जयपुर. विधानसभा में मंगलवार को नहर बंदी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण का मुद्दा गूंजा. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने गंगानगर नहर बंदी का, तो बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने प्रतियोगी सेट पात्रता परीक्षा में ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. हालांकि, सदन में इस दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने गहलोत सरकार के 4 साल को शायराना अंदाज में बेमिसाल भी बताया.
नहर बंदी का समय बढ़े : बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सदन में गंगानगर की नहर बंदी को लेकर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि क्षेत्र की सबसे लंबी नहर बंदी की वजह से किसानों को तकलीफ होती है. गंगानगर में इंदिरा गांधी नहर परियोजना और गंग नहर दोनों किसानों की लाइफ लाइन का काम करती है. पूनिया ने सरकार से आग्रह किया कि 28 मार्च से नहर बंदी होगी. ये 65 दिन की होती है, जिससे किसानों को फसल का नुकसान उठाना पड़ता है. पूनिया ने कहा कि गंग नहर बंदी 31 मार्च के बाद हो ताकि किसान अपनी फसल का संरक्षण कर सकें. सरकार इस पर सहानुभूति पूर्वक विचार करें.
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राजस्थान के पानी पर डाका क्यों : पूनिया ने भाखड़ा बोर्ड समझौता के तहत पंजाब को दिए जाने वाले पानी को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पंजाब की सरकार ने राजस्थान से पानी देने की मांग की है. लेकिन सरकार राजस्थान के किसानों के हिस्से पर डाका नहीं डालें. पूनिया ने कहा कि सरकार को वैकल्पिक रूप से क्षेत्र के किसानों के लिए पानी की व्यवस्था करनी चाहिए. इसके बाद पूनया ने शायराना अंदाज में गहलोत सरकार के 4 साल को बेमिसाल बताते हुए महिला सुरक्षा, किसान कर्ज माफी, कानून व्यवस्था, पेपर लीक और वीरांगनाओं जैसे मुद्दों पर तंज कसा.
सेट पात्रता परीक्षा में EWS की मांग : विधायक रामलाल शर्मा ने सेट पात्रता परीक्ष में EWS अंकों में 5% छूट की मांग की. इस पर उच्च शिक्षा राज्यमंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने कहा कि सेट की परीक्षा आरपीएससी अजमेर की ओर से 2013 में कराई गई थी. राज्य सरकार की ओर से सेट परीक्षा आयोजित कराने का निर्णय लेकर गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय बांसवाड़ा को नोडल नियुक्त किया है. यह परीक्षा इसी साल 30 विषयों पर प्रस्तावित है. सेट परीक्षा में शामिल होने के लिए अनारक्षित वर्ग के लिए 55% का है, जबकि आरक्षित वर्ग को 5% की छूट दी गई है. इसमें एससी, एसटी, ओबीसी, विशेष योग्यजन और थर्ड जेंडर शामिल हैं.
यादव ने कहा कि जो डिमांड सदन के सदस्य उठा रहे हैं, इसी तरह का एक मामला पहले मध्यप्रदेश में गया था. इसे यूजीसी ने मानने से इंकार कर दिया था. यादव ने कहा कि अगर यूजीसी इस पर अपना कोई फैसला दे देती है तो राज्य सरकार को अभ्यर्थियों को उसका लाभ देने में कोई आपत्ति नहीं है. जब तक यूजीसी से इसकी अनुमति नहीं मिल जाती तब तक ईडब्ल्यूएस वर्ग को इसका लाभ नहीं दिया जा सकता.