जयपुर. राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में चुनावी साल के बीच अब एक के बाद एक समाज की ओर से शक्ति प्रदर्शन कर सरकार और सियासी पार्टियों के समक्ष उनकी मागें रखी जा रही हैं. राजपूत, जाट, ब्राह्मण, एसटी-एससी और यादव समाज के बाद अब रविवार को कुमावत समाज ने विद्याधर नगर स्टेडियम में हुंकार भरी. यहां मंच से ओबीसी आरक्षण 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर वर्गीकरण करने, स्थापत्य कला बोर्ड का गठन करने और विधानसभा चुनाव में जनसंख्या के आधार पर प्रमुख राजनीतिक दलों से 10-10 टिकट की मांग उठाई गई. वहीं, इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मौजूद रहे.
प्रदेश में करीब 15 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां कुमावत समाज के मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं, यानी इन विधानसभा क्षेत्रों में समाज के लोग बाहुल्य हैं. साथ ही इन क्षेत्रों में समाज के करीब 25 से 70 हजार मतदाता है. वहीं, 65 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां 10 से 25 हजार की संख्या में मतदाता है. जो किसी की भी सियासी दल की गणित को गलत और सही करने का माद्दा रखते हैं. ऐसे में रविवार को विद्याधर नगर स्टेडियम में हुई कुमावत महापंचायत में समाज की जनसंख्या के आधार पर सियासी दलों की ओर से आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें प्रतिनिधित्व देने की मांग उठाई गई.
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समाज के प्रतिनिधियों ने दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस से विधानसभा चुनाव में दस-दस टिकट और लोकसभा चुनाव में दो टिकट देने की मांग की. साथ ही ओबीसी आरक्षण को 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने, समाज के छात्रावासों के लिए निशुल्क जमीन उपलब्ध कराने, कुमावत समाज के भवन निर्माण और वास्तु के कार्य से जुड़े कारीगरों के लिए उत्थान के लिए स्थापत्य कला बोर्ड बनाने और उसके अधीन स्थापत्य कला यूनिवर्सिटी का गठन करते हुए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की मांग रखी. इस दौरान समाज के लोगों ने प्रदेश की धरोहरों, स्मारकों पर इनके कुमावत वास्तुकारों के नाम लिखकर सम्मान देने, जातिगत आधार पर जनगणना करने और शिल्पकला के नाम से डाक टिकट जारी करने की भी मांग उठाई.
कुमावत महापंचायत में पहुंचे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि कुमावत समाज का प्रदेश की आध्यात्मिक कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला और विरासत का संरक्षण करने में बहुत बड़ा योगदान है. यदि ऐतिहासिक इमारतों, किले, दुर्ग और मंदिरों को देखें तो उनमें कहीं ना कहीं कुमावत समाज के पसीना मिलेगा. राजस्थान का पर्यटन नगरी के रूप में आर्थिक समृद्धि के रूप में कुमावत समाज की भूमिका है. इन्हीं लोगों ने कड़ी मेहनत और परिश्रम के साथ राजस्थान ही नहीं देश के अलग-अलग इलाकों के अंदर कला- संस्कृति में बड़ा योगदान दिया है, उनकी इस कला का हमेशा सम्मान करते हैं.