जयपुर. रंगमंच के युवा कलाकार राजस्थान की संस्कृति, कला और विरासत को देश के बाहर विदेशों में बिखेर रहे हैं. केन्या से लेकर कंबोडिया और आने वाले समय में एशिया और यूरोप के कई देशों में वो अपने हुनर का लोहा भी मनवाएंगे, लेकिन आर्थिक स्थिति और सरकार से किसी तरह का सहयोग नहीं मिलने की वजह से कई बार ये कलाकार खुद को असहाय भी महसूस करते हैं. इसी वजह से कुछ ने तो विदेशी सरजमीं पर अपनी कला को प्रस्तुत करने की सपने का गला तक घोंट दिया.
कंबोडिया में एशियन यूथ फेस्टिवल में प्ले किया- राजस्थान की कला-संस्कृति को एक्टिंग के जरिए लोगों के दिलों में घर कराने वाले थिएटर आर्टिस्ट आज राजस्थान से बाहर निकल कर दूसरे देशों में भी यहां की संस्कृति को साकार कर रहे हैं. हाल ही में केन्या इंटरनेशनल यूथ फेस्टिवल और कंबोडिया में हुए एशियन थियेटर फेस्टिवल में भंवरया कालेट नाटक का मंचन करने वाले रंगकर्मी सिकंदर खान ने बताया कि वो राजस्थानी संस्कृति को लेकर काम कर रहे हैं. चाहते हैं कि यहां की संस्कृति को पूरे देश- दुनिया जाने. राजस्थान को लेकर विदेशी लोगों में रुचि भी रहती है. हाल ही में कंबोडिया में हुए एशियन यूथ फेस्टिवल में एक प्ले भी किया था. इसमें राजस्थानी संस्कृति कला और म्यूजिक सब कुछ था. इसके बाद से कई देशों ने उन्हें वहां होने वाले फेस्टिवल में पार्टिसिपेट करने के लिए इनवाइट किया है. जून में फैलोशिप के तहत मलेशिया बुलाया गया है. इसके बाद यूरोप में बुल्गारिया में एक प्ले है. जहां यूरोप राजस्थानी कल्चर को देखेगा. फिर थाईलैंड में भी प्ले होना है. वहीं नवंबर में फिलीपींस में राजस्थानी संस्कृति को बिखेरने के लिए पहुंचेंगे.
एक बार इजरायल का टूर कैंसिल हो चुका है- उन्होंने बताया कि दूसरे देशों में जाने पर वहां रहना, खाना, घूमने की सुविधा तो आयोजकों की ओर से उपलब्ध कराई जाती है. लेकिन आने-जाने का खर्चा खुद को वहन करना होता है. ऐसे में उन्होंने अपनी पीड़ा साझा करते हुए बताया कि राजस्थानी संस्कृति को सात समंदर पार ले जाने का काम करने के बावजूद भी उन्हें कोई स्पॉन्सरशिप नहीं मिलती है और ना ही सरकार की ओर से कोई मदद की जाती है. इसी वजह से एक बार इजरायल का टूर कैंसिल हो चुका है. उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति यहां की कला को किसी दूसरे देश में रिप्रेजेंट कर रहा है, तो सरकार को इसमें फ्लैक्सिबल होना चाहिए. ऐसे कलाकारों को आसानी से ग्रांट उपलब्ध कराई जानी चाहिए. आर्थिक तंगी की वजह से कई कलाकार अपने हुनर का प्रदर्शन करने के लिए बाहर नहीं जा पाते.
सरकार से नहीं मिल रहा सपोर्ट- रंगमंच और सिने कलाकार सिकंदर चौहान ने बताया कि वर्तमान में विदेशों से जो पर्यटक यहां आते हैं, उनके लिए जल महल के सामने खजाना महल में राजस्थान की कला संस्कृति का बखान करने वाला प्ले तैयार किया है. जिसमें रंगमंच के सभी रंग शामिल किए गए हैं. ये प्रोग्राम हर दिन शाम को होगा. उन्होंने कहा कि कला संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान के लोकल कलाकार देश और विदेश में अपनी कला संस्कृति को लेकर जाते हैं. लेकिन उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दूसरे देशों में अपने खर्चे पर जाते हैं, सरकार से इसको लेकर कोई सपोर्ट नहीं मिलता. कभी मिलता भी है तो वो नाममात्र का होता है. हैरानी इस बात की होती है कि यहां की कला को जब विदेश में प्रदर्शित किया जाता है, तो उन्हें वहां ज्यादा प्रोत्साहित किया जाता है. कई देशों में उद्योगपति, इन्वेस्टर और वहां की सरकार कला को बढ़ावा देने के लिए सपोर्ट करते हैं. जो यहां देखने को नहीं मिलता. उन्होंने सरकार से अपेक्षा जताते हुए कहा कि जब भी कोई कलाकार अपनी संस्कृति के जुड़े कार्यक्रमों का मंचन करने के लिए दूसरे देशों में जाए तो उन्हें उचित ग्रांट मिले. थिएटर आर्टिस्ट को प्रैक्टिस के लिए कम दाम पर उचित स्थान मिले.
नाट्य निर्देशक अभिषेक मुद्गल ने बताया कि बहुत सारे कलाकार ऐसे हैं जो पहले भी राजस्थान से दूसरे देशों में गए हैं और अभी भी जा रहे हैं. 2022 में उनका भी यूरोप के पेरिस, बेल्जियम, दुबई और एमस्टरडम में जाना हुआ. इनलक्स थिएटर नेशनल अवार्ड के तहत फैलोशिप के लिए उनका चयन हुआ था. वो वहां स्टेज मैनेजमेंट की तकनीकों को समझने के लिए वहां गए थे, लेकिन सरकार की तरफ से यहां ट्रैवल ग्रांट का कोई नियम ही नहीं है.
एक आर्टिस्ट पूरी जिंदगी कभी भूखा नहीं मर सकता- उन्होंने बताया कि अगर विदेश में कोई परफॉर्मेंस करते हैं, और उसे किसी दूसरे देश में लेकर जा रहे हैं, तो उनके यहां ट्रैवल ग्रांट एक मेल पर मिल जाती है और यहां ढूंढना पड़ता है कि आखिर ट्रेवल ग्रांट मिलेगी कहां. उन्होंने अपेक्षा जताई कि ऐसे नियम बनना चाहिए कि जो भी आर्टिस्ट राजस्थान से बाहर जा रहे हैं, जिन्हें अपॉर्चुनिटी मिल रही है, उन्हें ट्रैवल ग्रांट के लिए सरकार एक बजट दे सके. ताकि उनका एक्सप्लोरेशन हो सके और कल्चर एक्सचेंज बढ़ सके. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जयपुर में यदि जवाहर कला केंद्र को बुक करते हैं, तो उसके ₹25000 लगते हैं. और सुबह 12:00 बजे वो खुलता है. जबकि विदेशों में बहुत नॉमिनल चार्जेस पर मंच मिलता है. यहां तक कि वहां टिकट प्राइस भी शेयर की जाती है. वो प्रोफेशनलिज्म ऑफ आर्ट की तरफ जा रहे हैं. उनके पास इतनी स्कीम है कि एक आर्टिस्ट पूरी जिंदगी कभी भूखा नहीं मर सकता. वहां की जनता भी आर्ट को सपोर्ट करती है. जबकि भारत और राजस्थान में आर्ट को लेकर बहुत ज्यादा लोग जागरूक नहीं हैं.