जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट परिसर में पार्किंग की समस्या को लेकर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से जवाब मांगा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश टीएन शर्मा की जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता पीसी भंडारी ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट परिसर में वकीलों सहित अन्य लोगों के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. याचिका में कहा गया कि यह वीआईपी एरिया है, जहां हाईकोर्ट के अलावा विधानसभा और सचिवालय सहित अन्य सरकारी विभाग मौजूद हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री सहित अन्य वीआईपी लोग भी यहां से गुजरते हैं. याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट परिसर के पास ही इंदिरा गांधी नगर परियोजना के भवन को पार्किंग के काम लिया जा सकता है. इसी तरह हाईकोर्ट को आवंटित जमीन पर बने कृषि भवन का उपयोग भी किया जा सकता है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने रजिस्ट्रार जनरल से जवाब तलब किया है.
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हाईकोर्ट ने झुंझुनू से मंड्रेला और चिडावा से मंड्रेला मार्ग पर अवैध परिवहन को लेकर परिवहन आयुक्त और प्रादेशिक प्राधिकारी, सीकर सहित स्थानीय जिला परिवहन अधिकारी से जवाब मांगा है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश दिलीप सिंह की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में अधिवक्ता सतीश खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने लघु बस ऑपरेटर्स के संरक्षण के लिए छोटे रूटों पर सिर्फ इन्हें ही परमिट देने का प्रावधान किया है. इसके बावजूद परिवहन विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में झुंझुनू से मंड्रेला और चिडावा से मंड्रेला मार्ग पर दर्जनों वाहन अवैध परिवहन में लगे हुए हैं.
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न्यायिक अफसर के निवास पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सुभाष मेहरा के आत्मदाह से जुड़े मामले को लेकर जिला न्यायालय सहित जयपुर मेट्रो प्रथम व द्वितीय के न्यायिक कर्मचारियों का सामूहिक अवकाश सोमवार को 11वें दिन भी जारी रहा. कर्मचारियों के अवकाश के कारण अदालतों का कामकाज पूरी तरह ठप हो गया है. वहीं आमरण अनशन कर रहे संघ के प्रांतीय महामंत्री सतबीर सिंह और रामावतार मीणा के साथ अब संघ के संरक्षक नत्थू सिंह तंवर व संघर्ष समिति के अध्यक्ष बद्रीलाल चौधरी ने भी आमरण अनशन शुरू कर दिया है.
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कर्मचारियों ने सोमवार को कोर्ट परिसर से कलेक्ट्रेट सर्किल तक रैली निकाली और मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन (Judicial employees protest in Jaipur) किया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री के नाम सचिवालय में ज्ञापन भी दिया गया. न्यायिक कर्मचारी मामले की सीबीआई जांच, न्यायिक अफसर को एपीओ करने, मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा सहित एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे हैं. गौरतलब है कि एनडीपीएस मामलों की विशेष कोर्ट में पदस्थापित कर्मचारी सुभाष मेहरा ने 10 नवंबर को न्यायिक अधिकारी के घर की छत पर आत्मदाह कर लिया था.