जयपुर. कांग्रेस पार्टी की ओर से गुरुवार को बीकानेर और जयपुर संभाग के विधायकों से वन टू वन चर्चा हुई. इस दौरान फीडबैक देकर मीडिया से बात करते हुए मंत्री मुरारी लाल मीणा ने कहा कि चुनाव में विकास की बात होती है लेकिन चुनाव जीतने के लिए जातिगत और अन्य समीकरण साधने भी जरूरी होते हैं. मुरारी लाल मीणा ने प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर कहा कि सचिन पायलट जनाधार वाले नेता है, अगर चुनाव जीतना है तो उन्हें भी बैलेंस करना जरूरी है.
मंत्री ने कहा कि सचिन पायलट दिल्ली थे और सचिन पायलट के साथ ही कई लोग फ़ीडबैक में नहीं आ पाए. हर बात को पायलट के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पायलट जनाधार वाले नेता है, हर कोई इस बात को जानता है और पार्टी में आला कमान ने भी कहा है कि वह पार्टी के एसेट हैं ऐसे में सचिन पायलट को भी बैलेंस करना चुनाव जीतने के लिए आवश्यक है. मुरारी लाल मीणा ने कहा कि इस बार सरकार ने बहुत अच्छे काम किए हैं अच्छी स्थिति है लेकिन विकास के अलावा भी कई बातें ऐसी होती है जिन पर बैलेंस बनाने पर ही चुनाव जीता जा सकता है. चुनाव में इन बातों का भी असर पड़ता है कि कि कौन व्यक्ति चुनाव को कैसे बैलेंस करवाता है. उदाहरण के तौर पर विधान सभा चुनाव-2013 में कांग्रेस के हारने का कारण किरोड़ी लाल मीणा की राजपा बनीं. जिसमें कांग्रेस का परंपरागत वोट मीणा राजपा में चला गया. सचिन पायलट को भी बैलेंस करना पड़ेगा.
मानेसर को भूले नहीं क्या मैं भी मानेसर गया था और सबके सामने मंत्री बन कर खड़ा हूं : मंत्री मुरारी लाल मीणा ने चुनाव जीतने के लिए समीकरण की बात रखते हुए कहा कि अब मानेसर की घटना को बोलकर चुनाव जीतने के समीकरणों पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि क्या मानेसर को भूले नहीं? और मानेसर जाकर हमनें क्या कर दिया? अब हम तो मंत्री बन गए और मैं आपके सामने भी खड़ा हूं. अब मानेसर जैसी चर्चा छोड़कर चुनाव जीतने के सारे समीकरण देखने चाहिए.
कांग्रेस नहीं काटती टिकट इसका होता है नुकसान जो चुनाव में कमजोर उसका पार्टी काटे टिकट : मुरारी लाल मीणा ने चुनाव जीतने के लिए विकास के साथ ही जातिगत समीकरण,नेता के व्यक्तिगत व्यवहार, पार्टी के वोट, काम के वोट, टिकट के समीकरण ओर एक दूसरे को हराने जिताने के भी समीकरण को महत्वपूर्ण है. साथ ही कहा कि कांग्रेस पार्टी हारने वाले कैंडिडेट की टिकट काटने में कंजूसी करती है जिसका उसे नुकसान भी होता है. उन्होंने कहा कि अगर सर्वे में कोई हार रहा है तो उसकी टिकट काट ही क्यों नहीं दी जाती, चाहे कोई किसी का भी खास क्यों न हो ? पार्टी सर्वे करवाती है और 200 सीटों में से 50 सीट पर टिकट वाले चेहरे चुनाव हार रहे होते हैं. ये सबको पता होता है लेकिन उनके टिकट नहीं काटे जाते. उन्होंने कहा है कि भले ही मैं ही क्यों ना हूं अगर चुनाव में ये दिख रहा है कि मैं टक्कर में नहीं हूं तो मेरा भी पार्टी टिकट काट दे लेकिन कम से कम चुनाव में टक्कर देने वाले प्रत्याशी पर ही दांव लगाना चाहिए.