जयपुर. जिले में विभिन्न ट्रस्ट, समितियों और संस्थाओं द्वारा संचालित पात्र पंजीकृत गौशालाओं के लिए जिला गोपालन समिति ने फरवरी और मार्च की अनुदान राशि जारी कर दी गई है. कुल 8 करोड़ 74 लाख 76 हजार 400 रुपये भुगतान किया जाएगा.
जिला गोपालन समिति के अध्यक्ष डाॅ.जोगाराम ने बताया कि जिले में कुल 135 पंजीकृत गौशालाएं संचालित हैं. इनमें से 66 गौशालाओं के लिए सहायता राशि जारी की गई है. गोपालन विभाग के निर्देशानुसार बड़े गौवंश के लिए 40 रूपये और छोटे गौवंश के लिए 20 रुपये प्रतिदिन की दर से अनुदान दिया जाता है.
जिला कलेक्टर ने बताया कि जिले में अपंजीकृत गौशालाओं सहित करीब 150 से अधिक गौशालाएं हैं. इन गौशालाओं में निराश्रित, अपाहिज और वृद्ध गौवंश का संरक्षण-संवर्द्धन किया जाता है. शुष्क मौसम में गौवंश को चारे की कमी ना हो, इसलिए दानदाताओं और जनसहयोग से मिले संबल के पूरक के रूप में राज्य सरकार के गोपालन विभाग द्वारा पात्र गौशालाओं को अनुदान दिया जाता है. उन्होंने बताया कि गौशाला संचालन में धन अभाव के कारण गौवंश के संधारण में कोई समस्या ना हो और उसके लिए चारे-पानी की उपलब्धता बनी रहे. इसके लिए गौशालाओं को एक वित्तीय वर्ष में 90-90 दिन के 2 चरणों में अधिकतम 180 दिन का आर्थिक सहयोग दिए जाने का प्रावधान है.
पढ़ें: पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और सांसद दुष्यंत सिंह ने भी की अस्थि विसर्जन के लिए निशुल्क बसों की व्यवस्था
डाॅ.जोगाराम ने बताया कि पात्र आवेदित 66 गौशालाओं में रह रहे कुल 41522 गौवंश (छोटे 9727 और बडे़ 31795 गौवंश) को जनवरी में 30 दिन के लिए 4 करोड़ 49 लाख, 90 हजार 200 का भुगतान उनके खातों में किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि मार्च 2020 के पहले चारे-पानी और पशु आहार क्रय के प्रमाणित बिलों के आधार पर ये भुगतान संस्था के खाते में कर दिया जाता है.
समय-समय पर होता है निरीक्षण
गौशाला में अनुदान के समय गौपालन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप सर्वे और संयुक्त भौतिक सत्यापन किया जाता है. प्रशासन की ओर से तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पशुपालन विभाग की ओर से संबंधित पशु चिकित्सा अधिकारी के साथ ही अन्य उच्चाधिकारी समय-समय पर इन गौशालाओं का निरीक्षण करते हैं. सप्ताह में न्यूनतम 2 बार पशुपालन विभाग की टीम गौशालाओं में जाकर पशुओं के स्वास्थ्य की माॅनिटरिंग करती है. सर्वे और आकस्मिक निरीक्षण में प्राप्त गैवंश की संख्या के आधार पर गौशाला के अनुदान के लिए पात्रता निश्चित की जाती है. साथ ही पशुओं के चिकित्सा और टीकाकरण आदि का भी रिकाॅर्ड रखा जाता है.
की जाती है हर गौवंश की टैगिंग
अनुदान पाने वाली पंजीकृत गौशालाओं में हर गौवंश की टैगिंग की जाती है. टैगिंग में जिले के कोड, गौशाला का कोड और गौवंश का नंबर अंकित रहता है. इससे उस गौवंश की देखभाल और सर्वे के दौरान उसकी गणना की जाती है.