जयपुर. राजस्थान की सियासत में पेपर लीक मामला एक बार फिर से गरमाने लगा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से पेपर लीक के आरोपियों को उम्रकैद की सजा दिलवाने के लिए प्रतिबद्धता जताने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और सवालों की बौछार लगा दी. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट करते हुए कहा कि पेपर लीक राजस्थान में रवायत बन चुकी है. चुनाव की आचार संहिता लगने में 3 माह का वक्त बचा है तो सीएम को युवाओं की याद आ रही है.
चुनाव से पहले आई याद : राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाल किया कि आपके शासनकाल में 16 बार पेपर लीक होना देशभर में रिकॉर्ड बन चुका है. साल 2022 की फरवरी में आपने राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा विधेयक लाकर वादा किया था, लेकिन उसके बाद भी कॉन्स्टेबल भर्ती, टेक्निकल हेल्पर भर्ती परीक्षा, वनरक्षक परीक्षा, सेकंड ग्रेड टीचर एग्जाम के पर्चे आपकी नाक के नीचे लीक हो गए. राठौड़ ने पूछा कि नए कानून के तहत अब तक पेपर लीक के कितने आरोपियों के खिलाफ आपने क्या कार्रवाई की है और कितने आरोपियों को सजा दिलवाई है ? उन्होंने पूछा कि कितने आरोपियों की संपत्ति जब्त की गई है ? किन-किन संस्थाओं की मान्यता रद्द हुई हैं ?
4 साल खून के आंसू रुलाया : नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राजस्थान में पेपर लीक होना एक परंपरा बन चुकी है. आरपीएससी जैसी संस्था की निष्पक्षता पर भी लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. हाल ही में आरपीएससी के मेंबर बाबूलाल कटारा को नामजद करने वाले लोग अपने चेहरे की कालिख को मिटाना चाहते हैं, जो कि मुमकिन नहीं है. राठौड़ ने कहा कि साढ़े 4 साल तक युवाओं को खून के आंसू रुलाने के बाद अब आचार संहिता लगने के 3 महीने पहले सरकार को युवाओं की याद आ रही है. राजस्थान का हर बेरोजगार युवा सरकार की विदाई की तैयारी में बैठा है. ऐसे में कांग्रेस का डूबता जहाज कोई नहीं बचा सकता है.
एक्ट में उम्र कैद की सजा का प्रावधान : बता दें कि मंगलवार सुबह ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा था कि प्रदेश में पेपर लीक के खिलाफ बनाए गए कानून को और मजबूत करते हुए दंड के प्रावधान में अधिकतम सजा का प्रावधान उम्रकैद किया जा रहा है. इसके लिए आगामी विधानसभा सत्र में बिल लाया जाएगा. इससे पहले प्रदेश की गहलोत सरकार पेपर लीक माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए कानून लेकर आई थी. इसके तहत परीक्षाओं के पेपर लीक और नकल गिरोह में शामिल लोगों को अपराध साबित होने पर 5 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया था, जिसे बढ़ा कर गहलोत सरकार उम्र कैद में बदलने जा रही है.