जयपुर. विश्व विकलांगता दिवस के मौके पर दिव्यांग जनों के कल्याण को लेकर सरकारी योजनाओं की बात भी होगी , तो अब तक किए गए कामों का उल्लेख भी किया जाएगा. इस बीच एक तस्वीर जयपुर की भी. बात उन लोगों की दिव्यांग जनों की जिंदगी मुकम्मल करने की ठानी और उनके हमसफर की तलाश के लिए जरिया बन गए (divyag Humsafar dot com). ये सुधीजन मेट्रोमोनियल वेबसाइट चला रहे हैं. ऐसी साइट जिसमें Registration निशुल्क है!
बना दिया दिव्यांग हमसफर डॉट कॉम- तकनीक के दौर में भी दिव्यांग जनों के लिए एक हमसफर तलाशना किसी चुनौती से कम नहीं था. इन लोगों के घर वालों की परेशानी भी इस बात को लेकर थी कि बराबर का रिश्ता कब कहां और कैसे मिलेगा ? अखबार में विज्ञापन और रिश्तेदारों के जरिए भी उन रिश्तो की तलाश मुमकिन नहीं हो पा रही थी, ऐसे में जयपुर के सेठ आनंदी लाल पोद्दार मूक बधिर स्कूल के अध्यापकों ने मिलकर ऐसे लोगों की परेशानी का समाधान करने की ठानी. उन्होंने एक पोर्टल तैयार किया, जिस पर देशभर के दिव्यांगजन अपनी योग्यता के अनुसार वर या वधू की तलाश कर सकते थे.
इस तरह आया विचार- दिव्यांग हमसफर डॉट कॉम को चलाने वाले सरकारी अध्यापक बाबूलाल मीणा इस मुहिम की शुरुआत से जुड़े रहे. उनका कहना था कि अक्सर स्कूल में लोग अपने दिव्यांग बच्चों के लिए हमसफर की तलाश करने के लिए पहुंचते थे. वे लोग दफ्तर में ही बच्चों के बायोडाटा एक मेज पर रख कर चले जाते थे. अगर किसी को जोड़ा मिलता, तो ठीक, वरना बायोडाटा अक्सर इधर-उधर हो जाया करते थे. फिर डिजिटल युग में एक उन्हें एक युक्ति सूझी. सभी प्रोफाइल्स को एक प्लेटफार्म पर रखने का फैसला लिया. सोचा ऐसे मुश्किलें आसान हो जाएंगी और इसी के साथ दिव्यांग हमसफर डॉट कॉम का सफर शुरू हो गया. उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर पोर्टल तैयार किया, जहां दिव्यांगजन का बायोडाटा तमाम जानकारी के साथ उपलब्ध करवाया जाता था.
दिव्यांगजन परिचय सम्मेलन- दिव्यांग हमसफर डॉट कॉम न सिर्फ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर विकलांग लोगों के लिए जीवनसाथी की तलाश का विकल्प बन रहा है ,बल्कि परिचय सम्मेलन के जरिए यह लोगों को एक दूसरे के सामने भी ला रहा है. यहां वे अपनी पसंद के हिसाब से जीवनसाथी का चुनाव करते हैं. फेसबुक और व्हाट्सएप के दौर की शुरुआत के साथ ही बाबूलाल मीणा ने अपने साथियों के साथ दिव्यांग जनों के रिश्तों को जोड़ने के लिए सोशल मीडिया का सटीक इस्तेमाल किया. इन्हीं माध्यमों से दिव्यांगजनों के प्रोफाइल बांटने शुरू किए. कहते हैं उनके पास करीब साढ़े तीन सौ बायोडाटा जब जमा हो गए, तो उन्हें उम्मीद बंधी और साल 2016 में उन्होंने परिचय सम्मेलन का आयोजन किया.
पहले परिचय सम्मेलन में 8 लोगों को अपने हमसफर से मुलाकात का मौका मिला और इसी से प्रेरणा लेकर उन्होंने इस नेक काम को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत करना शुरू कर दिया. 2017 के परिचय सम्मेलन में 22 लोगों ने एक दूसरे के साथ शादी की रजामंदी दी. जिसमें कामयाबी का सफर 8 जोड़ों से 11 तक पहुंच गया, इसके बाद 2019 में तीसरा परिचय सम्मेलन आयोजित किया गया. हालांकि बीच में कोरोना का दौर बढ़ा, तो परिचय सम्मेलन का सिलसिला थम गया लेकिन दिव्यांग हमसफर डॉट कॉम ने अपनी रफ्तार को पंख लगा लिए. अब तक दिव्यांग हमसफर डॉट कॉम पर 4 हजार से ज्यादा लोग लगभग देश के हर राज्य से अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं.
बिना शुल्क दे रहे हैं सेवा- सेठ आनंदीलाल मूकबधिर विद्यालय की अध्यापिका कविता चौहान बताती हैं कि इस स्कूल से साल 2010 में जुड़ी थीं. तब से ही इस काम में उनकी दिलचस्पी रही. वे लोग दिव्यांग हमसफर डॉट कॉम पर रजिस्ट्रेशन के लिए किसी प्रकार के शुल्क का चार्ज नहीं करते हैं. उन्होंने बताया कि इस साल भी बारिश उनके आयोजन के बीच बाधा बन गई थी, लेकिन बावजूद इसके कोरोना के बाद फिर से चीजों को व्यवस्थित करते हुए उन्होंने 11 जोड़ों को मिलवा दिया.अब वे अपने काम को आगे ले जाकर सामाजिक सहयोग से इन लोगों की शादी भी करवाना चाहते हैं.
इस बार भी गुजरात ,मध्य प्रदेश ,उत्तर प्रदेश ,हरियाणा ,पंजाब दिल्ली और मुंबई से बड़ी संख्या में लोग अपने दिव्यांग बच्चों को लेकर हमसफर की तलाश पूरी करवाने के लिए परिचय सम्मेलन में पहुंचे थे.