जयपुर. पुलिस की ओर से न्यायिक कर्मचारी सुभाष मेहरा की मौत को आत्महत्या बताने के बाद अब राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ ने एनडीपीएस कोर्ट के न्यायाधीश पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कर्मचारी संघ की ओर से कहा गया है कि एनडीपीएस कोर्ट के न्यायाधीश कोर्ट के सहायक कर्मचारी सुभाष मेहरा को जबरन अपने घर रखते थे और उससे कपड़े-बर्तन धोना, खाना बनाना और शौचालय की सफाई आदि कराने का काम कराते थे. इसी बीच कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश खत्म कराने और आत्मदाह मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई (PIL in judicial employee self immolation case) है.
कर्मचारी संघ का आरोप है कि न्यायाधीश उसे घर पर बंधक बनाकर रखते थे और उसे कभी कोर्ट नहीं आने देते थे. घटना से कुछ दिन पहले सुभाष प्रताड़ित होकर अपने घर चला गया था. जहां उसने परिजनों को वापस नौकरी पर नहीं जाने की बात कही थी. इस पर न्यायाधीश ने सुभाष चौक थाना पुलिस के जरिए उसे घर से उठवाया था. राजस्थान कर्मचारी संघ ने पुलिस जांच का खंडन करते हुए कहा है कि सुभाष के हाथ पर चाकू के निशान थे, लेकिन चाकू बरामद नहीं किया गया. इसके अलावा उसके गुप्तांग पर भी चोट के निशान मिले थे. वहीं उसके शव का पोस्टमार्टम बगरू में कराया गया और आखिर तक न्यायाधीश वहां मौजूद क्यों रहे.
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कर्मचारी संघ की ओर से यह भी कहा गया है कि सुभाष के परिजनों को उसका बिना सिम का मोबाइल लौटाया गया, लेकिन सिम आज तक बरामद नहीं की गई. वहीं मृतक के भाई से पुलिस और न्यायिक अधिकारी ने दबाव में खाली कागजों पर हस्ताक्षर कराए थे. वहीं पुलिस ने सुभाष को पूर्व में सुभाष चौक थाना पुलिस की ओर से घर से उठाने की जांच भी नहीं की. इसके अलावा घटनास्थल पर पुलिस और एफएसएल की टीम एक साथ उसके परिजनों से पहले कैसे पहुंच गई. ऐसे में यह हत्या का मामला है, जिसे आत्महत्या का रूप दिया जा रहा है. कर्मचारी संघ ने यह भी आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने चीफ जस्टिस को तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश किया है. कर्मचारियों ने गुहार लगाई है कि सीजे उनसे रजिस्ट्री की गैर मौजूदगी में मिलकर पक्ष सुने.
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न्यायिक कर्मचारी सुभाष मेहरा के न्यायिक अधिकारी के आवास पर कथित आत्मदाह करने की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर निचली अदालत के कर्मचारी शुक्रवार को भी सामूहिक अवकाश पर रहे. वहीं अधिवक्ता पीसी भंडारी ने सामूहिक अवकाश खत्म कराने और मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की है. याचिका में प्रमुख गृह सचिव, पुलिस कमिश्नर, राजस्थान हाईकोर्ट और सीबीआई को पक्षकार बनाया गया है. जनहित याचिका पर खंडपीठ आगामी सप्ताह में सुनवाई कर सकती है.
याचिका में कहा गया कि पिछले 18 नवंबर से शहर की अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चल रहे हैं. वहीं करीब एक सप्ताह से प्रदेश की अदालतों के सभी कर्मचारी अवकाश पर हैं. जिसके चलते अदालतों में कामकाज पूरी तरह ठप हो गया है. मृतक की बहन ने भी संबंधित न्यायिक अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ऐसे में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए.
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याचिका में यह भी कहा गया है कि हाईकोर्ट लोक अदालत लगाकर राजीनामे से मुकदमों का निस्तारण करती है, फिर इस मामले में कर्मचारी संघ के बातचीत कर समाधान क्यों नहीं निकाला जा रहा है. कोर्ट और राज्य सरकार का कर्तव्य है कि जनता को न्याय से वंचित नहीं किया जाए, लेकिन बीते करीब 21 दिनों से काम नहीं हो रहा और प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. ऐसे में हाईकोर्ट और कर्मचारियों के बीच गतिरोध को दूर कर मामले की सीबीआई जांच कराई जाए.