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ASAE में Jaipur MNIT के छात्रों की धूम, ड्राइवर लेस कार पर दिए सुझाव आए रास - rajasthan hindi news

जयपुर के मालवीय नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने दिल्ली में आयोजित ASAE नॉर्थ इंडिया सेक्शन (Jaipur MNIT Students) में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. ऐसे सुझाव दिए जिसकी खूब तारीफ हुई. इन छात्रों ने अपनी काबिलियत की बदौलत अलग अलग श्रेणियों में तीन पुरस्कार भी जीते. कॉन्फिडेंट टीम का दावा है कि इनके इजाद किए गए फॉर्मूले पर काम हुआ तो 2040 तक भारत की सड़कों पर भी ड्राइवर लेस कार दौड़ेगी.

idea of autonomous Car appreciated at ASAE
Etv BhASAE में Jaipur MNIT के छात्रों की धूमarat
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Published : Sep 3, 2022, 2:28 PM IST

जयपुर. जयपुर के मालवीय नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्र हाल ही में नई दिल्ली में सोसाइटी ऑफ आटोमोटिव इंजीनियर यानी ASAE नॉर्थ इंडिया सेक्शन के कार्यक्रम में बतौर प्रतियोगी शामिल हुए. यहां देशभर के 45 इंजीनियरिंग कॉलेजेस से आए स्टूडेंट्स के बीच एक प्रतियोगिता रखी गई. इस प्रतियोगिता में ड्राइवरलेस कारों को लेकर सुझाव मांगे गए (idea of autonomous Car appreciated at ASAE). MNIT जयपुर के छात्रों ने इस प्रतियोगिता में अपने सुझावों से सबका दिल जीत लिया, उन्होंने भारतीय सड़कों की दशा के बीच सबसे ज्यादा सुझाव दिए और प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार हासिल किया.

एमएनआईटी की स्पार्क विट टीम ने सबसे ज्यादा सुझाव देकर पहले पुरस्कार के रुप में ₹14 हजार रुपये हासिल किए ,वहीं तीसरा पुरस्कार भी राष्ट्रीय मालवीय प्रौद्योगिकी केंद्र जयपुर के नाम रहा, जिसमें इनामी राशि के रूप में ₹35 हजार रुपए दिए गए और एक अन्य टीम ने भी ₹15 हजार रुपए जीते. आपको बता दें कि इस कंपटीशन में देश भर के 45 से अधिक कॉलेजों से इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ने शिरकत की थी.

ASAE में Jaipur MNIT के छात्रों की धूम

ड्राइवर लेस कार फाॅर्मूला: भारत में सड़क परिवहन की स्थिति के लिहाज से स्थितियां अगर देखी जाए, तो ड्राइवरलेस कार के लिए फिलहाल मुफीद नहीं है. ऐसे में सड़कों पर वाइट मार्किंग के जरिए कारों को डायरेक्शन दिया जाता है लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में ज्यादातर सड़कों पर वक्त के साथ सफेद पट्टी धुंधली पड़ जाती है. इसे ड्राइवरलेस गाड़ियां सेंसर नहीं कर पाती. जयपुर एमएनआईटी की टीम ने अपने सुझाव में कहा कि साॅल्यूशन मार्किंग पर निर्भर न करके डायरेक्शन पर होना चाहिए ,ताकि लेफ्ट और राइट डायरेक्शन में गाड़ी अपने सॉफ्टवेयर का अनुसरण करें.

जयपुर एमएनआईटी (Jaipur MNIT Students) किस टीम का दूसरा सुझाव था कि तेज रफ्तार वाली गाड़ियों में अंतर के हिसाब से ड्राइवरलेस कारों में ब्रेक लगाए जाते हैं ,परंतु भारतीय परिस्थितियों में यह इमरजेंसी ब्रेक के रूप में ही बार-बार उपयोग में होगा. लिहाजा सॉफ्टवेयर को बहुत ज्यादा एफिशिएंसी के साथ काम करना होगा. ताकि गड्ढे आने ,पशु आने या फिर गलत दिशा से गाड़ी आने की परिस्थिति में ड्राइवरलेस गाड़ी का सेंसर वक्त पर गति नियंत्रण के साथ गाड़ी को कंट्रोल कर सके.

ड्राइवरलेस गाड़ी में रडार का सिस्टम होता है, परंतु भारतीय परिस्थितियों में राडार के साथ गाड़ी का चलाना जोखिम भरा हो सकता है. लिहाजा एम एन आई टी के इंजीनियरिंग छात्रों ने कैमरे को बेस मानकर इसे गाड़ी में सेंसर के साथ जोड़ने का सुझाव दिया. इसमें कैमरे के साथ मिले निर्देशों के अनुसार गाड़ी के बाकी पुर्जे डेटा वेरीफाई कर के काम कर सकेंगे.

पढ़ें-ओला की इलेक्ट्रिक कार श्रेणी में कदम रखने की घोषणा, 2024 में आएगा पहला मॉडल

एमएनआईटी छात्रों के दिए गए सुझाव के मुताबिक भारत में ड्राइवरलेस कार यानी ऑटोनॉमस गाड़ी के विकल्प का माहौल विदेशों की तुलना में उतना मुफीद नहीं है. भारत में रोड लाइट, ट्रैफिक जाम की स्थिति, लोगों के ट्रैफिक सेंस और सड़कों की हालत खासा खराब होती है. ऐसे में इस टीम के लिए यह तमाम सवाल चुनौतियां थे और सुझाव के रूप में टीम ने इन सब को प्रतियोगिताओं के दौरान रखा.

सोसाइटी ऑफ ऑटोमोटिव इंजिनियर्स ने इन सुझावों की अहमियत को माना. उनके मुताबिक भारत में साल 2040 तक वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से ड्राइवरलेस गाड़ी सड़कों पर दौड़ते हुए देखी जा सकेगी. जहां संतुलन के लिहाज से कार में कैमरे रडार और अन्य डिवाइस का तालमेल बेहतर करने की जरूरत होगी. MNIT के मैकेनिकल विभाग के प्रोफेसर दिलीप शर्मा और प्रोफेसर अरुण वर्मा की अगुवाई में प्रतीक उपाध्याय , माधव गर्ग, नितिन शर्मा, वीरेंद्र सिंह, सागर उपाध्याय, शैलेश सुथार, अमन संचेती, अमन महरोत्रा, संभव जैन और चेल्सी गुप्ता ने ऑटोमेटिक कारों को लेकर दिए गए सुझावों की प्रतियोगिता में शिरकत करते हुए जीत का सेहरा बांधा था.

जयपुर. जयपुर के मालवीय नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्र हाल ही में नई दिल्ली में सोसाइटी ऑफ आटोमोटिव इंजीनियर यानी ASAE नॉर्थ इंडिया सेक्शन के कार्यक्रम में बतौर प्रतियोगी शामिल हुए. यहां देशभर के 45 इंजीनियरिंग कॉलेजेस से आए स्टूडेंट्स के बीच एक प्रतियोगिता रखी गई. इस प्रतियोगिता में ड्राइवरलेस कारों को लेकर सुझाव मांगे गए (idea of autonomous Car appreciated at ASAE). MNIT जयपुर के छात्रों ने इस प्रतियोगिता में अपने सुझावों से सबका दिल जीत लिया, उन्होंने भारतीय सड़कों की दशा के बीच सबसे ज्यादा सुझाव दिए और प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार हासिल किया.

एमएनआईटी की स्पार्क विट टीम ने सबसे ज्यादा सुझाव देकर पहले पुरस्कार के रुप में ₹14 हजार रुपये हासिल किए ,वहीं तीसरा पुरस्कार भी राष्ट्रीय मालवीय प्रौद्योगिकी केंद्र जयपुर के नाम रहा, जिसमें इनामी राशि के रूप में ₹35 हजार रुपए दिए गए और एक अन्य टीम ने भी ₹15 हजार रुपए जीते. आपको बता दें कि इस कंपटीशन में देश भर के 45 से अधिक कॉलेजों से इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ने शिरकत की थी.

ASAE में Jaipur MNIT के छात्रों की धूम

ड्राइवर लेस कार फाॅर्मूला: भारत में सड़क परिवहन की स्थिति के लिहाज से स्थितियां अगर देखी जाए, तो ड्राइवरलेस कार के लिए फिलहाल मुफीद नहीं है. ऐसे में सड़कों पर वाइट मार्किंग के जरिए कारों को डायरेक्शन दिया जाता है लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में ज्यादातर सड़कों पर वक्त के साथ सफेद पट्टी धुंधली पड़ जाती है. इसे ड्राइवरलेस गाड़ियां सेंसर नहीं कर पाती. जयपुर एमएनआईटी की टीम ने अपने सुझाव में कहा कि साॅल्यूशन मार्किंग पर निर्भर न करके डायरेक्शन पर होना चाहिए ,ताकि लेफ्ट और राइट डायरेक्शन में गाड़ी अपने सॉफ्टवेयर का अनुसरण करें.

जयपुर एमएनआईटी (Jaipur MNIT Students) किस टीम का दूसरा सुझाव था कि तेज रफ्तार वाली गाड़ियों में अंतर के हिसाब से ड्राइवरलेस कारों में ब्रेक लगाए जाते हैं ,परंतु भारतीय परिस्थितियों में यह इमरजेंसी ब्रेक के रूप में ही बार-बार उपयोग में होगा. लिहाजा सॉफ्टवेयर को बहुत ज्यादा एफिशिएंसी के साथ काम करना होगा. ताकि गड्ढे आने ,पशु आने या फिर गलत दिशा से गाड़ी आने की परिस्थिति में ड्राइवरलेस गाड़ी का सेंसर वक्त पर गति नियंत्रण के साथ गाड़ी को कंट्रोल कर सके.

ड्राइवरलेस गाड़ी में रडार का सिस्टम होता है, परंतु भारतीय परिस्थितियों में राडार के साथ गाड़ी का चलाना जोखिम भरा हो सकता है. लिहाजा एम एन आई टी के इंजीनियरिंग छात्रों ने कैमरे को बेस मानकर इसे गाड़ी में सेंसर के साथ जोड़ने का सुझाव दिया. इसमें कैमरे के साथ मिले निर्देशों के अनुसार गाड़ी के बाकी पुर्जे डेटा वेरीफाई कर के काम कर सकेंगे.

पढ़ें-ओला की इलेक्ट्रिक कार श्रेणी में कदम रखने की घोषणा, 2024 में आएगा पहला मॉडल

एमएनआईटी छात्रों के दिए गए सुझाव के मुताबिक भारत में ड्राइवरलेस कार यानी ऑटोनॉमस गाड़ी के विकल्प का माहौल विदेशों की तुलना में उतना मुफीद नहीं है. भारत में रोड लाइट, ट्रैफिक जाम की स्थिति, लोगों के ट्रैफिक सेंस और सड़कों की हालत खासा खराब होती है. ऐसे में इस टीम के लिए यह तमाम सवाल चुनौतियां थे और सुझाव के रूप में टीम ने इन सब को प्रतियोगिताओं के दौरान रखा.

सोसाइटी ऑफ ऑटोमोटिव इंजिनियर्स ने इन सुझावों की अहमियत को माना. उनके मुताबिक भारत में साल 2040 तक वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से ड्राइवरलेस गाड़ी सड़कों पर दौड़ते हुए देखी जा सकेगी. जहां संतुलन के लिहाज से कार में कैमरे रडार और अन्य डिवाइस का तालमेल बेहतर करने की जरूरत होगी. MNIT के मैकेनिकल विभाग के प्रोफेसर दिलीप शर्मा और प्रोफेसर अरुण वर्मा की अगुवाई में प्रतीक उपाध्याय , माधव गर्ग, नितिन शर्मा, वीरेंद्र सिंह, सागर उपाध्याय, शैलेश सुथार, अमन संचेती, अमन महरोत्रा, संभव जैन और चेल्सी गुप्ता ने ऑटोमेटिक कारों को लेकर दिए गए सुझावों की प्रतियोगिता में शिरकत करते हुए जीत का सेहरा बांधा था.

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