जयपुर. ग्रेटर नगर निगम में बहुमत के बावजूद गुटबाजी और पुराने अनुभव के चलते बीजेपी को (Fencing of BJP councilors in Jaipur) क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है. ऐसे में पार्षदों की बाड़ाबंदी की गई है. कल तक जहां 20 पार्षद बाड़ेबंदी से दूर थे, अब ये संख्या घटकर महज 9 रह गई है. हालांकि कार्यवाहक महापौर और पार्टी से नाराज चल रही शील धाभाई सोमवार को ग्रेटर निगम मुख्यालय पहुंची. यहां अपने चेंबर में उन्होंने पट्टों की अधूरी फ़ाइल और टेंडर डेट एक्सटेंड करने जैसी फाइलों को लेकर चर्चा की.
आचार संहिता लगने के चलते शील धाभाई ने मुख्यालय में कोई भी ऑफिशियल मीटिंग नहीं (Greater nigam Acting Mayor Sheel Dhabhai) की. हालांकि यहां मेयर का कामकाज जारी रखा. शील धाभाई ने कहा कि उनका बाड़ाबंदी में रहना जरूरी नहीं है. जरूरी ये है कि निगम की व्यवस्थाएं न बिगड़ें. जयपुर की जनता को किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े. आलम ये है कि यदि 1 दिन भी नगर निगम ध्यान न दे, तो कचरे के ढेर लग जाते हैं. ये डे टू डे का काम है. यहां सफाई व्यवस्था पर भी ध्यान देना होता है.
उन्होंने कहा कि इसी तरह स्ट्रीट लाइट पर भी निगरानी बरतनी होती है. फिलहाल जो प्रक्रिया चल रही थी उसमें सफाई व्यवस्था को सुधारने के लिए बचे हुए जोन में नए टेंडर करने हैं, इसलिए बाड़ाबंदी में पहुंचने से जरूरी नगर निगम को समझा. उन्होंने कहा कि वर्तमान में पट्टा वितरण भी चल रहा है. कोशिश यही है कि आखिरी दम तक आम जनता के लिए काम करती रहें. वहीं पार्टी से महापौर पद से नाम कटने पर शील धाभाई ने कहा कि ये संगठन की अपनी सोच है. इस पर वो कुछ नहीं कहना चाहतीं.
आपको बता दें कि बीजेपी की ओर से की गई पार्षदों के बाड़ेबंदी (Jaipur greater nigam Mayor Election) में होटल में फिलहाल 84 पार्षद मौजूद हैं. इसमें बीजेपी और बीजेपी समर्थित पार्षद शामिल हैं. जबकि 9 पार्षद अभी भी इस प्रशिक्षण शिविर से दूर हैं. बताया जा रहा है कि इनमें से तीन पार्षदों की तबीयत ज्यादा खराब होने के चलते, वो सीधे 10 नवंबर को वोट डालने ही पहुंचेंगे.