जयपुर. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट 11 जून को क्या निर्णय लेने जा रहे हैं, इसको लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं है. इन चर्चाओं के बीच कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा साफ कर दिया कि अब पार्टी में किसी तरह का कोई न मनभेद है और न मतभेद. सीएम अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सुलह हो चुकी है. ऐसे में अब बीजेपी कांग्रेस के इस किस्सा कुर्सी पर सवाल उठा रही है. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सचिन पायलट का प्लेन ऑटो मोड पर उड़ रहा हैं. 11 जून को कौन नौ दो ग्यारह होगा पता नहीं, लेकिन अगर अब पायलट सुलह की बात करेंगे तो से साफ हो जायेगा की अब तक जो भी भ्रष्ट्राचार के मुद्दे वो उठा रहे थे वो सिर्फ सिर्फ किस्सा कुर्सी का था.
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11 जून को कौन होगा नौ दो ग्यारहः नेता पत्र राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि 11 जून को पायलट क्या करते हैं, यह उनका खुद का निर्णय है. उसे कांग्रेस पार्टी को देखना है, लेकिन ये जरूर है कि कांग्रेस की कलह हमारे सामने है. 11 तारीख को पायलट ने कई के काम किए हैं. अब आने वाली 11 तारीख को कौन नौ दो ग्यारह होगा यह तो आने वाला समय बताएगा ? बहरहाल सचिन पायलट का विमान ऑटो मोड उड़ रहा हैं. कहां जाकर उतरेगा यह मालूम नहीं, लेकिन यह जरूर कह सकते हैं कि कलह आज भी जारी है. एक दूसरे को अपमानित करने का काम और एक दूसरे को नीचा दिखाने का मंशा लगातार जारी है.
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चाय के प्याले में तूफान नहीं दिखताः राठौड़ ने कहा कि अब कांग्रेस प्रभारी कह रहे हैं कि सब कुछ ठीक हो गया. चाय के प्याले में तूफान नहीं दिखता. मगर जब भी चाय का प्याला खनकता है तो पूरी चाय बाहर गिर जाती है. इसलिए कांग्रेस में सब कुछ ठीक हो गया ऐसा नहीं है. आपस में जो झगड़े थे उनके वो आज भी लगातार बने हुए हैं. राठौड़ ने पायलट और गहलोत के बीच सुलह को लेकर कहा कि सचिन पायलट ने जिन जिन मुद्दों को लेकर जन संघर्ष यात्रा की थी. वो आज भी हैं. उन्होंने आरपीएससी को संदेश जारी किया था और उन्होंने कहा था कि सही तरीके से जांच होगी तो उसके तार ऊपर तक मिलेंगे.
पायलट लौटते हैं तो समझ लीजिए किस्सा कुर्सी का थाः सचिन पायलट जो कहा उन किरदारों के चेहरे सामने लाने में ईडी लगी हुई है, लेकिन अब पायलट सुलह की बात करते हैं. वापस जाते हैं तो निश्चित रूप से फिर वो मुद्दों की बात नहीं होगी, फिर यही कहा जाएगा कि किस्सा कुर्सी का था. राठौड़ ने कहा कि किस्सा कुर्सी में समाधान तब होता है. जब सत्ता में भागीदारी मिलती है और अगर सचिन पायलट को लेकर कोई समझौता हो गया तो समझ लेना कि सिर्फ और सिर्फ कुर्सी के लिए झगड़ा था. आम जनता के मुद्दों का नहीं.