जयपुर. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में भी अब छात्रों को 'गुड टच - बेड टच' का पाठ पढ़ाया जाएगा. इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से 'सुरक्षित स्कूल सुरक्षित राजस्थान' अभियान का शुक्रवार को आगाज किया गया. अभियान के तहत 26 अगस्त को नो बैग डे के दिन प्रदेश के सभी 66 हजार सरकारी स्कूलों में 60 लाख से ज्यादा छात्रों के लिए 'गुड टच -बेड टच' पर सेशन होगा. इसके बाद अक्टूबर और जनवरी में इनका रिपीटेशन किया जाएगा. इस अभियान के आगाज के दौरान शिक्षा सचिव नवीन जैन ने ईटीवी भारत पर प्रसारित हुई 'राजस्थान में कलंकित होते शिक्षा के मंदिर' खबर को बतौर रेफरेंस इस्तेमाल किया.
सुरक्षा का दायरा ज्यादा से ज्यादा हो - सीबीएसई, आरबीएसई और सभी बोर्ड की गाइडलाइन में 'गुड टच - बेड टच' की जानकारी छात्रों देने का प्रावधान है, लेकिन पहली बार राजस्थान शिक्षा विभाग की ओर से इसे शुरू किया जा रहा है. 'सुरक्षित स्कूल सुरक्षित राजस्थान' अभियान का आगाज करते हुए शिक्षा सचिव नवीन जैन ने बताया कि सुरक्षा का दायरा ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए. समाज में हर तरह की विकृत मानसिकता के लोग हो सकते हैं. ऐसे में सबसे अच्छा है कि बच्चों को जागरूक किया जाए, क्योंकि अगर बच्चे जागरूक होंगे तो पुलिस और दूसरे लोगों को भी अपना काम करने में आसानी होगी.
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ऐसे में बच्चों को स्मार्ट बनने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन असली स्मार्ट बच्चा वही है जिसे बुरे टच की पहचान हो. इसके लिए बहुत अच्छा मटेरियल तैयार किया गया है. साथ ही 5 मिनट की एक मूवी तैयार की गई है. उन्होंने बताया कि राजस्थान भर के 1200 शिक्षकों और अधिकारियों को ट्रेनिंग दी गई है. इसके बाद 16 से 22 अगस्त के बीच में राजस्थान के सभी 66 हजार स्कूलों में एक-एक शिक्षक को ट्रेनिंग दी जाएगी, और 26 अगस्त को नो बैग डे के दिन एक साथ 'गुड टच - बेड टच' पर करीब 1 लाख सेशन होंगे. ये किसी वर्ल्ड रिकॉर्ड से कम नहीं होगा.
एक साथ प्रदेश के सभी स्कूलों में 60 लाख से ज्यादा बच्चे ट्रेंड होंगे, तो सुरक्षा का दायरा ज्यादा होगा. आने वाले दिनों में प्राइवेट स्कूल और सीबीएसई से जुड़े स्कूलों से भी अपील करेंगे कि वो भी इस तरह के कार्यक्रम अपने यहां आयोजित करें. जितनी ज्यादा जागृति होगी, उतना ही विकृत मानसिकता वाले लोगों की मुश्किल बढ़ती जाएगी और काफी बच्चे बच जाएंगे.
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दो बार रिपीटेशन होगा - शिक्षा सचिव नवीन जैन ने स्पष्ट किया कि इसके बाद दो बार रिपीटेशन भी होगा. एक बार अक्टूबर में और फिर जनवरी में इसे रिपीट किया जाएगा. इस तरह से 5 महीने में 3 बार इस तरह के लेक्चर होने से छात्रों के बीच में मैसेज पूरी तरह चला जाएगा और उसके बाद हर सत्र में छात्रों के लिए 'गुड टच - बेड टच' के सेशन आयोजित किए जाएंगे.
शुक्रवार को शिक्षकों और अधिकारियों को ट्रेनिंग के दौरान ये भी स्पष्ट किया गया कि इस सेशन के लिए किसी तरह के प्रोजेक्टर या डिजिटल इक्विपमेंट की आवश्यकता नहीं, बल्कि फ्लेक्स के जरिए छात्रों को 'गुड टच - बेड टच' का पाठ पढ़ाया जाए. साथ ही छात्रों को बुरे स्पर्श से डरने की बजाए मुकाबला करते हुए 'No, Go और Tell' फार्मूले को अपने का संदेश देने के निर्देश दिए गए.
क्या है गुड टच
- माता-पिता की ओर से प्यार और स्नेह के रूप में स्पर्श
- छोटे बच्चों को नहलाते समय मां का स्पर्श
- दोस्तों और परिवार के सदस्यों की ओर से खुशियों के पल और स्पर्श
- माता-पिता या समाज के अन्य संबंधित व्यक्तियों की ओर से आशीर्वाद के रूप में स्पर्श
- शिक्षकों की ओर से सराहना व शाबाशी के लिए स्पर्श
- दादा-दादी की ओर से आशीर्वाद के रूप में स्पर्श
- माता-पिता की उपस्थिति में डॉक्टर की ओर से स्पर्श
क्या है बेड टच
- होंठ, छाती, कमर के नीचे की तरफ छूना
- अगर कोई आपके सामने अपने कपड़े उतारे या प्राइवेट पार्ट्स दिखाए या आपको भी ऐसा करने को कहे
- किसी अजनबी की ओर से कोई ऐसा स्पर्श
- सुनसान स्थान और अनजान ट्रांसपोर्ट/ गार्डन/ टॉयलेट का उपयोग के दौरान बुरा स्पर्श
- मोबाइल/ लैपटॉप पर गंदी तस्वीरें वीडियो मैसेज दिखाना और भेजना