जयपुर. राजधानी के जवाहर कला केन्द्र में चल रहे 10 दिवसीय लोकरंग फेस्टिवल का रविवार की शाम स्वर लहरी की प्रस्तुति के साथ समापन किया गया. इस प्रस्तुति में 40 से अधिक लोक वाद्ययंत्रों ने एक समवेत स्वर में प्रस्तुति दी. प्रस्तुति को देखकर सभी संगीतप्रेमी रोमांच और आनंद से भर गए.
बता दें कि प्रस्तुति में सारंगी, कमायचा, खड़ताल, मोरचंग, पूंगी, अलगोजा, महाराष्ट्र की नाल और दिमडी, ढोलकी, ढोलक, ढपली, पंजाब का चिमटा, कैंची और ढोल, अलवर का भपंग, मटका, गोआ का घुम्मट, मणिपुर का पुंग, गुजरात का मोसेंडो, कर्नाटक का थम्बाटे और ताशा आदि लोक वाद्ययंत्र शामिल किए गए थे. कार्यक्रम के दौरान उपस्थित श्रोताओं ने भी वाद्ययत्रों की लय से लय मिलाते हुए अपनी तालियों से संगत दी. ऐसा लग रहा था मानो समस्त वाद्ययंत्र अखण्ड भारत की लोकसंस्कृति को एक माला में पिरो कर पेश कर रहें है.
इस दौरान स्वर लहरी कार्यक्रम की शुरूआत लहरा से हुई. सारंगी वादन से शुरूआत होते ही धीरे-धीरे अन्य वाद्ययंत्र भी प्रस्तुति से जुड़ते चले गए तो कार्यक्रम का उत्साह चरम पर पहुंच गया और उपस्थित लोगों के दिलो-दिमाग पर अमिट छाप छोड गया. प्रस्तुति के दौरान बीच-बीच में आयोजित वा़द्ययत्रों की जुगलबंदी देखने लायक थी. कार्यक्रम में जब विभिन्न राज्यों से आए 200 से अधिक लोक कलाकार ने भी लय से लय मिलाते हुए नृत्य किया, दृश्य देखने लायक था. प्रस्तुति के अंत में तीन ताल में चक्रधार तिहाई के अतिरिक्त वन्दे मातरम गीत की प्रस्तुति ने इसे और भी प्रभावशाली बना दिया.