जयपुर. प्रदेश की राजधानी की सड़कों पर जाम से निजात दिलाने से लेकर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने वाले ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी में अब मानवीय दखल नहीं होगा. बल्कि कंप्यूटर इन यातायात कर्मियों की ड्यूटी लगाएगा. इसके लिए एक खास सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है. जो ट्रायल के तौर पर काम कर रहा है. अब आगामी दिनों में ट्रैफिक पुलिस के जवानों से लेकर अल्फा और हॉक की ड्यूटी भी इसी खास कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के जरिए तय होगी. इससे ड्यूटी लगाने में पारदर्शिता आएगी और ड्यूटी लगाने में भेदभाव की शिकायतों में भी कमी आएगी.
जयपुर आयुक्तालय के अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर (यातायात एवं प्रशासन) राहुल प्रकाश ने ड्यूटी लगाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए यह नवाचार किया है. उनका कहना है कि यातायात पुलिस के कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल से लेकर एएसआई और एसआई की ड्यूटी कहां लगाई जाएगी. यह अब कंप्यूटर तय करेगा. इसके लिए एक खास कंप्यूटर सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है. जिसे यातायात पुलिस ड्यूटी सॉफ्टवेयर नाम दिया गया है. इससे रेंडमली कर्मचारियों की ड्यूटी लगेंगी. इसमें किसी भी तरह का मानवीय दखल नहीं होगा. पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह नवाचार किया जा रहा है.
ट्रैफिक के लिहाज से शहर को तीन जोन में बांटा: पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश का कहना है कि खास कंप्यूटर सिस्टम के जरिए ड्यूटी लगाने के लिए यातायात के लिहाज से जयपुर शहर को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला आंतरिक, दूसरा मध्यवर्ती और तीसरा बाहरी भाग. जब रेंडमाइजेशन होगा तो पहले क्षेत्र में तैनात कर्मचारियों की ड्यूटी दूसरे और तीसरे भाग में लगेगी. दूसरे भाग में तैनात कार्मिक पहले और तीसरे हिस्से में जाएंगे और तीसरे क्षेत्र में तैनात कर्मचारियों की ड्यूटी पहले और दूसरे हिस्से में अपने आप लगेंगी. वर्तमान जोन से कार्मिकों की ड्यूटी अन्य दो जोन में ही लगेंगी. इसके बाद अगले महीने फिर इसी तरह से बदलाव होगा और यह प्रक्रिया सतत रूप से जारी रहेगी.
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शिकायतें होंगी कम, समस्याएं भी निपटेंगी : उनका कहना है कि यातायात कर्मियों की ड्यूटी लगाने में पारदर्शिता सबसे ज्यादा जरूरी है. इस बात को लेकर कई बार शिकायतें भी आती हैं और कई समस्याएं भी आती हैं. इस नई व्यवस्था से शिकायतों का समाधान होगा और समस्याएं भी दूर होगी. अगर इस सॉफ्टवेयर में कोई इम्प्रूवमेंट की जरूरत पड़ेगी तो वो भी किया जाएगा.
31 जून को होगा पहली बार रेंडमाइजेशन : कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के जरिए ट्रैफिक कर्मियों की ड्यूटी लगाने के लिए पहली बार रेंडमाइजेशन 31 जून को किया जाएगा और पहली जुलाई से यह व्यवस्था प्रभावी हो जाएगी. इस प्रक्रिया को यदि कोई भी कर्मचारी देखना चाहे तो जब भी सॉफ्टवेयर रन करके ड्यूटी लगाई जाएगी. वे इस प्रक्रिया को देख सकते हैं. पहले चरण में 1 जुलाई से कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल की ड्यूटी सॉफ्टवेयर से लगाई जाएगी. इसके 15 दिन बाद एएसआई और सब इंस्पेक्टर की ड्यूटी इस सॉफ्टवेयर से ही तय की जाएगी. इस प्रक्रिया में 15 दिन का अंतराल रखने का मकसद यह है कि नई जगह पर ड्यूटी करने में कई बार चुनौतियां आती हैं. ऐसे में पहले से क्षेत्र को समझने वाले कुछ कर्मचारी रहेंगे तो नवनियुक्त कर्मचारी को पुराने कर्मचारी वहां की चुनौतियों और उनके समाधान के बारे में ब्रीफ कर पाएंगे. ताकि यह बदलाव सहज ढंग से हो पाए. इसके साथ ही सभी कर्मचारी अचानक बदलने से यातायात में किसी तरह का कोई व्यवधान पैदा न हो.
बाहरी नंबर की गाड़ियों को अनावश्यक नहीं रोकेंगे : आमतौर पर देखने में आता है कि जयपुर से बाहर अन्य जिलों या अन्य राज्यों की नंबर प्लेट वाली गाड़ियों को देखते ही यातायात पुलिस के जवान लपककर उन्हें रोक लेते हैं. अब ऐसा नहीं होगा. बाहरी नंबरों की गाड़ियों को बेवजह नहीं रोका जाएगा. दरअसल, जयपुर में बड़ी संख्या में देशी और विदेशी सैलानी घूमने आते हैं. कई लोग परिवार के साथ होते हैं और बेवजह रोक-टोक के चलते उन्हें परेशानी होती है. ऐसे में उन लोगों की परेशानी को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राहुल प्रकाश ने सभी यातायात कर्मियों को निर्देश दिया है कि बाहरी नंबरों की गाड़ियों को बेवजह रोका नहीं जाए. जब तक की कोई संदिग्ध न लगे या यातायात के नियमों का बड़ा उल्लंघन नहीं हो रहा हो.
चालान के बजाए काउंसलिंग पर जोर : राहुल प्रकाश ने बताया कि यातायात पुलिस कर्मियों को ये निर्देश भी दिए हैं कि सड़क पर कोई वाहन चालक छोटी-मोटी गलती करता है तो सीधे चालान काटने की बजाए उनकी काउंसलिंग की जाए और उन्हें नियम कायदों की जानकारी दी जाए. दरअसल, ग्रामीण परिवेश के कई लोग जरूरी काम से शहर में आते हैं और छोटी-मोटी गलती पर चालान कटने से अल्प आय वर्ग के लोगों को आर्थिक नुकसान और मानसिक परेशानी उठानी पड़ती है. ऐसे में चालान काटने के बजाए काउंसलिंग पर ज्यादा जोर देने के निर्देश दिए गए हैं. राहुल प्रकाश का कहना है कि हमारी प्राथमिकता यातायात को सुगम बनाना है. इसलिए पहले यातायात को सुगम बनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. फिर भी यदि कोई नियम तोड़ता है तो चालान बनाना चाहिए.
जाम से निपटने के लिए यह है प्लान : जयपुर की सड़कों पर जगह-जगह वाहनों का लंबा जाम लगना एक बड़ी समस्या है. कई बार बेतरतीब पार्किंग, ई रिक्शा और मिनी बसों का सड़क पर खड़े होने और सड़क पर ठेला लगाने के कारण वाहन चालकों को पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है और लंबा जाम लग जाता है. इससे बचने के लिए बेतरतीब वाहन पार्क करने वाले लोगों, ई रिक्शा और मिनी बसों के चालकों से समझाइश की जा रही है. ठेले वालों को भी निर्धारित स्थान पर ही ठेला लगाने के लिए समझाया जा रहा है. इससे जाम की समस्या से काफी हद तक राहत मिलने की उम्मीद है.