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भगवान शिव को बिल्कुल भी प्रिय नहीं है यह चीजें, पूजन में न करें प्रयोग - सोमवार को शिव पूजन

भगवान शिव कि पूजा के लिए सोमवार सबसे पावन दिन है. भगवान शिव को आदि और अनंत माना गया है. जो पृथ्वी से लेकर आकाश और जल से लेकर अग्नि तक हर तत्व में समाहित हैं. भगवान शिव को कनेर और कमल के अलावा लाल रंग के फूल बिल्कुल भी प्रिय नहीं हैं.

भगवान शिव को बिल्कुल भी प्रिय नहीं है यह चीजें
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Published : Sep 9, 2019, 7:57 AM IST

जयपुर. सोमवार भगवान शिव कि पूजा के लिए सबसे पावन दिन है. इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों का भारी जमावड़ा देखा जा सकता है. सारे देवों में शिव ही ऐसे देव हैं, जो अपने भक्‍तों की पूजा-पाठ से बहुत ही जल्‍दी प्रसन्‍न हो जाते हैं. भगवान शिव को आदि और अनंत माना गया है. जो पृथ्वी से लेकर आकाश और जल से लेकर अग्नि तक हर तत्व में समाहित हैं.

फूल- भगवान शिव को कनेर और कमल के अलावा लाल रंग के फूल बिल्कुल भी प्रिय नहीं हैं. शिव को केतकी और केवड़े के फूल चढ़ाने पर भी निषेध किया गया है.
कुमकुम या रोली- पुराणों के अनुसार भगवान शिव को कुमकुम और रोली बिल्कुल भी नहीं लगाई जाती है.

पढ़ें- चूरू: रतननगर बाईपास पर भीषण सड़क हादसा, 3 की मौत

तुलसी दल- तुलसी का पत्ता भी भगवान श‌िव को नहीं चढ़ाना चाहिए. इस संदर्भ में असुर राज जलंधर की कथा है ज‌िसकी पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गई थी. श‌िव जी ने जलंधर का वध क‌िया था इसल‌िए वृंदा ने भगवान श‌िव की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करने की बात कही थी.

नारियल पानी- नारियल पानी से भगवान श‌िव का अभ‌िषेक नहीं करना चाह‌िए क्योंक‌ि नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है इसल‌िए सभी शुभ कार्य में नारियल का प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है. लेक‌िन श‌िव पर अर्प‌ित होने के बाद नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है.

पढ़ें- शहीद असलम खान को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई, हजारों लोग हुए जनाजे में शामिल

हल्‍दी- हल्‍दी खानपान का स्‍वाद तो बढ़ाती है साथ ही धार्मिक कार्यों में भी हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है. लेकिन शिवजी की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. हल्दी उपयोग मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी वजह से महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती.

जयपुर. सोमवार भगवान शिव कि पूजा के लिए सबसे पावन दिन है. इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों का भारी जमावड़ा देखा जा सकता है. सारे देवों में शिव ही ऐसे देव हैं, जो अपने भक्‍तों की पूजा-पाठ से बहुत ही जल्‍दी प्रसन्‍न हो जाते हैं. भगवान शिव को आदि और अनंत माना गया है. जो पृथ्वी से लेकर आकाश और जल से लेकर अग्नि तक हर तत्व में समाहित हैं.

फूल- भगवान शिव को कनेर और कमल के अलावा लाल रंग के फूल बिल्कुल भी प्रिय नहीं हैं. शिव को केतकी और केवड़े के फूल चढ़ाने पर भी निषेध किया गया है.
कुमकुम या रोली- पुराणों के अनुसार भगवान शिव को कुमकुम और रोली बिल्कुल भी नहीं लगाई जाती है.

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तुलसी दल- तुलसी का पत्ता भी भगवान श‌िव को नहीं चढ़ाना चाहिए. इस संदर्भ में असुर राज जलंधर की कथा है ज‌िसकी पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गई थी. श‌िव जी ने जलंधर का वध क‌िया था इसल‌िए वृंदा ने भगवान श‌िव की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करने की बात कही थी.

नारियल पानी- नारियल पानी से भगवान श‌िव का अभ‌िषेक नहीं करना चाह‌िए क्योंक‌ि नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है इसल‌िए सभी शुभ कार्य में नारियल का प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है. लेक‌िन श‌िव पर अर्प‌ित होने के बाद नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है.

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हल्‍दी- हल्‍दी खानपान का स्‍वाद तो बढ़ाती है साथ ही धार्मिक कार्यों में भी हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है. लेकिन शिवजी की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. हल्दी उपयोग मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी वजह से महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती.

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