जयपुर. अखिल भारतीय पीड़कनाशी अवशेष नेटवर्क परियोजना की ओर से पीड़कनाशियों का सुरक्षित और विवेकपूर्ण उपयोग के लिए प्रशिक्षण का आयोजन दुर्गापुरा स्थित कृषि अनुसंधान संस्थान में शनिवार को किया गया. इस प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने किया.
प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री कटारिया ने कहा कि हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा. तकनीक का अधिक उपयोग सही नहीं है. साथ ही कटारिया ने कहा कि हमें संयमित होकर कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए. इसे बढ़ाने के चक्कर में हम बीमारियों को न्यौता देंगे.
कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि जैविक खेती के बारे में हम लोग सब जानते हैं. आज जिस तरह की खेती हो रही है, उसमें कीटनाशी का अधिक उपयोग किया जा रहा है और उसके कारण बीमारियां भी फैल रही है. कैंसर जैसी बीमारियां हर तीसरे चौथे व्यक्ति को हो रही है. हर तरह की बीमारियों से लोग ग्रसित हैं इसलिए जैविक खेती में हमे आगे आना ही पड़ेगा.
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कृषि मंत्री ने बताया कि पुरानी परंपरागत जैविक खेती के तरीकों को हमें अपनाना ही पड़ेगा. जैविक रसायन में जो नए-नए नवाचार हो रहे है उसके लिए किसानों को जागरूक किया जाएगा. साथ ही उन्होने कहा कि फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए कीटनाशक का उपयोग किया गया लेकिन आज यहीं कीटनाशक बीमारियों को बढ़ा रहा है. कीटनाशी से उत्पादन तो बढ़ा है साथ ही जमीन भी जहरीली हो गई है. किसानों को कीटनाशक के स्थान पर जैविक खेती के लिए जागरूक करने का काम करना पड़ेगा.
कृषि मंत्री ने इस बात से इनकार किया कि जैविक खेती अपनाने से उत्पादन कम होता है, उन्होंने कहा जैविक खेती में नए-नए नवाचार हो रहे हैं. जिससे उतना ही उत्पादन होता है जितना किसी अन्य खेती पद्धति से होता है. यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि लोगों को जैविक खेती के लिए जागरूक किया जाए.