जयपुर. मानसरोवर में बसने वाले 468 परिवारों को ग्रेटर निगम प्रशासन ने अवैध निर्माण हटाने को लेकर नोटिस थमाया दिया है. इसके अलावा एक सार्वजनिक सूचना जारी करते हुए जिन आवासों में व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हैं और बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन किया गया है, उन पर भी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. जिससे स्थानीय रहवासियों के साथ-साथ क्षेत्र के व्यवसायियों में भी हड़कंप मच गया है. इसका विरोध करते हुए स्थानीय लोगों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. साथ ही व्यापारियों ने एक संघर्ष समिति भी बना ली है. अब स्थानीय बीजेपी विधायक और पूर्व महापौर अशोक लाहोटी भी व्यापारियों के समर्थन में उतरे हैं. ऐसे में अब मानसरोवर के व्यापारियों ने सोमवार को सुबह 10:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक अपने प्रतिष्ठान बंद कर विरोध दर्ज कराने का ऐलान किया है.
इधर, हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए ग्रेटर निगम ने मानसरोवर क्षेत्र के मध्य मार्ग के रहवासियों को अवैध निर्माण हटाने के लिए सात दिन का समय दिया है. अवैध निर्माण हटाने के नोटिस देने के बाद स्थानीय व्यापार मंडलों के व्यापारी रविवार को एक जाजम पर जुटे और फैसला लिया कि कोर्ट में जवाब पेश करने के साथ ही चरणबद्ध तरीके से सरकार के सामने भी व्यापारी अपनी बात रखेंगे. समय तय करते हुए विरोध स्वरूप पैदल मार्च और दुकान भी बंद रखेंगे.
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इस दौरान भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने कहा कि ये राजनीति करने का मंच नहीं है. वो एक कार्यकर्ता के रूप में व्यापारियों के साथ रहेंगे और जब तक ये समस्या खत्म नहीं हो जाती तब तक फूल माला नहीं पहनेंगे. लाहोटी ने कहा कि 90 मीटर तक सेटबैक में छूट का प्रावधान है. कोई सेट बैक लागू ही नहीं होता है. व्यापारी समझौता समिति में जा सकते हैं, ये उनका अधिकार और विकल्प है. हालांकि, समझौता समिति के फैसले के बाद सेट बैक वायलेशन तय होता है.
लाहोटी ने आगे कहा कि मानसरोवर मध्यम मार्ग का लैंड यूज पहले से ही मिश्रित यूज करने के आदेश निकले हुए हैं. साल 2014 में इसके आवेदन भी नगर निगम ने लिए हैं. लेकिन आज तक उसमें फैसला लेकर स्वीकृतियां जारी नहीं की गई, जो निगम और सरकार की चूक है. हाईकोर्ट में भी इन सभी बातों को नहीं रखा गया और न ही सही पैरवी की गई. उन्होंने कहा कि जब वो महापौर थे, उस समय जयपुर शहर में परकोटे से लगी हुई लगभग 10 हजार दुकानों और मकानों पर 5 मीटर सेट बैक का ऐसा ही फैसला हुआ था. जिसको नगर निगम ने शपथ पत्र देकर बोर्ड मीटिंग में पास करके सुप्रीम कोर्ट से राहत दिलवाई थी.