जयपुर. बीते दिनों जयपुर के श्याम नगर में हुए सुखदेव सिंह गोगामेड़ी हत्याकांड के बाद एक बार फिर प्रदेश में बढ़ती गैंगवार की घटनाओं को लेकर सवाल खड़ा होने लगा है. एक के बाद एक हो रही गैंगवार की घटनाओं में अवैध हथियारों का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन पुलिस की ओर से हथियार तस्करी की रोकथाम को लेकर चलाया जा रहा अभियान फिसड्डी साबित होता दिख रहा है.
5 साल में 250 से ज्यादा हत्याएं: नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए, तो साफ दिखता है कि प्रदेश में पिछले पांच साल में बदमाशों ने अवैध हथियारों से 252 लोगों की हत्याएं की हैं, जबकि हमले के 2118 मामले सामने आए हैं. इसके बाद भी पुलिस ऑपरेशन आग के नाम पर कार्रवाई और बदमाशों की धर पकड़ कर रही है, जो खानापूर्ति लग रही है. इन आंकड़ों की मानें, तो साल 2021 में पुलिस ने 2200 अवैध पिस्टल, रिवॉल्वर, देशी कट्टा और बंदूक बरामद की थी.
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साल 2022 में 2700 और 2023 में नवंबर तक करीब 3200 हथियार पुलिस की कार्रवाई में बरामद हो चुके हैं. तीन सालों में 13 हजार से ज्यादा कारतूस भी बरामद किए गए हैं. इनमें 9 एमएम के प्रतिबंधित कारतूस भी शामिल हैं. खास बात है कि इन कारतूसों का इस्तेमाल केवल सेना और पुलिस ही कर सकती है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बदमाशों को 9 एमएम के कारतूस कौन उपलब्ध करा रहा है. पुलिस की कार्रवाई के बाद भी प्रदेश में हथियारों की तस्करी क्यों नहीं रुक रही है.
तीन राज्यों से प्रदेश में हथियार सप्लाई: प्रदेश में हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की गैंग पूर्वी राजस्थान के जिलों में अवैध हथियार सप्लाई करती हैं. यहां से फिर प्रदेश के सभी जिलों में बदमाशों के पास हथियारों की सप्लाई हो रही है. मध्यप्रदेश के धार, खरगोन, बुरहानपुर, दमोह, बड़वानी और खंडवा की गैंग अवैध हथियार सप्लाई करती है. वहीं हरियाणा की नूह, मेवात, फिरोजपुर, झिरका की गैंग और उत्तरप्रदेश की मेरठ, सहारनपुर, आगरा, कानपूर, अलीगढ़ और मथुरा की गैंग पूर्वी राजस्थान के बदमाशों को हथियार सप्लाई करती है.