जयपुर. ऊर्जा मंत्री डॉ. कल्ला ने महाप्रबंधक को बताया कि भविष्य में बीकानेर क्षेत्र के रेल नेटवर्क को मजबूत करने और रेलवे के संचालन के लिए बीकानेर-लालगढ़ के बीच में डबल ट्रैक का निर्माण जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह केवल रेल बाइपास लाइन से ही संभव हो सकता है. रेलवे को बीकानेर के लोगों की इस बहुप्रतीक्षित मांग और आवश्यकता के सम्बंध में निर्णय कर इसका अपने स्तर पर शीघ्र निर्माण करना चाहिये.
उन्होंने कहा कि जब पूर्व में बीकानेर बाईपास रेल लाईन का कार्य स्वीकृत किया था, तब राजस्थान सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण की गई जो कि अभी भी उपलब्ध है. यहां बाइपास के निर्माण से क्षेत्र में रेल सेवाओं का विकास होगा. भविष्य में होने वाली फिजूल खर्ची रूकेगी और रेल फाटक की समस्याओं का भी निदान होगा. जलदाय और ऊर्जा मंत्री ने महाप्रबंधक को जानकारी दी कि सोमवार 25 जनवरी को इस मुद्दे पर बीकानेर में डॉ. कल्ला केन्द्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल एवं बीकानेर के जिला कलक्टर नमित मेहता के साथ विस्तृत बैठक की.
मंत्री ने बताया कि इस समस्या के बारे में आमजन और जनप्रतिनिधियों ने अनेक बार बीकानेर रेल मण्डल प्रबंधक को विरोध जताया है. इस समस्या के निदान के लिए बीकानेर रेल बाइपास लाइन के निर्माण का फैसला लिया गया था और रेल मंत्रालय ने वर्ष 2003-2004 में डिपोजिट कार्य के आधार पर स्वीकृति दी थी, जिसका खर्च राजस्थान सरकार द्वारा वहन किया जाना था. उस समय बाइपास रेल लाइन की लम्बाई 26 किलोमीटर और अनुमानित खर्च 60.12 करोड़ रुपये निर्धारित था.
इस काम के लिए राजस्थान सरकार के आग्रह पर उत्तर पश्चिम रेलवे की तरफ से एक सर्वे किया गया. परन्तु राज्य सरकार और रेल मंत्रालय के बीच में एमओयू नहीं होने के कारण यह कार्य वर्ष 2009-2010 में रेल मंत्रालय द्वारा निरस्त कर दिया गया. इसका प्रमुख कारण यह बताया कि भविष्य में जब भी बीकानेर एवं लालगढ़ के बीच में ब्रॉडगेज लाइन का निर्माण होगा तब यात्री गाड़ियों की संख्या इस मार्ग पर कम हो जायेगी.
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डॉ. कल्ला ने बताया कि रेल मंत्रालय की नीति के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे अगले तीन वर्ष में राजस्थान में सभी प्रमुख ब्रॉडगेज रूट को डबल ट्रैक में बदलकर उनके विद्युतीकरण पर जोर दे रहा है. बीकानेर से देश के सभी प्रमुख क्षेत्रों में जाती है. यहां के रेल यूजर्स की नई रेलगाडियां चलाने के लिए भी काफी मांगे हैं. उन्होंने बताया कि बीकानेर-लालगढ़ रेलवे लाइन के चारों तरफ शहर की आवासीय कॉलोनियां और बाजार की वजह से भविष्य में दूसरी लाइन का निर्माण संभव नहीं होगा.