जीएसटी में सुधार की गुंजाइश अभी तलाशी जा रही है. राजस्थान के पर्यटन और होटल कारोबारी भी मोदी सरकार से आने वाले बजट में बड़ी उम्मीद लगा कर बैठे हैं, वहीं छोटे और मझोले व्यापारी भी करों में राहत का रास्ता तलाश रहे हैं. जिस तरह से ई-कॉमर्स में राहत मिली है, उसके बाद छोटी दुकान वाले व्यापारियों के लिए बिजनेस मुश्किल हो गया है.
बेहाल खुदा व्यापारी: खुदरा व्यापारी तंगहाल हैं, व्यापारियों ने सरकार से नए बजट में टैक्सेशन में सरलीकरण की भी मांग की है. इनकम टैक्स में छूट का दायरा सात लाख से अधिक करने जैसी मांग भी हो रही है. तो जीएसटी के स्लैब की संख्या घटाकर व्यापारी वर्ग राहत तलाश रहा है. प्रदेश के हैंडीक्रॉफ्ट, टैक्सटाइल और एक्सपोर्ट यूनिट्स को भी उम्मीद है कि सरकार उनके हक में घोषणाएँ करें. लघु उद्योग वन नेशन-वन पावर टैरिफ की मांग दोहरा रहे हैं. व्यापारी वर्ग ईंधन की आसमान छू रही कीमतों में राहत तलाश रहा है. जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट आई है, उसका असर देश के बाजार में नजर नहीं आया. आज महंगाई आसमान छूने लगी है.
गृहणियों को आस: इस बजट से किसानों और व्यापारियों की तरह ही गृहणियों को भी काफी उम्मीद है, क्योंकि घरेलू बजट में उनकी भूमिका आज भी महत्वपूर्ण है. इसलिए महिलाओं ने निर्मला सीतारमण के इस बजट में रसोई के खर्च में राहत की उम्मीद जताई है. खास तौर पर आटे, दाल और खाद्य तेलों की बीते दिनों बढ़ी कीमतों में राहत को लेकर महिलाओं को उम्मीद है कि कोई रास्ता तैयार किया जाएगा.