जयपुर. जयपुर हाईकोर्ट बेंच से एक नाबालिग को उसके प्रेमी के मामले में बड़ी राहत मिली है. वकीलों के न्यायिक बहिष्कार के चलते एक तरह से नाबालिग ने अपने बालिग प्रेमी के लिए खुद ही मुकदमें को पेश किया और उसकी पैरवी की. उसने मीलार्ड के सामने अपनी प्रेम कहानी सुनाते हुए अपने बालिग प्रेमी को पूरी तरह निर्दोष बताया. उसने न्यायाधीश परजंद अली के सामने कहा कि मीलार्ड मैं अपनी मर्जी से प्रेमी के साथ गई थी. हमने काफी समय एक साथ पति-पत्नी की तरह गुजारा था. मैं गर्भवती भी अपनी ही मर्जी से हुई थी.
निचली अदालत से मिली थी सजाः नाबालिग के गायब होने के बाद जब उसे प्रेमी के साथ पकड़ा गया था, तो इसके बाद पुलिस ने उन्हें पॉस्को अदालत में पेश किया था. जहां पर केस की सुनवाई के बाद अदालत ने बालिग प्रेमी को 20 कारावास की सजा सुनाई थी. नाबालिग ने पीड़ित प्रेमी की ओर से उच्च न्यायालय में इसके खिलाफ याचिका लगाई थी. जिस पर न्यायाधीश फरजंद अली की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए नाबालिग की सहित उसके प्रेमी सोनू यादव को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उसकी निचली अदालत की सजा पर स्थगनादेश दे दिया. प्रेमी और नाबालिग प्रेमिका ने सजा पर स्टे की याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की थी.
पढ़ेंः Chittorgarh POCSO Court Order : नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास की सजा
नाबालिग के पिता ने दर्ज कराई थी गुमशुदगी की रिपोर्टः अदालत ने कहा है कि अपील का निस्तारण होने तक अपीलार्थी हर साल जनवरी माह में अदालत के समक्ष पेश हो. अगर एड्रेस बदलते हैं तो उसकी जानकारी निचली अदालत के समक्ष पेश करें. अदालत ने कहा कि यदि अपीलार्थी अदालत के समक्ष पेश नहीं होते तो संबंधित पीठासीन अधिकारी उसकी जमानत रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश करें. मामले के अनुसार पीड़िता के पिता ने मुहाना थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी 15 साल की बेटी बिना बताए कहीं चली गई है.
पीड़िता ने अभियुक्त के समर्थन में दी थी गवाहीः इसके बाद पीड़िता ने निचली अदालत में बयान दिया था कि वह अपनी मर्जी से अभियुक्त के साथ गई थी. बावजूद इसके पॉस्को कोर्ट ने उसकी गवाही को अमान्य कर दिया था. उसका कहना था, इस मामले में नाबालिग का बयान कोई मायने नहीं रखता.