जयपुर. लैंगिंक समानता को लेकर विश्व मे छिड़ी बहस के बीच सांसद दीया कुमारी ने उच्च स्तरीय अंतरराष्ट्रीय निकायों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में लैंगिक समानता के लिए वैश्विक अपील की. दिया कुमारी ने मंगलवार को बहरीन में आईपीयू संसद की 146वीं असेंबली मीटिंग में भाग लिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. जबकि वर्तमान में सभी क्षेत्रों में महिलाएं निर्णय ले ने का काम कर रहीं हैं. दुनियाभर में सतत और समान विकास को सुनिश्चित करने के लिए सबसे प्रभावशाली तरीका है महिलाओं का सशक्तिकरण और उन्हें डिसीजन लेने में शामिल करना.
सरकार जेंडर बैलेंस को दर्शाए: दीया कुमारी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार महिला सशक्तिकरण को उस स्तर पर ले गई है, जहां महिलाएं विकास का नेतृत्व कर रही हैं. महिलाएं यहां निष्क्रिय प्राप्तकर्ता होने के बजाय डेवलेपमेंट प्रोसेस को लीड कर रही हैं. सांसद ने कहा कि उनका दृढ़ विश्वास था कि मानसिकता, संस्थानों, दृष्टिकोण और कानूनी ढांचे में चेंज लाए बिना जेंडर इक्वलिटी (लैंगिक समानता) हासिल नहीं की जा सकती है. एक सांसद के रूप में उन्होंने कहा कि दुनिया भर में सरकारों के पास एक ऐसा कार्यबल होना चाहिए जो जेंडर बैलेंस को दर्शाता हो.
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संयुक्त राष्ट्र में भारत की महिला प्रतिनिधि: सांसद ने कहा कि सांसदों को अपने संबंधित देशों की ओर से वॉलेंटरी नेशनल रीव्यू (वीएनआर) प्रस्तुत करने में अधिक भागीदारी करनी चाहिए. उन्होंने यह भी अपील की है कि दुनिया के देशों की संसद की सर्वोत्तम कार्यशैलियों को शेयर किया जाना चाहिए. ये सांसदों की भागीदारी में सहायक होती हैं. इससे अन्य को इन्हें देखने का मौका मिलेगा और इसकी पालना कर वे इसे दोहरा सकेंगे. सांसद ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त की है कि संयुक्त राष्ट्र में भारत की वर्तमान स्थायी रिप्रजेंटेटिव एक महिला है.