जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आधा दर्जन से अधिक प्रक्रियाधीन भर्तियों में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण का लाभ देने से इंकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने करीब दो दर्जन याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश शशिकांत और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि आरक्षण की अधिसूचना जारी होने के बाद निकली भर्तियों में ही आरक्षण दिया जा सकता है. याचिकाओं में कहा गया कि राज्य सरकार ने 13 फरवरी 2019 को गुर्जरों सहित अन्य जातियों को एमबीसी के तहत पांच फीसदी आरक्षण दिया था.
इसके बाद 19 फरवरी 2019 को आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्ग को दस फीसदी आरक्षण दिया. वहीं, बाद में सरकार ने 23 जून 2019 को एक अधिसूचना जारी कर कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को प्रक्रियाधीन भर्तियों में दस फीसदी आरक्षण नहीं दिया जाएगा.
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याचिकाओं में कहा गया कि जब राज्य सरकार ने एमबीसी वर्ग को प्रक्रियाधीन भर्तियों में आरक्षण दिया है, तो उन्हें भी इसका लाभ दिया जाए. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अदालत आरक्षण के संबंध में आदेश नहीं दे सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया.
इस भर्तियों में मांगा था दस फीसदी आरक्षण
- 12 हजार 92 पदों की LDC भर्ती- 2018
- 9 हजार पदों की द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती- 2018
- चार हजार पांच सौ पदों की पीटीआई भर्ती- 2018
- 6 हजार 35 पदों की नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती- 2018
- 162 पदों की कर सहायक भर्ती- 2018
- 1302 पदों की सूचना सहायक भर्ती- 2018
- 1200 पदों की लैब असिस्टेंट भर्ती- 2018