जयपुर. जयपुर हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम में यूडी टैक्स वसूली का काम भले ही निजी कंपनी को सौंप रखा हो. लेकिन उसकी भी परफॉर्मेंस कुछ खास नहीं है. कंपनी को 1 साल में 80 करोड़ टैक्स वसूली का लक्ष्य दिया है. लेकिन कंपनी 75 दिन में करीब 6 करोड़ की वसूली ही कर पाई है. यही नहीं कंपनी की ओर से किया जा रहा नए संपत्तियों के सर्वे का काम भी धीमा ही है.
आर्थिक तंगी से जूझ रहे जयपुर नगर निगम प्रशासन ने अपने राजस्व अधिकारियों पर निर्भर नहीं रह कर, प्राइवेट फर्म के साथ नगरीय विकास कर की वसूली करनी शुरू की. बीते 5 सालों के औसत 64 करोड़ वसूली की तुलना में निगम ने प्राइवेट फर्म को 2020-21 का टारगेट 80 करोड़, जबकि इसके बाद आगामी 5 वर्ष एसेसमेंट का 75 फ़ीसदी वसूलने का टारगेट दिया गया है. लेकिन फिलहाल निजी फर्म स्पैरो सॉफ्टेक इस लक्ष्य से काफी दूर है कंपनी ने जियो टैग सर्वे नई संपत्तियों के सर्वे और कर योग्य संपत्तियों से वसूली का काम इसी वर्ष 8 अक्टूबर से शुरू कर दिया था लेकिन कंपनी 75 दिन में अढ़ाई कोस चल पाई है.
संपत्तियों के असेसमेंट की भी धीमी रफ्तार
जानकारी के अनुसार पिछली बार 2005 में हाउस टैक्स के नाते सर्वे कराया गया था. हाउस टैक्स समाप्त करने के बाद 2007 में नगरीय विकास कर लागू किया गया और इसको वसूलने का आधार डीएलसी तय किया गया. बीते 15 साल से हाउस टैक्स सर्विस डाटा को ही यूडी टैक्स वसूलने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. लेकिन बीते 15 सालों में संपत्तियों में काफी बदलाव हुए हैं. ऐसे में दोबारा हाईटेक तरीके से सर्वे कराया जा रहा है और लक्ष्य छह लाख संपत्तियों का है. जिसमें भी स्पैरो इन्फोटेक कछुए की चाल से ही आगे बढ़ रही है.
हेरिटेज नगर निगम
ग्रेटर नगर निगम
बहरहाल, निजी फर्म को टैक्स वसूली का काम सौंपने का खुद राजस्व शाखा के कर्मचारी ही विरोध कर रहे थे. बावजूद इसके कंपनी टैक्स वसूली के नए कीर्तिमान स्थापित करेगी, इस उम्मीद के साथ काम सौंपा गया. लेकिन फिलहाल फर्म की परफॉर्मेंस देख यही सवाल उठ रहे हैं कि निगम बेवजह करोड़ों रुपए क्यों बहा रहा है.