जयपुर. प्रदेश में कला शिक्षकों के पदों की नियुक्ति नहीं होने से बेरोजगार अभ्यर्थी परेशान हैं. स्कूलों में कला विषय तो है पर उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं. कोर्ट के आदेश के बाद भी पद सृजित नहीं किए गए. फाइल भी 2 सालों से अटकी है. ऐसे में अब बेरोजगार अभ्यर्थियों की आखिरी उम्मीद सरकार का अंतिम बजट है.
बेरोजगार अभ्यर्थियों ने बताया कि प्रदेश में पहली से 10वीं तक कला विषय पढ़ाया जाता है, लेकिन इसके लिए कोई शिक्षक ही नहीं हैं. बीते 30 साल में कई सरकारी बदली लेकिन किसी ने भी कला शिक्षकों की भर्ती नहीं निकाली. एक याचिका में सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेशों के बावजूद पद सृजित नहीं किए गए. कांग्रेस के पिछले कार्यकाल में कला विषय से जुड़े बीएसटीसी प्रशिक्षित शिक्षकों को कॉन्ट्रैक्ट पर लगाते हुए पहली से दसवीं तक कला विषय पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने इन्हें ये मौका भी नहीं दिया.
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शिक्षकों को उम्मीद थी कि कांग्रेस दोबारा सरकार में आएगी तो उनके लिए पद सृजित किए जाएंगे. लेकिन 4 साल से ये शिक्षक सरकार की बेरुखी झेल रहे हैं और अब अंतिम बजट से आस लगाए बैठे हैं. अभ्यर्थियों की मानें तो राज्य सरकार कलाकारों के रोजगार की व्यवस्था नहीं कर रही. 1992 से कला शिक्षकों के पद ही सृजित नहीं किए गए. हिंदी-गणित विषय के शिक्षकों को ये जिम्मेदारी दे दी जाती है, जो 100 में से नंबर देकर ग्रेड दे देते हैं. जबकि हजारों शिक्षक ऐसे हैं जो छात्रों को सृजनात्मक शिक्षा दे सकते हैं.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में बीकानेर निदेशालय ने कोर्ट में लगी एक याचिका पर फैसला आने के बाद कला शिक्षक के नए पद सृजित करने को लेकर फाइल राज्य सरकार को भेजी थी, लेकिन 2 साल से ये फाइल भी अटकी पड़ी है. इसकी वजह से हर साल तकरीबन 25 लाख छात्र कला शिक्षा से वंचित रहते हैं. शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने दावा किया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में जब वो शिक्षा मंत्री थे, तब कला शिक्षकों की भर्ती की गई. भारतीय जनता पार्टी ने कला शिक्षकों की भर्ती को बंद कर दिया. हालांकि कांग्रेस के पूर्व शासन काल में भी कला शिक्षकों की नियमित भर्ती नहीं हुए थी, बल्कि उन्हें कॉन्ट्रैक्ट बेस पर लगाया गया था.