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Special : देश में सबसे ज्यादा साइबर अपराध मेवात से, राजस्थान में भरतपुर अव्वल, लगाम कसने के लिए साइबर वॉलिंटियर्स की मदद लेगी पुलिस

तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल के बीच साइबर क्राइम का आंकड़ा लगातार बढ़ा है. पुलिस के काफी प्रयासों के बाद भी यह आंकड़ा नीचे नहीं आ रहा है. ऐसे में पुलिस अब साइबर क्राइम पर लगाम कसने के लिए साइबर वॉलिंटियर्स की मदद लेगी.

cyber fraud in rajasthan
देश में सबसे ज्यादा साइबर अपराध मेवात से.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 31, 2023, 6:58 PM IST

साइबर क्राइम व तकनीकी सेवा के डीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा

जयपुर. तकनीक और स्मार्टफोन के लगातार बढ़ते चलन का साइड इफेक्ट अब तेजी से बढ़ रहे साइबर क्राइम के रूप में सामने आ रहा है. साइबर ठगी के साथ ही सेक्सटॉर्शन जैसे अपराध के जरिए शातिर बदमाश न केवल लोगों को फंसाकर उन्हें चूना लगा रहे हैं, बल्कि कई बार ऐसे बदमाश लंबे समय तक पुलिस को चकमा देने में भी सफल हो जाते हैं. किसी जमाने में झारखंड का जामताड़ा इलाका साइबर क्राइम के मामले में सबसे ज्यादा बदनाम था. अब मेवात का इलाका साइबर क्राइम के नए ठिकाने के रूप में तेजी से उभर रहा है.

पिछले दिनों गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में सबसे ज्यादा साइबर अपराध की वारदातों को मेवात इलाके से अंजाम दिया जा रहा है. इसमें भी राजस्थान के भरतपुर जिले से साइबर क्राइम की ज्यादा वारदातें सामने आ रही हैं. ऐसे में भरतपुर का मेवात में आने वाला इलाका न केवल राजस्थान पुलिस बल्कि देश की अन्य जांच एजेंसियों के लिए भी चिंता का बड़ा कारण बना हुआ है. अब राजस्थान में तेजी से बढ़ रहे साइबर क्राइम की चुनौती पर काबू पाने के लिए पुलिस तकनीकी रूप से दक्ष और जागरूक युवाओं व अन्य लोगों की मदद लेगी. ऐसे युवाओं को साइबर वॉलिंटियर्स नाम दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें - cyber crime in rajasthan: राजस्थान के स्कूल-कॉलेजों में बनेंगे साइबर क्लब, स्टूडेंट्स को साइबर क्राइम से बचने के सिखाएंगे गुर

प्रभावी अंकुश के लिए जागरुकता जरूरीः डीजी (साइबर क्राइम एवं तकनीकी सेवा) रवि प्रकाश मेहरड़ा का कहना है कि साइबर क्राइम पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है. आए दिन लोग साइबर क्राइम का शिकार हो रहे हैं. जानकारी का अभाव, लोगों का लालच और कई बार भय के चलते भी लोग साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं और आसानी से क्रिमिनल उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं. ऐसे में साइबर जागरूकता अभियान लगातार चलाए जा रहे हैं. थाना स्तर के साथ ही जिला पुलिस अधीक्षक के स्तर पर भी ऐसे अभियान चलाए जा रहे हैं. इसके साथ ही साइबर वॉलिंटियर्स की भी एक योजना है. जिसमें आमजन और अपने-अपने क्षेत्र के दक्ष युवाओं की मदद से साइबर अपराध पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है.

cyber fraud in rajasthan
सामने आए हैरान करने वाले आंकड़े

एसपी या थानाधिकारी मांग सकते हैं आवेदनः उन्होंने बताया कि यह केंद्र सरकार की योजना है. इसमें सभी एसपी और थानाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्र में इसके लिए आवेदन लें और उनकी स्क्रूटनिंग करें. जो लोग इस योजना के तहत पुलिस की मदद करना चाहते हैं, उनकी सहायता ली जाए. उनका यह भी कहना है कि साइबर क्राइम पर प्रभावी रूप से अंकुश बैंक, सरकारी विभागों, आमजन और पुलिस के साझा प्रयास से ही संभव है.

इसे भी पढ़ें - Exclusive: राजस्थान में साइबर क्राइम का ग्राफ चढ़ा, 4 साल में 6620 मामले दर्ज...सिर्फ 10 प्रकरणों में सजा

जागरूकता और ट्रेनिंग प्रोग्राम में करेंगे मददः उन्होंने बताया कि साइबर जागरुकता या साइबर ट्रेनिंग के लिए इन साइबर वॉलिंटियर्स की मदद ली जा सकती है. ये वॉलिंटियर्स अपने-अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट हो सकते हैं, जो पुलिस के साथ जुड़कर साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने की दिशा में प्रभावी तरीके से काम कर सकते हैं. उनका कहना है कि जब आमजन यह जान जाएंगे कि किस तरह से पुलिस की मदद करनी है. तभी साइबर क्राइम पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जा सकता है, जागरूकता ही इसे रोकने का सबसे सशक्त माध्यम है.

चार साल में सात हजार मामले आए सामनेः साइबर क्राइम का ग्राफ कितनी तेजी से ऊपर की तरफ बढ़ रहा है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राजस्थान में चार साल में साइबर अपराध से जुड़े करीब सात हजार मामले सामने आए हैं, हालांकि ये वह आंकड़ा है. जो पुलिस की फाइलों में दर्ज हुआ है. कई मामलों में तो ठगी का शिकार व्यक्ति पुलिस तक पहुंचता ही नहीं है. इस साल भी अब तक 600 से ज्यादा मामले साइबर क्राइम के सामने आ चुके हैं, हालांकि, एनसीआरबी की साल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान साइबर क्राइम के लिहाज से देश में 9वें पायदान पर था.

इसे भी पढ़ें - Cyber Crime : 'शिकारी' खुद हुआ शिकार, सीएसटी के ASI से 90 हजार रुपये की ठगी

16 फीसदी साइबर अपराध भरतपुर जिले सेः पिछले दिनों गृह मंत्रालय ने साइबर क्राइम पर एक रिपोर्ट जारी की थी. इसके अनुसार, मेवात तेजी से साइबर क्राइम का गढ़ बना है. इस मामले में इस इलाके ने झारखंड के जामताड़ा को भी पीछे छोड़ दिया है. अब 51 फीसदी साइबर क्राइम मेवात से हो रहा है, जबकि इसमें 16 फीसदी हिस्सेदारी राजस्थान के भरतपुर जिले की है. उत्तर प्रदेश के मथुरा में 16 फीसदी और हरियाणा के नूंह व झारखंड के जामताड़ा में 12-12 फीसदी मामले साइबर क्राइम के सामने आए हैं.

रकम निकलवाने के लिए खुद का एटीएम भीः राजस्थान के भरतपुर जिले में साइबर अपराध कितना पैर पसार चुका है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां ठगी की रकम निकलवाने के लिए साइबर अपराधियों ने खुद के निजी एटीएम भी लगवा रखे हैं. कई गांवों में ऐसे एटीएम बूथ का स्थानीय पुलिस और सीआईडी क्राइम ब्रांच ने पर्दाफाश कर आरोपियों को गिरफ्तार किया है. साइबर अपराधी फर्जी तरीके से खुलवाए गए खातों में ठगी की रकम जमा करवाते हैं. जिनका एटीएम कार्ड और चेकबुक खुद रख लेते हैं और ठगी की रकम निकलवा लेते हैं.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान में शुरू हुआ नेशनल साइबर क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल, जानें कैसे दर्ज करा सकते हैं शिकायत

खाते खुलवाने और रकम निकलवाने के लिए अलग-अलग गैंगः पिछले दिनों पुलिस मुख्यालय की सीआईडी सीबी ने जयपुर में साइबर ठगी से जुड़े बदमाशों को गिरफ्तार किया तो सामने आया कि साइबर ठगी करने वाले बदमाशों का पूरा नेटवर्क काम करता है. जिसमें अलग-अलग बदमाशों को अलग-अलग काम सौंपे जाते हैं. कुछ बदमाशों का काम सिर्फ फर्जी तरीके से बैंक खाते खुलवाकर उसका एटीएम कार्ड, चेकबुक और पासबुक हासिल करना होता है. इसके बदले उन्हें कमीशन दिया जाता है, जबकि कई बदमाश एटीएम बूथ पर जाकर नकदी निकलवाने और यह रकम ठगों तक पहुंचाने का काम करते हैं. इसके बदले उन्हें मोटा कमीशन मिलता है.

साइबर क्राइम व तकनीकी सेवा के डीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा

जयपुर. तकनीक और स्मार्टफोन के लगातार बढ़ते चलन का साइड इफेक्ट अब तेजी से बढ़ रहे साइबर क्राइम के रूप में सामने आ रहा है. साइबर ठगी के साथ ही सेक्सटॉर्शन जैसे अपराध के जरिए शातिर बदमाश न केवल लोगों को फंसाकर उन्हें चूना लगा रहे हैं, बल्कि कई बार ऐसे बदमाश लंबे समय तक पुलिस को चकमा देने में भी सफल हो जाते हैं. किसी जमाने में झारखंड का जामताड़ा इलाका साइबर क्राइम के मामले में सबसे ज्यादा बदनाम था. अब मेवात का इलाका साइबर क्राइम के नए ठिकाने के रूप में तेजी से उभर रहा है.

पिछले दिनों गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में सबसे ज्यादा साइबर अपराध की वारदातों को मेवात इलाके से अंजाम दिया जा रहा है. इसमें भी राजस्थान के भरतपुर जिले से साइबर क्राइम की ज्यादा वारदातें सामने आ रही हैं. ऐसे में भरतपुर का मेवात में आने वाला इलाका न केवल राजस्थान पुलिस बल्कि देश की अन्य जांच एजेंसियों के लिए भी चिंता का बड़ा कारण बना हुआ है. अब राजस्थान में तेजी से बढ़ रहे साइबर क्राइम की चुनौती पर काबू पाने के लिए पुलिस तकनीकी रूप से दक्ष और जागरूक युवाओं व अन्य लोगों की मदद लेगी. ऐसे युवाओं को साइबर वॉलिंटियर्स नाम दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें - cyber crime in rajasthan: राजस्थान के स्कूल-कॉलेजों में बनेंगे साइबर क्लब, स्टूडेंट्स को साइबर क्राइम से बचने के सिखाएंगे गुर

प्रभावी अंकुश के लिए जागरुकता जरूरीः डीजी (साइबर क्राइम एवं तकनीकी सेवा) रवि प्रकाश मेहरड़ा का कहना है कि साइबर क्राइम पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है. आए दिन लोग साइबर क्राइम का शिकार हो रहे हैं. जानकारी का अभाव, लोगों का लालच और कई बार भय के चलते भी लोग साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं और आसानी से क्रिमिनल उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं. ऐसे में साइबर जागरूकता अभियान लगातार चलाए जा रहे हैं. थाना स्तर के साथ ही जिला पुलिस अधीक्षक के स्तर पर भी ऐसे अभियान चलाए जा रहे हैं. इसके साथ ही साइबर वॉलिंटियर्स की भी एक योजना है. जिसमें आमजन और अपने-अपने क्षेत्र के दक्ष युवाओं की मदद से साइबर अपराध पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है.

cyber fraud in rajasthan
सामने आए हैरान करने वाले आंकड़े

एसपी या थानाधिकारी मांग सकते हैं आवेदनः उन्होंने बताया कि यह केंद्र सरकार की योजना है. इसमें सभी एसपी और थानाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्र में इसके लिए आवेदन लें और उनकी स्क्रूटनिंग करें. जो लोग इस योजना के तहत पुलिस की मदद करना चाहते हैं, उनकी सहायता ली जाए. उनका यह भी कहना है कि साइबर क्राइम पर प्रभावी रूप से अंकुश बैंक, सरकारी विभागों, आमजन और पुलिस के साझा प्रयास से ही संभव है.

इसे भी पढ़ें - Exclusive: राजस्थान में साइबर क्राइम का ग्राफ चढ़ा, 4 साल में 6620 मामले दर्ज...सिर्फ 10 प्रकरणों में सजा

जागरूकता और ट्रेनिंग प्रोग्राम में करेंगे मददः उन्होंने बताया कि साइबर जागरुकता या साइबर ट्रेनिंग के लिए इन साइबर वॉलिंटियर्स की मदद ली जा सकती है. ये वॉलिंटियर्स अपने-अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट हो सकते हैं, जो पुलिस के साथ जुड़कर साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने की दिशा में प्रभावी तरीके से काम कर सकते हैं. उनका कहना है कि जब आमजन यह जान जाएंगे कि किस तरह से पुलिस की मदद करनी है. तभी साइबर क्राइम पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जा सकता है, जागरूकता ही इसे रोकने का सबसे सशक्त माध्यम है.

चार साल में सात हजार मामले आए सामनेः साइबर क्राइम का ग्राफ कितनी तेजी से ऊपर की तरफ बढ़ रहा है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राजस्थान में चार साल में साइबर अपराध से जुड़े करीब सात हजार मामले सामने आए हैं, हालांकि ये वह आंकड़ा है. जो पुलिस की फाइलों में दर्ज हुआ है. कई मामलों में तो ठगी का शिकार व्यक्ति पुलिस तक पहुंचता ही नहीं है. इस साल भी अब तक 600 से ज्यादा मामले साइबर क्राइम के सामने आ चुके हैं, हालांकि, एनसीआरबी की साल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान साइबर क्राइम के लिहाज से देश में 9वें पायदान पर था.

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16 फीसदी साइबर अपराध भरतपुर जिले सेः पिछले दिनों गृह मंत्रालय ने साइबर क्राइम पर एक रिपोर्ट जारी की थी. इसके अनुसार, मेवात तेजी से साइबर क्राइम का गढ़ बना है. इस मामले में इस इलाके ने झारखंड के जामताड़ा को भी पीछे छोड़ दिया है. अब 51 फीसदी साइबर क्राइम मेवात से हो रहा है, जबकि इसमें 16 फीसदी हिस्सेदारी राजस्थान के भरतपुर जिले की है. उत्तर प्रदेश के मथुरा में 16 फीसदी और हरियाणा के नूंह व झारखंड के जामताड़ा में 12-12 फीसदी मामले साइबर क्राइम के सामने आए हैं.

रकम निकलवाने के लिए खुद का एटीएम भीः राजस्थान के भरतपुर जिले में साइबर अपराध कितना पैर पसार चुका है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां ठगी की रकम निकलवाने के लिए साइबर अपराधियों ने खुद के निजी एटीएम भी लगवा रखे हैं. कई गांवों में ऐसे एटीएम बूथ का स्थानीय पुलिस और सीआईडी क्राइम ब्रांच ने पर्दाफाश कर आरोपियों को गिरफ्तार किया है. साइबर अपराधी फर्जी तरीके से खुलवाए गए खातों में ठगी की रकम जमा करवाते हैं. जिनका एटीएम कार्ड और चेकबुक खुद रख लेते हैं और ठगी की रकम निकलवा लेते हैं.

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खाते खुलवाने और रकम निकलवाने के लिए अलग-अलग गैंगः पिछले दिनों पुलिस मुख्यालय की सीआईडी सीबी ने जयपुर में साइबर ठगी से जुड़े बदमाशों को गिरफ्तार किया तो सामने आया कि साइबर ठगी करने वाले बदमाशों का पूरा नेटवर्क काम करता है. जिसमें अलग-अलग बदमाशों को अलग-अलग काम सौंपे जाते हैं. कुछ बदमाशों का काम सिर्फ फर्जी तरीके से बैंक खाते खुलवाकर उसका एटीएम कार्ड, चेकबुक और पासबुक हासिल करना होता है. इसके बदले उन्हें कमीशन दिया जाता है, जबकि कई बदमाश एटीएम बूथ पर जाकर नकदी निकलवाने और यह रकम ठगों तक पहुंचाने का काम करते हैं. इसके बदले उन्हें मोटा कमीशन मिलता है.

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