जयपुर. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पेश किया. चुनावी वर्ष के अंतिम बजट में गहलोत ने लगभग सभी वर्ग को खुश करने की कोशिश की है. कई बड़ी घोषणाएं की गई हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इन घोषणाओं को पूरी करने के लिए सरकार बजट कहां से लाएगी जबकि इस बजट में किसी तरह का कोई अतिरिक्त कर नहीं लगाया गया है.
वित्तीय मामलों के जानकार डॉ. राजेश कोठारी का कहना है कि घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए राज्य सरकार को अपना राजस्व घाटा बढ़ाना होगा. वहीं आरबीआई के नियमों के अनुसार कोई भी राज्य अपनी जीडीपी का 30 फीसदी से ज्यादा कर्ज नहीं ले सकता है लेकिन 40% ऋण पहले ही लिया जा चुका है तो ऐसे में इन घोषणाओं को पूरी करना एक बड़ा चैलेंज रहेगा.
खास ये है कि इस बजट में कोई नया अतिरिक्त कर नहीं लगाया गया है लेकिन सरकार ने कर में किसी तरह की कोई छूट भी नहीं दी है. ऐसे में मौजूदा कर के माध्यम से ही बजट की घोषणाओं को पूरा करने का लक्ष्य सरकार रखेगी. इसके अलावा सरकार के पास संसाधनों की काफी कमी है क्योंकि उद्योगों के लिहाज से राजस्थान अन्य राज्यों से काफी पिछड़ा हुआ है जबकि एक अच्छा खासा रेवेन्यू सरकार के पास उद्योगों से प्राप्त होता है.
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सरकार के पास समय कम
डॉ. राजेश कोठारी का कहना है कि यह बजट पूरी तरह से चुनावी माहौल को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. इतनी बड़ी घोषणाओं को पूरा करने के लिए सरकार के पास सिर्फ 7 से 8 महीने का समय है. इतने कम समय में सभी घोषणाओं को पूरा करना काफी मुश्किल और चुनौती भरा दिख रहा है. इसके अलावा पिछले बजट की घोषणा अभी तक पूरी नहीं हो पाई है तो ऐसे में हर वर्ग को राहत मिल सके इसकी संभावनाएं काफी कम नजर आ रही है. इसके अलावा इस बजट में स्वास्थ्य और शिक्षा पर विशेष जोर सरकार की ओर से दिया गया है और बजट का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च हो सकता है.