जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ आरएलपी संयोजक और सांसद हनुमान बेनीवाल भी मुखर हो गए हैं. मंगलवार को जयपुर में पत्रकारों से रूबरू होते हुए बेनीवाल बीजेपी और कांग्रेस पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि 2023 का जो सिनेरियो बन रहा है, उसमें पायलट, गहलोत और वसुंधरा तीनों कहीं नजर नहीं आएंगे. बेनीवाल ने दावा किया कि पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की पैरवी उन्होंने ही की थी और चार बार उनकी मदद की, लेकिन उन्होंने खुद अपनी मटियामेट कर ली.
सचिन पायलट का समय निकल गया : उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत को सचिन पायलट का ऑपरेशन करना था, वो परमानेंट कर दिया ये उनकी जीत हो गई. इसमें वो बहुत खुश हैं. पायलट ने तो खुद अपनी मटियामेट की है. मानेसर गए, बड़ी-बड़ी बातें कही. अगर उस वक्त पार्टी से निकल कर आ जाते तो आरएलपी के साथ मिलकर राजस्थान में 100 सीटें जीत लेते. समय किसी के साथ नहीं चलता. एक बार जो अपने ट्रैक से उतर जाता है, उसे उसका हरजाना भी भुगतना पड़ता है. अब सचिन पायलट का भी समय निकल गया है. उन्होंने दावा किया कि जब सरकार गिर रही थी, तब उनकी पार्टी के तीनों विधायक गहलोत के खिलाफ वोट करने के लिए बीजेपी के 72 विधायकों के साथ खड़े थे. उन्हीं के कहने से राज्यसभा के चुनाव में भी कांग्रेस की मदद की, टोंक के चुनाव में भी उनकी मदद की थी. उनकी चार बार मदद की है, फिर भी वो मुखर नहीं हुए तो उनका इंतजार थोड़ी करेंगे. अब आरएलपी अकेली ही निकल आई है.
कांग्रेस और बीजेपी से नहीं करेंगे गठबंधन : उन्होंने कहा कि 125 सीटें जीत लेंगे, ये तो नहीं कहेंगे, लेकिन इस बार राजस्थान का हर जवान, किसान और महिला आरएलपी को अपनी पार्टी के रूप में देख रहा है. वो चाहते हैं कि ऐसी सरकार बने जो राजस्थान को भ्रष्टाचार मुक्त कर सके. जहां किसी अबला की चीख-पुकार न हो. जहां किसी बेरोजगार को आत्महत्या नहीं करनी पड़े. किसी किसान को कर्ज के बोझ के तले आत्महत्या नहीं करनी पड़े. सड़क पर टोल नहीं देना पड़े. माफिया का आतंक खत्म हो. सचिन पायलट, वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत की बात अब बेमानी हो गई है. 2023 का जो सिनेरियो है, ये तीनों कहीं नजर नहीं आएंगे. जब आरएलपी का शोषित, पीड़ित, दलित, ट्राइबल की बात करने वाली पार्टियों से गठबंधन होगा तो सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि पायलट को पहले भी कोई पद नहीं मिला था. उपमुख्यमंत्री कोई पद नहीं होता, जब वो सीएम की बात करते थे. वसुंधरा पहले दो बार सीएम रह चुकीं हैं. यदि आरएलपी को गठबंधन करने की जरूरत पड़ी भी तो कांग्रेस और बीजेपी के साथ तो निश्चित नहीं करेंगे.
मोदी भी अशोक गहलोत से मिले हुए: बेनीवाल ने गहलोत के विजन 2030 पर चुटकी लेते हुए कहा कि जब 2030 में वो रहेंगे ही नहीं तो किस चीज का विजन. उनका 2030 का विजन यही है कि नौजवानों के हक पर डाका डालो, शासन को बर्बाद करो, अपराध, रेप, भ्रष्टाचार करो. पहले वसुंधरा राजे को भ्रष्टाचार की जननी के रूप में जाना जाता था, अब अशोक गहलोत ने मोहर लगा दी कि वो अकेली नहीं हैं वो भी साथ हैं. चिंता इस बात की है कि दिल्ली वाले क्या कर रहे हैं. जहां भी पीएम मोदी कार्यक्रम में आते हैं तो गहलोत को खुद से सीनियर बता देते हैं लगता है कि मोदी भी अशोक गहलोत से मिले हुए हैं, हो सकता है वो पॉलिटिकली मिले हुए हों.
सीबीआई और ईडी पर भी भरोसा नहीं : उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस पर खेल खेलने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब महेश जोशी का मामला था, एक बीजेपी के नेता का बयान नहीं आया. जब परिवहन घोटाले का मामला हुआ तो प्रताप सिंह के खिलाफ एक बीजेपी के नेता का बयान नहीं आया. बजरी के मामले पर कोई नहीं बोला. इसी वजह से आज प्रदेश में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं और जवान नशे में डूबता जा रहा है. इसके लिए 25 साल की व्यवस्था जिम्मेदार है. सीएम गहलोत ने खुद कह दिया कि वसुंधरा ने उनकी सरकार बचाई. इससे बड़ा मिला-जुला खेल राजस्थान में नहीं हो सकता. अब ईडी में वो सारे कागज जाएंगे, जिसमें स्पष्ट है कि कांग्रेस और बीजेपी के बड़े नेता किस तरह बजरी माफिया के पार्टनर के रूप में काम करते आए हैं. प्रदेश में ईडी और सीबीआई की एंट्री होती है, लेकिन बाद में कुछ नहीं होता. कलाम कोचिंग में छापा मारा, लेकिन कुछ नहीं हुआ. जब सीबीआई और ईडी ऐसा करने लगेगी तो भरोसा किस पर रहेगा?
सत्ता छोड़कर कभी भी सड़क पर आ सकता हूं : बेनीवाल ने कहा कि उनका मकसद है राजस्थान में परिवर्तन करें. यहां के युवा-नौजवानों ने ठान लिया है कि अब नई ताकत राजस्थान में खड़ी की जाएगी. उन्होंने दावा किया कि राजस्थान में पहले पार्टी बनाई, दिल्ली पहुंचने वाले वो पहले ही थे. लोगों ने कहा कि मोदी की गोदी में बैठ गया, लेकिन जब किसान तकलीफ में थे तो जय जवान जय किसान के नारे के साथ आरएलपी के नेता ने मोदी की सत्ता को ठोकर मारकर राजमार्ग को जाम किया. इसके बाद सरकार को किसान बिल वापस करना पड़ा. अग्निपथ योजना के तहत सेना को ठेके पर दिया, तो देश के एकमात्र सांसद भी वही थे, जिन्होंने इस योजना का विरोध किया. जोधपुर में 2 लाख जवानों की रैली करके ये मैसेज दिया कि जब किसान और जवान तकलीफ में होंगे उस वक्त हनुमान बेनीवाल सत्ता छोड़कर कभी भी सड़क पर आ सकता है.
आरोप में सच्चाई जरूर होगी : इस दौरान उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री छात्र संघ अध्यक्ष नहीं बन पाए थे, उन्हें अब मन की निकाल लेनी चाहिए. अभी बीजेपी है नहीं, कांग्रेस चाहे जो रेवड़िया बांट रही है. एक आदेश मुख्यमंत्री जारी कर दें, राजस्थान के सभी विश्वविद्यालय के अध्यक्ष वो खुद होंगे. इससे कम से कम मन की भड़ास निकल जाएगी. यही पीड़ा वसुंधरा राजे की भी है. उन्होंने कैलाश मेघवाल की ओर से अर्जुन राम मेघवाल पर लगाए आरोपों पर कहा कि जब कैलाश मेघवाल ने वसुंधरा राजे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, उन्होंने तब चूक कर दी. तब 22 हजार करोड़ के घोटाले की जानकारी दी थी, लेकिन बाद में उनका पैचअप हो गया. वो आरोप तो सच्चे लगाते हैं, लेकिन बाद में इस पर टिके नहीं रहते. आरोप लगाए हैं तो इसमें सच्चाई जरूर होगी. सच्चाई होती है तभी व्यक्ति पत्र लिखता है.