जयपुर. महिला उत्पीड़न मामलों की विशेष अदालत महानगर प्रथम ने दुष्कर्म के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मानसिक दिव्यांग से दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि लडकियों की सुरक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति की नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है, जहां लडक़ी मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है, वहां उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है.
अदालत ने कहा कि मामले में एक ऐसा ऑटो चालक है, जिसने अपनी जिम्मेदारी समझी और दूसरी ओर अभियुक्त है, जिसने मानसिक दिव्यांग लड़की को अपनी वासना का शिकार बनाया. ऐसी घटनाओं से प्रत्येक महिला के मन में समाज के लोगों के प्रति भय की भावना उजागर होती है और महिला प्रत्येक पुरुष के प्रति डर का भाव लेकर जीती है.
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अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि 28 जुलाई, 2020 की रात ऑटो चालक जब्बार रात करीब एक बजे ओटीएस चौराहा से रेलवे स्टेशन जा रहा था. ओटीएस चौराहे के पास उसे सड़क पर एक व्यक्ति लड़की के साथ नजर आया. सवारी लेने की आशा में जब्बार उनके पास गया तो व्यक्ति ने लड़की को अपनी बेटी बताया और अस्पताल छोड़ने की बात कही.
इस पर जब्बार वहां से आगे चला गया. आगे जाकर उसने पीछे मुड़कर देखा तो व्यक्ति उस लड़की को लेकर नाले की तरफ जा रहा था. इस पर ऑटो चालक पास के कार्यालय के बाहर खड़े गार्ड व अन्य लोगों को लेकर नाले में गया, जहां अभियुक्त उसके साथ दुष्कर्म करता मिला. इस पर फोन कर घटना की जानकारी पुलिस को दी गई. पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया.