जयपुर. एक ओर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है तो दूसरी ओर देश में इसके पक्ष-विपक्ष में लोग अपनी-अपनी दलील देकर इसका समर्थन और विरोध भी कर रहे हैं. वहीं, समलैंगिक विवाह को विधिक मान्यता देने के विरोध में बुधवार को राजधानी जयपुर में बड़ी संख्या में महिलाएं सड़क पर उतरी. जिन्होंने इसका पुरजोर तरीक से विरोध किया. इस संबंध में महिलाओं ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम दिनेश कुमार शर्मा को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा.
संस्कृति व प्रकृति विरोधी है सेम सेक्स मैरिज - दरअसल, महिला जागृति समूह की संयोजिका डॉ. सुनीता अग्रवाल के नेतृत्व में बुधवार को बड़ी संख्या में महिलाएं जयपुर कलेक्ट्रेट पहुंची और समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया. इस दौरान इनके साथ बड़ी संख्या में महिला अधिवक्ता भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई. महिलाओं ने समलैंगिक विवाह को देश की संस्कृति और प्रकृति के खिलाफ बताया. साथ ही मौके पर महिलाओं ने देश भक्ति के नारे भी लगाए.
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पारिवारिक व्यवस्था के लिए खतरा - डॉ. अग्रवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का मामला चल रहा है. ऐसे में हम सभी लोग उसके खिलाफ एकजुट हुए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन में शामिल सभी महिलाएं किसी संगठन से जुड़ी नहीं है, बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों से ताल्लुक रखती हैं. वहीं, यह कानून हमारी संस्कृति के खिलाफ है और हमारे लिए घातक सिद्ध हो सकता है. इतना ही नहीं इससे हमारी पारिवारिक व्यवस्था भी खराब होगी, साथ ही समलैंगिक विवाह प्रकृति के विपरीत भी है.
समलैंगिक विवाह के विरोध में सड़क पर उतरीं अन्य महिलाओं ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से सांस्कृतिक मूल्यों का हनन होगा. साथ ही कानून बनाने का अधिकार संसद को है. ऐसे में कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, संसद का काम संसद को करने दें. डॉ. अग्रवाल ने कहा कि भारत की सामाजिक परंपरा में विवाह पवित्र संस्कार है और इसका उद्देश्य मानव जाति का उत्थान करना है. इसमें एक जैविक पुरुष और जैविक महिलाओं के मध्य ही विवाह करने को मान्यता दी गई है. महिलाओं ने कहा कि न्यायपालिका को विधायिका के क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करना चाहिए. साथ ही समलैंगिक विवाह के विषय में न्यायालय को सुनवाई भी नहीं करनी चाहिए.