ETV Bharat / state

ज्योतिबा फुले बोर्ड से लव-कुश शब्द हटाने पर कुशवाहा समाज नाराज, CM गहलोत को बताया जातिवादी - Rajasthan government constituted three boards

ज्योतिबा फुले बोर्ड से लव-कुश शब्द हटाए जाने से (Lav Kush word removed from Jyotiba Phule board) नाराज कुशवाहा समाज के लोगों ने सूबे के सीएम अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप लगाए. समाज के लोगों ने नाम परिवर्तन को सीएम का जातिवादी मोह करार दिया और कहा कि सीएम गहलोत ने अपने समाज को खुश करने के लिए यह निर्णय लिया.

Kushwaha samaj angry with CM Gehlot
सीएम गहलोत से कुशवाहा समाज नाराज
author img

By

Published : Oct 26, 2022, 9:51 AM IST

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने दीपावली पर 3 बोर्डों के गठन की घोषणा कर करीब आधा दर्जन समाज (Kushwaha Samaj attacks CM Gehlot) को साधने की कोशिश की, लेकिन अब इन बोर्डों के नामों को लेकर विवाद शुरू हो गया है. प्रस्तावित लव-कुश फुले बोर्ड से लव-कुश शब्द हटाए (Lav Kush word removed from Jyotiba Phule board) जाने पर कुशवाहा समाज ने नाराजगी जताई है. साथ ही समाज ने सीएम गहलोत पर जातिवादी होने के भी आरोप लगाए हैं.

नाम पर आपत्ति: कुशवाहा समाज की ओर से कहा गया कि राजस्थान सरकार ने धनतेरस के मौके पर तीन बोर्ड (Rajasthan government constituted three boards) बनाए. जिसमें जाटव चर्मकार समाज के लिए चर्मकार बोर्ड का गठन किया गया है तो कुशवाहा, काछी, माली और सैनी समाज के लिए ज्योतिबा फुले बोर्ड और धोबी रजक समाज के लिए रजक बोर्ड का गठन किया गया है. इसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आधिकारिक घोषणा भी कर दी.

अब गहलोत सरकार के इस फैसले से राजस्थान के कुशवाहा समाज के लोग खासा नाराज हैं और इस फैसले को बड़ा धोखा करार दे रहे हैं. समाज के लोगों का कहना है कि प्रस्तावित लव-कुश फुले बोर्ड से लव कुश शब्द हटा कर कुशवाहा समाज को इस सरकार ने ठेस पहुंचाने की कोशिश की है.

इसे भी पढ़ें - आज दिल्ली में एक मंच पर दिखेंगे गहलोत-पायलट, खड़गे के शपथ ग्रहण में होंगे शामिल

सीएम ने अपनी जाति का रखा ध्यान: कुशवाहा समाज का तर्क है कि 9 सितंबर, 2022 को आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल के बीच लव-कुश फुले कल्याण बोर्ड पर सहमति बनी थी. वहीं, 19 सितंबर, 2022 को भी बोर्ड गठन के संकेत दिए थे, लेकिन माली समाज के कुछ लोगों के कहने पर माली, सैनी समाज का ध्यान रखते हुए ज्योतिबा फुले बोर्ड का गठन कर दिया गया. बस इसी पर नाराजगी है. समाज का कहना है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने सिर्फ और सिर्फ अपने माली समाज के लोगों को खुश करने के लिए कुशवाहा समाज के साथ यह धोखा किया है.

कुशवाहा समाज का कहना है कि माली, सैनी, शाक्य, मौर्य और कुशवाहा समाज में सामंजस्य बिठाने के लिए लव-कुश फुले कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए.

लव-कुश फुले कल्याण बोर्ड पर बनी थी सहमति: कुशवाहा समाज की ओर से कहा गया कि सीएम गहलोत ने अपनी मनमर्जी करते हुए अपने समाज का ध्यान रखा और लव-कुश फुले कल्याण बोर्ड का नाम परिवर्तित कर ज्योतिबा फुले कल्याण बोर्ड कर दिया. जबकि 18 सितंबर, 2022 को एक प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी, जिसमें सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने बोर्ड गठन के लिए सहमति दी थी. साथ ही कुछ लोगों ने महात्मा ज्योतिबा फुले आयोग गठन को लेकर भी संकेत दिए थे, जिसे समाज के लोग समझ नहीं पाए. ऐसे में कुशवाहा समाज को इस सरकार ने भ्रमित किया है.

महात्मा ज्योतिबा फुले बोर्ड गठन को लेकर कुशवाहा समाज के लोगों से चर्चा करने पर समाज के लोगों ने नाराजगी जताई और कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने केवल माली समाज का ध्यान रखा है. ऐसे में अब उनका माली समाज के नेताओ से भरोसा टूट गया है.

अब आंदोलन की तैयारी: कुशवाहा समाज की ओर से कहा गया कि लव-कुश फुले कल्याण बोर्ड से लव-कुश का नाम हटाने के विरोध में जल्द ही कुशवाहा समाज बैठक कर आंदोलन की रणनीति पर विचार करेगा. कुशवाहा समाज भगवान श्रीराम के पुत्र लव-कुश के वंशज और समाज के महान क्रांतिकारी शहीद रामसिंह कुशवाहा (1957), शहीद पंचमसिंह कुशवाहा, स्वतंत्रता सेनानी गैंदाराम कुशवाहा, कल्लाराम कुशवाहा, पन्नालाल कुशवाहा (1947) धौलपुर के वंशज हैं, जिन्होंने मरते दम तक अंग्रेज और तानाशाह देशी राजाओं के सामने सिर नहीं झुकाया था.

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने दीपावली पर 3 बोर्डों के गठन की घोषणा कर करीब आधा दर्जन समाज (Kushwaha Samaj attacks CM Gehlot) को साधने की कोशिश की, लेकिन अब इन बोर्डों के नामों को लेकर विवाद शुरू हो गया है. प्रस्तावित लव-कुश फुले बोर्ड से लव-कुश शब्द हटाए (Lav Kush word removed from Jyotiba Phule board) जाने पर कुशवाहा समाज ने नाराजगी जताई है. साथ ही समाज ने सीएम गहलोत पर जातिवादी होने के भी आरोप लगाए हैं.

नाम पर आपत्ति: कुशवाहा समाज की ओर से कहा गया कि राजस्थान सरकार ने धनतेरस के मौके पर तीन बोर्ड (Rajasthan government constituted three boards) बनाए. जिसमें जाटव चर्मकार समाज के लिए चर्मकार बोर्ड का गठन किया गया है तो कुशवाहा, काछी, माली और सैनी समाज के लिए ज्योतिबा फुले बोर्ड और धोबी रजक समाज के लिए रजक बोर्ड का गठन किया गया है. इसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आधिकारिक घोषणा भी कर दी.

अब गहलोत सरकार के इस फैसले से राजस्थान के कुशवाहा समाज के लोग खासा नाराज हैं और इस फैसले को बड़ा धोखा करार दे रहे हैं. समाज के लोगों का कहना है कि प्रस्तावित लव-कुश फुले बोर्ड से लव कुश शब्द हटा कर कुशवाहा समाज को इस सरकार ने ठेस पहुंचाने की कोशिश की है.

इसे भी पढ़ें - आज दिल्ली में एक मंच पर दिखेंगे गहलोत-पायलट, खड़गे के शपथ ग्रहण में होंगे शामिल

सीएम ने अपनी जाति का रखा ध्यान: कुशवाहा समाज का तर्क है कि 9 सितंबर, 2022 को आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल के बीच लव-कुश फुले कल्याण बोर्ड पर सहमति बनी थी. वहीं, 19 सितंबर, 2022 को भी बोर्ड गठन के संकेत दिए थे, लेकिन माली समाज के कुछ लोगों के कहने पर माली, सैनी समाज का ध्यान रखते हुए ज्योतिबा फुले बोर्ड का गठन कर दिया गया. बस इसी पर नाराजगी है. समाज का कहना है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने सिर्फ और सिर्फ अपने माली समाज के लोगों को खुश करने के लिए कुशवाहा समाज के साथ यह धोखा किया है.

कुशवाहा समाज का कहना है कि माली, सैनी, शाक्य, मौर्य और कुशवाहा समाज में सामंजस्य बिठाने के लिए लव-कुश फुले कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए.

लव-कुश फुले कल्याण बोर्ड पर बनी थी सहमति: कुशवाहा समाज की ओर से कहा गया कि सीएम गहलोत ने अपनी मनमर्जी करते हुए अपने समाज का ध्यान रखा और लव-कुश फुले कल्याण बोर्ड का नाम परिवर्तित कर ज्योतिबा फुले कल्याण बोर्ड कर दिया. जबकि 18 सितंबर, 2022 को एक प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी, जिसमें सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने बोर्ड गठन के लिए सहमति दी थी. साथ ही कुछ लोगों ने महात्मा ज्योतिबा फुले आयोग गठन को लेकर भी संकेत दिए थे, जिसे समाज के लोग समझ नहीं पाए. ऐसे में कुशवाहा समाज को इस सरकार ने भ्रमित किया है.

महात्मा ज्योतिबा फुले बोर्ड गठन को लेकर कुशवाहा समाज के लोगों से चर्चा करने पर समाज के लोगों ने नाराजगी जताई और कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने केवल माली समाज का ध्यान रखा है. ऐसे में अब उनका माली समाज के नेताओ से भरोसा टूट गया है.

अब आंदोलन की तैयारी: कुशवाहा समाज की ओर से कहा गया कि लव-कुश फुले कल्याण बोर्ड से लव-कुश का नाम हटाने के विरोध में जल्द ही कुशवाहा समाज बैठक कर आंदोलन की रणनीति पर विचार करेगा. कुशवाहा समाज भगवान श्रीराम के पुत्र लव-कुश के वंशज और समाज के महान क्रांतिकारी शहीद रामसिंह कुशवाहा (1957), शहीद पंचमसिंह कुशवाहा, स्वतंत्रता सेनानी गैंदाराम कुशवाहा, कल्लाराम कुशवाहा, पन्नालाल कुशवाहा (1947) धौलपुर के वंशज हैं, जिन्होंने मरते दम तक अंग्रेज और तानाशाह देशी राजाओं के सामने सिर नहीं झुकाया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.